पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने सलमान रुश्दी पर जिहादी हमले को लेकर एक ऐसी टिप्पणी कर दी है जो षायद कट्टरपंथियों को रास न आए। जहां न्यूयार्क में 12 अगस्त को हुए रुश्दी पर हमले को लेकर मजहबी उन्मादी सोशल मीडिया पर ‘खुशियां’ मना रहे हैं, वहीं इमरान ने कुछ ऐसा बोल दिया है जो शायद कट्टर इस्लामवादियों या रुश्दी को जान से मारने के ईरान के फतवे के पैरोकार हैं। इमरान खान ने हमले को गलत बताया है और कहा है कि ‘गुस्सा हो सकता है, लेकिन हमला जायज नहीं है’।
यानी कट्टर मजहबी मुल्क के पूर्व प्रधानमंत्री ने ‘इस्लाम की तौहीन’ करने वाले पर जानलेवा हमले को गलत करार दिया है! अपने आपमें ये एक बहुत बड़ी खबर बनती है। इमरान खान ने भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी पर न्यूयार्क में चाकू से किए गए जानलेवा हमले की निंदा करते हुए उस कृत्य को गलत ठहराया है। उन्होंने कहा है कि वह एक खौफनाक और दुखद घटना है।
द गार्जियन में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, इमरान ने कहा है कि रुश्दी की पुस्तक द सैटेनिक सर्वेज को लेकर इस्लाम को मानने वालों चाहे जितना गुस्सा हो, लेकिन उन पर इस तरह के हमले को किसी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता। इमरान ने आगे कहा, ‘‘रुश्दी चीजों को समझते हैं क्योंकि वह भी एक मुस्लिम परिवार से हैं। वे जानते हैं कि एक मुसलमान के दिल में पैंगबर के लिए कितना प्यार और सम्मान होता है। मैं समझ सकता हूं कि लोगों में गुस्सा है, लेकिन इसे लेकर हमले को मैं सही नहीं ठहरा सकता।’’
इसी रिपोर्ट में आगे है कि अब से करीब दस साल पहले भारत में हुए एक कार्यक्रम में सलमान रुश्दी आए थे। उनके उसमें शामिल होने से इमरान नाराज हो गए और इस कार्यक्रम में नहीं आए। दोनों के बीच कभी-कभार विवाद भी होता रहा था। लेकिन अब ऐसे में उन्होंने रुश्दी पर हुए हमले की निंदा की है जब दुनिया के ज्यादातर खासतौर पर मुस्लिम नेताओं ने किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देने से खुद को दूर रखा है।
साथ ही, तालिबान राज में अफगानिस्तान की महिलाओं के संदर्भ में इमरान ने कहा है कि उन्हें उम्मीद थी कि अफगानिस्तान में महिलाएं अपने हकों पर लगी रोक के विरुद्ध लड़ेंगी, लेकिन इस मुद्दे पर उनकी बात को लेकर भी उन्हें एक तेजतर्रार नेता जैसा दिखाया गया। उल्लेखनीय है कि पिछले साल इस्लामिक सहयोग संगठन की बैठक में अफगानी महिलाओं को लेकर इमरान खान ने कुछ ऐसा बोल दिया था कि जिसे लेकर इस्लामी जगत में उनकी काफी आलोचना की गई थी। इमरान ने शायद तालिबान को संतुष्ट करने के लिए कहा था कि लड़कियों को तालीम न देना अफगानी संस्कृति का हिस्सा है।
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