उत्तराखंड के विजलेंस विभाग ने जेल में बन्द पूर्व आईएएस राम विलास यादव के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल कर दिया है। भ्रष्टाचार के आरोपों में लिप्त यादव के खिलाफ यूपी और उत्तराखंड सरकार ने विजलेंस की जांच करवाई थी।
पूर्व आईएएस राम विलास यादव 2017 तक यूपी में रहे फिर अपना कैडर बदल कर उत्तराखंड आ गए। कैडर ट्रांसफर के दौरान यूपी सरकार ने उत्तराखंड सरकार को राम विलास के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने की जांच की सिफारिश की थी। उत्तराखंड शासन में राम विलास समाज कल्याण विभाग में उच्च पदों पर रहे। इनके सभी मामलो की विजलेंस जांच हुई तो मालूम चला कि पूर्व आईएएस द्वारा खुद के,अपनी पत्नी और रिश्तेदारों के नाम से अकूत संपत्ति खरीदी हुई है। विजलेंस विभाग ने इनकी सम्पत्ति को वास्तविक संपत्ति से 2600 गुना पाया और इन्हे पिछले जून माह में इनकी सेवानिवृत होते ही इन्हे 23जून को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। गिरफ्तार होने से पहले राम विलास ने अग्रिम जमानत और जेल जाने के बाद भी जमानत के लिए हाई कोर्ट की शरण ली थी किंतु उन्हे कहीं से भी जमानत नहीं मिली ।
उत्तराखंड विजलेंस ने अब ढाई हजार पन्नों का आरोप पत्र साक्ष्यों के साथ कोर्ट में दाखिल कर दिया है जिस पर अब अगली तारीख में चर्चा होगी। जानकारी के मुताबिक विजलेंस ने राम विलास की पत्नी और अन्य रिश्तेदारों की गिरफ्तारी के लिए भी प्रयास शुरू कर दिए है, माना जा रहा है कि इसी सप्ताह उनकी पत्नी को भी हिरासत में लिया जा सकता है। इन सभी के नाम देहरादून और यूपी के कई शहरों में संपत्तियां खरीदी गई थी।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने पिछले दिनों कहा था कि कितने भी असरदार लोग क्यों न हो सरकार भ्रष्टाचार बर्दाश्त नही करेगी। हम उत्तराखंड को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जीरो टॉलरेंस पर रखेंगे।
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