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‘पाञ्चजन्य’ के स्वतंत्रता दिवस विशेषांक का विमोचन

गत 15 अगस्त को रुद्रपुर (उत्तराखंड) में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया गया। इस अवसर पर राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने ‘पाञ्चजन्य’ के स्वतंत्रता दिवस विशेषांक ‘खून के आंसू’ का विमोचन किया। कार्यक्रम में बंटवारे की एक भुक्तभोगी चंद्रकला कपूर भी उपस्थित थीं।

by पाञ्चजन्य वेब डेस्क
Aug 24, 2022, 08:45 am IST
in उत्तराखंड, पुस्तकें
चंद्रकला कपूर को पाञ्चजन्य की प्रति भेंट करते हुए पुष्कर सिंह धामी और अन्य अतिथि

चंद्रकला कपूर को पाञ्चजन्य की प्रति भेंट करते हुए पुष्कर सिंह धामी और अन्य अतिथि

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गत 15 अगस्त को रुद्रपुर (उत्तराखंड) में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया गया। इस अवसर पर राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने ‘पाञ्चजन्य’ के स्वतंत्रता दिवस विशेषांक ‘खून के आंसू’ का विमोचन किया। कार्यक्रम में बंटवारे की एक भुक्तभोगी चंद्रकला कपूर भी उपस्थित थीं। बता दें कि ‘पाञ्चजन्य’ के स्वतंत्रता दिवस विशेषांक के आवरण पृष्ठ पर इन्हीं चंद्रकला कपूर का चित्र प्रकाशित हुआ है। इसलिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें विशेषांक की पहली प्रति भेंट की।

मंच पर उस समय एक अत्यंत भावुक क्षण उपस्थित हुआ जब श्री धामी ने श्रीमती चंद्रकांता कपूर के चरण स्पर्श किए। लोगों ने इस पल का स्वागत करतल ध्वनि से किया। कार्यक्रम में विभाजन विभीषिका पर ‘पाञ्चजन्य’ द्वारा बनाए गए आधा घंटे के एक वृत्तचित्र (डॉक्यूमेंट्री) का प्रदर्शन भी किया गया।

इसमें विभाजन के भुक्तभोगियों से की गई बातचीत को शामिल किया गया है। उनकी बातों को सुनकर वहां उपस्थित लोग गम में डूब गए। अधिकतर लोगों ने यही कहा कि सच में विभाजन के समय हिंदू समाज ने जो दर्द सहा है, वैसा और किसी समाज ने नहीं सहा होगा। लोगों ने यह भी कहा कि फिर कभी विभाजन की स्थिति पैदा न हो, हिंदू समाज को ऐसा प्रयास करना होगा।

इस अवसर पर पुष्कर सिंह धामी ने पाञ्चजन्य के विशेषांक को यादगार दस्तावेज बताया और कहा कि यह एक इतिहास की पुस्तक दिखती है जिसमें सच के अलावा और कुछ नहीं है। उन्होंने बंटवारे का दर्द सहने वालों को बार-बार नमन किया और कहा कि विभाजन के समय लोग बहुत ही मुश्किल से जान बचाते हुए भारत आए थे, लेकिन यहां आकर उन्होंने जो पुरुषार्थ किया है, वह बहुत प्रशंसनीय है। ऐसे लोगों ने कड़ी मेहनत से अपने जीवन को दुबारा संवारा और साथ ही देश के विकास में बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने आगे कहा कि विभाजन की पीड़ा सह चुके लोगों ने उत्तराखण्ड के तराई क्षेत्र को बसाने में अहम योगदान दिया है। आज भी ये लोग उत्तराखंड के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

 

पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग

भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य हरनाथ सिंह यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर निवेदन किया है कि विभाजन की त्रासदी को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत का विभाजन विश्व इतिहास की सर्वाधिक क्रूरतापूर्ण घटना थी। इतिहास को याद रखने से भविष्य के लिए अतीत की गलतियों को पुन: न दोहराने की सीख मिलती है। इसलिए इसे बच्चों को पढ़ाया जाना चाहिए।

जेएनयू में विभाजन अध्ययन केंद्र

नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की कुलपति प्रो. शांतिश्री डी. पंडित ने कहा है कि विभाजन की विभीषिका का अध्ययन करने के लिए जेएनयू में एक केंद्र स्थापित किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का विभाजन एक बहुत बड़ी त्रासदी थी, लेकिन कभी इस पर कोई शोध नहीं किया गया। इस कारण लोग उसकी विभीषिका से अवगत नहीं हैं। लोग विभाजन के बारे में हर चीज को जान सकें, जेएनयू यह काम करेगा।

केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट ने इस अवसर पर कहा कि विभाजन के भुक्तभोगी समाज के लिए प्रेरक हैं। इन लोगों ने अपना सब कुछ खोकर भी बिना किसी के आगे हाथ फैलाए, अपनी हिम्मत के बल पर स्वयं को खड़ा किया। यह कोई साधारण बात नहीं है। उन्होंने कहा कि विभाजन का दर्द सहने वालों ने जो संघर्ष किया है और जो बलिदान दिया है, वह तारीफ करने लायक है।

सैनिक कल्याण एवं जनपद प्रभारी मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि हमारा देश आजाद तो हुआ, लेकिन उसे आजादी

की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। उन्होंने कहा कि विभाजन के पीड़ितों ने दर्द को भुलाकर देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। -उत्तराखंड ब्यूरो

Topics: हिंदू समाज ने जो दर्द सहामुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामीविभाजन विभीषिका स्मृति दिवसIndependence Day special issue of 'Panchjanya' released
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