राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने युवा, किसान और विशेषकर महिलाओं को भारत के नए आत्म-विश्वास का स्रोत बताते हुए कहा कि कि देश की बहुत सी उम्मीदें हमारी बेटियों पर टिकी हुई हैं।
राष्ट्रपति मुर्मू ने रविवार को 76वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर पहली बार राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि महिलाएं अनेक रूढ़ियों और बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ रही हैं। सामाजिक और राजनीतिक प्रक्रियाओं में उनकी बढ़ती भागीदारी निर्णायक साबित होगी। आज हमारी पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की संख्या चौदह लाख से कहीं अधिक है।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश की बहुत सी उम्मीदें हमारी बेटियों पर टिकी हुई हैं। समुचित अवसर मिलने पर वे शानदार सफलता हासिल कर सकती हैं। हमारी बेटियां लड़ाकू विमान चालक से लेकर अंतरिक्ष वैज्ञानिक होने तक हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं। केंद्र सरकार द्वारा पिछले वर्ष से हर 15 नवंबर को ‘जन-जातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने के निर्णय का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे जन-जातीय महानायक केवल स्थानीय या क्षेत्रीय प्रतीक नहीं हैं बल्कि वे पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश का विकास अधिक समावेशी होता जा रहा है और क्षेत्रीय विषमताएं भी कम हो रही हैं। उन्होंने कहा कि विश्व ने हाल के वर्षों में विशेषकर कोविड-19 के प्रकोप के बाद नए भारत को विकसित होते देखा है। उन्होंने कहा कि भारत ने देश में ही निर्मित वैक्सीन के साथ मानव इतिहास का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया। पिछले महीने दो सौ करोड़ वैक्सीन कवरेज का आंकड़ा पार कर लिया है। इस महामारी का सामना करने में हमारी उपलब्धियां विश्व के अनेक विकसित देशों से अधिक रही हैं।
उन्होंने कहा कि जब दुनिया कोरोना महामारी के गंभीर संकट के आर्थिक परिणामों से जूझ रही थी तब भारत ने स्वयं को संभाला और अब पुनः तीव्र गति से आगे बढ़ने लगा है। इस समय भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही प्रमुख अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक है। राष्ट्रपति ने देश के प्रत्येक नागरिक से अपने मूल कर्तव्यों के बारे में जानने और उनका पालन करने का आग्रह करते हुए कहा कि ऐसा करने से हमारा राष्ट्र नई ऊंचाइयों को छू सकेगा।
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