खस्ता अर्थव्यवस्था और राजनीतिक-सामाजिक स्तम्भों के ढहने के साथ ही, श्रीलंका में अभी तक कुछ उम्मीद बांधे बैठीं विदेशी कंपनियों ने अब षायद अपना बोरिया-बिस्तर समेटना शुरू कर दिया है। जापान की एक बड़ी ने इस बदलाव की अगुआई की है।
श्रीलंका की सरकार ने एक परियोजना के लिए जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी से कर्ज लेने का फैसला किया था। एजेंसी ने 70 अरब येन का कर्ज देना स्वीकार भी कर लिया था। लेकिन अब उसने अपने फैसले को पलटते हुए कर्ज के भुगतान में फांस डाल दी है। कोलंबो ने तब बताया था कि इसी पैसे से हवाई अड्डा परियोजना आगे बढ़नी थी।
दरअसल श्रीलंका में आर्थिक विपदा थमने का नाम नहीं ले रही है। कोई समाधान नजर न आने के बीच, अनेक विदेशी कंपनियां वहां से निकलने की तैयारी कर रही हैं। अभी तक वे अनेक परियोजनाओं में षामिल हैं लेकिन उन्होंने उनमें से निकलने के संकेत देने शुरू कर दिए हैं। जबकि कई परियोजनाओं पर तो काम शुरू भी हो चुका है।
जापान की इंजीनियरिंग कंपनी ताइसेई ने पहल करते हुए श्रीलंका के भंडारनायके हवाई अड्डे से जुड़ी परियोजना से पल्ला झाड़ने की तैयारी कर ली है और इसे छुपाया भी नहीं है। कंपनी से जुड़े सूत्रों के अनुसार, कंपनी इस ओर जल्द ही सभी संबंधित पक्षों से चर्चा शुरू करने जा रही है। जानकारों के अनुसार, ताइसेई का यह रवैया बताता है कि अब उसे श्रीलंका में कारोबार की संभावनाओं को लेकर कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर ताइसेई की राह चलते हुए अन्य कंपनियों ने भी श्रीलंका से निकलने का फैसला कर लिया तो श्रीलंका की डूबती अर्थव्यवस्था और गहरे में समा जाएगी। ताइसेई के सूत्रों ने स्पष्ट कहा है कि हवाई अड्डा परियोजना के लिए पैसा मिलने का रास्ता लगभग बंद हो गया है। हालांकि कोलंबो के निकट बने भंडारनायके हवाई अड्डे के विस्तार को लेकर ताइसेई ने 2020 में ही करार किया था। परियोजना के अंतर्गत हवाई अड्डे पर बहुस्तरीय टर्मिनल और एक रेलवे पुल बनाए जाने की योजना है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर इस परियोजना पर काम रुका तो यह श्रीलंका में जारी आर्थिक संकट पर सीधी चोट जैसी होगी। गत अप्रैल माह में ही श्रीलंका सरकार की तरफ से कहा गया था कि वह कर्जा चुकाने की स्थिति में नहीं है। यह सुनने के बाद ही जापान की संस्था ने तय कर लिया था कि कर्ज का भुगतान रोक देना है।
जापान की एक शोध संस्था है, तेइकोकु डाटा बैंक, जिसके अनुसार, श्रीलंका में वर्तमान में करीब 180 जापानी कंपनियां विभिन्न परियोजनाओं से जुड़ी हैं। लेकिन अब स्थितियां पहले जैसी नहीं रही हैं। तेईकोकु के अनुसार, राजनीतिक हालात के डावांडोल होने से श्रीलंका में कारोबारी माहौल धुंधला गया है।
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