क्रिप्टोक्यूरेंसी एक्सचेंज को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है। जानकारी के मुताबिक, गुरुवार को क्रिप्टोक्यूरेंसी एक्सचेंज वॉल्ड की 370 करोड़ रुपये की संपत्ति को प्रवर्तन निदेशालय ने जब्त कर लिया है। बता दें कि यह अब तक की जब्त की गई सबसे बड़ी डिजिटल संपत्ति है। यह वित्तीय जांच एजेंसी द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में क्रिप्टोक्यूरेंसी एक्सचेंज “वजीरएक्स” की संपत्ति को जब्त करने के कुछ ही दिनों बाद आया है।
कई भारतीय गैर-बैंकिंग वित्तीय (एनबीएफसी) कंपनियों और उनके फिनटेक भागीदारों के खिलाफ आरबीआई के दिशानिर्देशों के उल्लंघन में और व्यक्तिगत डेटा का दुरुपयोग करने और अपमानजनक भाषा का उपयोग करने वाले टेली-कॉलर्स का उपयोग करने के लिए ईडी एक मनी लॉन्ड्रिंग जांच कर रही है। यह कंपनियां कर्ज लेने वालों से ऊंची ब्याज दर भी वसूलती हैं।
ईडी का कहना है कि वजीर क्रिप्टो एक्सचेंज ने अमेरिका, सिंगापुर की कई क्रिप्टो एक्सचेंज कंपनियों के साथ वेब एग्रीमेंट किए। लेकिन अब वजीरएक्स के एमडी निश्चल शेटटी से मिली जानकारी और जैनमई के दावों में अंतर पाया गया है। ईडी ने अपनी जांच का दायरा बढ़ाते हुए कंपनी के बैंक खातों को कुर्क कर दिया है।
जानकारी के अनुसार ईडी का मानना है कि कई फिनटेक कंपनियों में चीनी कंपनियों का निवेश है और इसके लिए वह एनबीएफसी का लाइसेंस नहीं ले सकी हैं। इन कंपनियों ने बंद हो चुकी एनबीएफसी कंपनियों के साथ एमओयू के रास्ते के तहत करार किया। जैसे ही इस मामले की जांच शुरू हुई, भारी मुनाफा कमाने वाली कंपनियों ने अपने कारोबार को बंद कर दिया और कमाए हुए पैसों से क्रिप्टो करेंसी खरीदी और उस पैसे को विदेश भेज दिया।
ईडी ने 3 अगस्त को हैदराबाद में जानमाई लैब प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर और वजीरएक्स के मालिक के खिलाफ छापेमारी की थी। लेकिन इस दौरान डायरेक्टर ने पूछताछ के दौरान जांच में सहयोग नहीं किया था। जांच में सामने आया है कि कि सबसे ज्यादा पैसों का लेनदेन “वजीरएक्स” के साथ हुआ और खरीदे गए क्रिप्टो एसेट किसी अनाम विदेशी वॉलेट में डाइवर्ट कर दिए गए।
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