झारखंड के सरकारी विद्यालयों की स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बच्चों को पढ़ाने के लिए वहां के प्रधानाचार्य शराब के नशे में धुत रहते हैं। इस पर जब उनसे सवाल पूछा जाता है तो सवाल पूछने वालों से ही गाली गलौज करने लगते हैं।
मामला झारखंड के दुमका जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड का है। यहां उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक अन्द्रीयास मरांडी ने इतनी शराब पी ली कि विद्यालय के बच्चों के सामने सही से खड़े भी नहीं हो पा रहे थे। हाल कि ही यह घटना है। प्रधानाचार्य विद्यालय के बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल पहुंचे थे। लेकिन उन्होंने इतनी शराब पी रखी थी कि वह अपने पैरों पर सही से खड़े भी नहीं हो पा रहे थे। गांव वालों ने प्रधानाचार्य की हालत देखकर उनका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि प्रधानाचार्य को ग्रामीण काफी डांट फटकार लगा रहे हैं और बच्चे डर के मारे किनारे खड़े हैं। विद्यालय के बच्चों के अनुसार प्रधानाचार्य अन्द्रीयास मरांडी पहले भी विद्यालय में पढ़ाने के बजाए डांट फटकार और पिटाई किया करते थे।
इस मामले का वीडियो वायरल होने के बाद शिकारीपाड़ा प्रखंड के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी अमिताभ झा ने कहा कि इस घटना की जांच की जा रही है । प्रधानाचार्य को 24 घंटे के अंदर स्पष्टीकरण देने को कहा गया था लेकिन पता चला है कि 24 घंटे के बाद भी कोई जवाब नहीं दिया गया था। ऐसे में अब कहा जा रहा है कि इन पर कठोर कार्रवाई की जा सकती है।
पूर्व मंत्री और दुमका जिले की भाजपा नेता लुईस मरांडी ने कहा कि अगर किसी विद्यालय में शिक्षक खुद शराब पीकर पहुंचेगा तो वहां के बच्चे क्या सीखेंगे। ऐसे शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि अन्य विद्यालयों में भी कड़ा संदेश जा सके। झारखंड में कभी विद्यालय का रंग तो कभी विद्यालय के बच्चों की पोशाक का रंग बदलने की बात होती है, जबकि सरकार को यह देखना चाहिए कि विद्यालयों में अच्छी शिक्षा व्यवस्था कैसे मिले। लेकिन वर्तमान झारखंड सरकार शिक्षा को लेकर गंभीर है ही नहीं। शिक्षा और शिक्षा व्यवस्था के प्रति झारखंड सरकार का उदासीन रवैया आश्चर्यजनक है। तभी तो कभी शुक्रवार को विद्यालय खुद ही छुट्टी की घोषणा कर देते हैं, तो कभी शिक्षक शराब पीकर बच्चों को पढ़ाने आ जाते हैं।
आपको बता दें कि झारखंड में अच्छी शिक्षा व्यवस्था अब दूर की कौड़ी होती जा रही है। इसी तरह की लापरवाही पिछले कई वर्षों से विद्यालय में देखी जाती रही है। उदाहरण के तौर पर अभी हाल ही में झारखंड के कई विद्यालयों में अघोषित तरीके से शुक्रवार को छुट्टी की जा रही थी, जिसकी जानकारी न तो वहां के स्थानीय पदाधिकारियों को थी और ना ही सरकार चलाने वाले किसी नेता को। इन बातों से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि झारखंड में शिक्षा व्यवस्था का क्या हाल हो रहा है।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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