राज्य में जनसंख्या अंसतुलन,बाहरी लोगो द्वारा जमीनों की बड़े पैमाने पर खरीद फरोख्त, चकबंदी विषय जैसे मामलो पर मंथन किया जा रहा है। राज्य में भू कानून में सुधार करने के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा बनाई गई समिति की बैठक में ये चिंतन किया गया। भू कानून की अव्यवहारिकता को देखते हुए राज्य में बाहरी प्रदेशों के लोगो का बसना जारी है जिसकी वजह से जनसंख्या अंसतुलन की सामाजिक समस्या राज्य में खड़ी हो गई है।
इस समस्या को देखते हुए उत्तराखंड में विधान सभा चुनाव से पहले युवाओं ने सोशल मीडिया के जरिए बीजेपी को अपने एजेंडे में भू सुधार कानून लाने के विषय को शामिल करवाया था।
उस समय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार के नेतृत्व में एक समिति बना दी थी जिसके सुझाव मिलने पर सरकार ,राज्य में भूमि सुधार कानून लागू करेगी। सुभाष कुमार की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक बीती रात संपन्न हुई जिसमे सभी सदस्यों ने अपने अपने सुझाव रखे ,समिति की पांच बैठके हो चुकी है।
जानकारी के मुताबिक समिति ने हिमाचल की तर्ज पर कुछ भूमि कानून बनाए जाने की बात कही है। दूसरा राज्य में साढ़े बारह एकड़ से अधिक भूमि बाहरी व्यक्ति नही खरीद सकेगा और इससे ज्यादा भूमि यदि किसी प्रयोजन के लिए चाहिए होगी तो वो लीज पर ही मिलेगी। सरकार भी उद्योगों के लिए अथवा अन्य कारोबारी गतिविधियों के लिए लीज पर ही भूमि देगी।इससे जमीन का मालिकाना हक स्थानीय ही रहेगा।
भू कानून सुधारो में एक बात ये भी रखे जाने के संकेत है कि शहरो में मास्टर प्लान के तहत कृषि भूमि को अकृषि किए जाने के 29अक्टूबर 2020के त्रिवेंद्र सरकार के शासन के आदेश को विलुप्त किया जाएगा। बाहरी लोगो के राज्य में सवा नाली जमीन खरीदने के विषय पर भी विचार किया गया है। समिति के सदस्य अजेंद्र अजय के मुताबिक बहुत से विषय अभी अंतिम विचार विमर्श में है जिनपर 23 अगस्त को अंतिम बैठक में चर्चा की जानी है। बैठक में सुभाष कुमार, बी एस गरब्याल, दीपेंद्र चौधरी अरुण कुमार ढौंडियाल, देवानंद, अजेंद्र अजय मौजूद रहे।
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