भारतीय मूल के मशहूर लेखक सलमान रुश्दी पर शुक्रवार को न्यूयार्क में हमला हुआ था। उन्हें उस समय चाकू से गोदा गया, जब वह वक्तव्य देने के लिए मंच पर जा रहे थे। काले कपड़े और काला मास्क पहने एक युवक ने उन पर चाकू से हमला किया। पेट और गर्दन पर वार किया। हमलावर को मौके से ही दबोच लिया गया था। उसकी पहचान हादी मतर (Hadi Matar) के रूप में हुई है। स्थानीय सुरक्षा एजेंसी से उससे पूछताछ कर रही हैं।
रुश्दी पर न्यूयार्क के चौटाउक्वा में हमला हुआ था। चौटाउक्वा के 150 साल के इतिहास में पहली बार इस तरह का हमला हुआ है। स्थानीय मीडिया और प्राथमिक जांच के अनुसार जिस हमलावर ने सलमान रुश्दी पर चाकू से वार किया, उसकी उम्र 24 साल है। उसकी पहचान न्यू जर्सी के हादी मतर के रूप में हुई है। अभी उसके सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच की गई है, जिससे पता चला है कि वह इस्लामिक कट्टरपंथियों और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प (आईआरजीसी) से प्रभावित था। हालांकि आईआरजीसी से जुड़े होने के स्पष्ट साक्ष्य नहीं मिले हैं। हादी का जन्म कैलिफोर्निया में हुआ और वहां से वह न्यू जर्सी में बसा। उसके पास से न्यू जर्सी का नकली ड्राइविंग लाइसेंस भी मिला है।
सलमान रुश्दी की आंख और लिवर में गंभीर जख्म
सलमान रुश्दी पर जहां हमला हुआ, वहां मौजूद रहे लोगों का कहना है कि आरोपी काले कपड़े और काला मास्क पहने हुए था। उसने रुश्दी पर चाकुओं से 10 से 15 बार वार किए। वहीं, सलमान रुश्दी की हालत स्थिर बनी हुई है। वह बोल नहीं पा रहे हैं। रुश्दी के करीबी का कहना है कि उनके एक आंख खोने का खतरा है। हाथ की नसें फट गई हैं। चाकू के वार से लिवर को भी काफी नुकसान पहुंचा है।
75 वर्षीय सलमान रुश्दी पर हमला उस समय हुआ था, जब वे कार्यक्रम में लेक्चर देने के लिए स्टेज पर थे। इसी दौरान स्टेज एक युवक पहुंचा और उनके गले पर चाकू से हमला करते हुए मुक्कों की बरसात कर दी जिसके बाद रुश्दी स्टेज पर गिर गए और उनके चेहरे से खून देखा गया। हालांकि वहां मौजूद लोगों ने हमलावर को मौके पर पकड़ लिया और रुश्दी को बचाने के लिए चारों तरफ से घेर लिया। उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाया गया। उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
सलमान रुश्दी दुनिया के मशहूर लेखकों में से एक हैं। उनकी ‘द मिड नाइट चिल्ड्रेन’, द सैटेनिक वर्सेज आदि कई उपन्यास दुनिया भर में मशहूर हैं। उनको द मिड नाइट चिल्ड्रेन किताब के लिए बुकर पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया है। रुश्दी को पहले भी हमले की धमकियां मिलती रही हैं।
ईरान के सर्वोच्च मजहबी नेता ने जारी किया था मौत का फतवा
रुश्दी का उपन्यास द सैटेनिक वर्सेज वर्ष 1988 में प्रकाशित हुआ था। इस पर ईरान के सर्वोच्च मजहबी नेता ने उनके खिलाफ फतवा जारी किया था। अयातुल्लाह अली खुमैनी ने मौत का फतवा जारी किया था। उनका यह उपन्यास कई इस्लामिक देशों में प्रतिबंधित है। करीब 33 साल से वह कट्टरपंथियों के निशाने पर थे। आज उन पर जानलेवा हमला हुआ है। कई मुसलमान इस उपन्यास को ईशनिंदा मानते हैं। कट्टरपंथी मुस्लिमों का कहना है कि इस उपन्यास में सलमान रुश्दी ने पैगंबर मोहम्मद का अपमान किया है। किताब का शीर्षक एक विवादित मुस्लिम परंपरा के बारे में है। इस उपन्यास के जापानी अनुवादक हितोशी इगाराशी की भी हत्या कर दी गई थी। कट्टरपंथियों ने किताब के प्रकाशक को भी निशाना बनाया था।
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