एक बार फिर से बिहार में ‘जंगलराज’ कायम हो चुका है। जैसे ही पता चला कि लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) की सरकार बनने वाली है, वैसे ही पूरे बिहार में अपराधियों ने नंगा नाच शुरू कर दिया। जेल में सजा काट रहे बाहुबली नेता आनंद मोहन ने तो पटना की एक अदालत में हाजिर होने के दौरान सारे नियम-कानून को तोड़ दिया। वे इन दिनों सहरसा जेल में बंद हैं। 13 अगस्त को उन्हें पटना लाया जा रहा था। इस दौरान उन्होंने राजद के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की। यही नहीं, खगड़िया में एक होटल में रुके और पटना में अपने घर में। इसके बाद अदालत में हाजिरी लगाकर सहरसा लौट गए। वे पुलिस की गाड़ी से नहीं, बल्कि अपनी गाड़ी से आए-गए।
अभी आनंद मोहन का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि कानून मंत्री मास्टर कार्तिक का मामला बाहर आ गया। कार्तिक अपहरण के एक मामले में आरोपी हैं। इस मामले में उन्हें 16 अगस्त को न्यायालय में हाजिर होना था, लेकिन उसे पहले ही उन्हें उसी दिन मंत्री बना दिया गया। जानकार मान रहे हैं कि कार्तिक को बचाने के लिए ही ऐसा किया गया।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने इसे कानून के साथ खिलवाड़ बताया है। उन्होंने कहा है कि फरारी व्यक्ति द्वारा मंत्री पद की शपथ लेना बिहार में जंगलराज की वापसी की निशानी है। हालांकि सत्ता पक्ष इस आरोप का ख्ांडन कर रहा है।
मास्टर कार्तिक को बाहुबली अनंत सिंह का दाहिना हाथ समझा जाता है। राजनीति में आने से पहले कार्तिके सिंह पेशे से शिक्षक थे। इसलिए उहें क्षेत्र में कार्तिक मास्टर के नाम से जाना जाता है। अनंत सिंह की सारी रणनीति कार्तिक मास्टर ही तय करते रहे हैं। जिस अपहरण कांड की चर्चा विपक्ष कर रहा है वह वर्ष 2014 का है। मास्टर कार्तिक पर आरोप है कि वर्ष 2014 में राजीव रंजन नाम के एक बिल्डर के अपहरण में इनका हाथ था। पटना के बिहटा थाने में इस संबंध में एक मुकदमा भी दर्ज हुआ था। मास्टर कार्तिक ने पटना उच्च न्यायालय में इस संबंध में जमानत याचिका दायर की थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने 16 फरवरी, 2017 को जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें निचली अदालत में जाने को कहा था। इस 16 अगस्त को उन्हें न्यायालय के समक्ष पेश होना था, लेकिन वे न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत होने के बजाय संवैधानिक पद के लिए शपथ ले रहे थे।
नीतीश सरकार का हर तीसरा मंत्री दागी
अपराध के प्रति ‘जीरो टोलरेन्स’ की बात करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में हर तीसरा मंत्री दागी है। ए-डी-आर- की रिपोर्ट के अनुसार कैबिनेट के 33 मंत्रियों में से 23 पर मुकदमे चल रहे हैं। इनमें 17 ऐसे हैं जिन पर गंभीर आपराधिक मामले घोषित हैं। इन मंत्रियों पर हत्या, बलात्कार, लूट, अपहरण, आपराधिक साजिश रचने, धोखाधड़ी जैसे मामले चल रहे हैं।
राजद कोटे से सहकारिता मंत्री बनाए गए सुरेन्द्र यादव पर 9 मामले चल रहे हैं। यादव की छवि बाहुबली की है। इन पर बाल यौन शोषण, मारपीट और आचार संहिता के उल्लंघन जैसे केस दर्ज हैं। 2005 में इन पर बूथ लूटने का भी आरोप लगा था। इसी प्रकार राज्य के पी-एच-ई-डी मंत्री ललित यादव पर भी कई मुकदमे हैं। ललित यादव ने ट्रक चालक दीनानाथ बैठा के पैर के नाखून उखाड़ लिए थे। इसी आरोप में ललित यादव को एक बार राज्य मंत्रिमंडल से बर्खास्त भी किया गया था। कृषि मंत्री सुधाकर सिंह पर चावल घोटाले का आरोप है।
उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के विरुद्ध 11 मामले दर्ज हैं। इनमें 7 आपराधिक मामले हैं। उन पर मनी लाउंड्रिंग, आपराधिक साजिश रचने और धोखाधड़ी तक के मामले हैं। इसी प्रकार इनके बड़े भाई और राज्य सरकार में मंत्री तेजप्रताप पर पांच मामले दर्ज हैं। इनके मामा साधु यादव इसे बिहार का दुर्भाग्य मानते हैं कि तेजप्रताप यादव जैसा व्यक्ति भी बिहार का मंत्री बना। जिस दिन मंत्रिमंडल का विस्तार हो रहा था, उस दिन पटना की सड़कों पर तेजप्रताप के खिलाफ पोस्टर लगे हुए थे।
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