आजादी के अमृत महोत्सव पर काशी के बुनकरों द्वारा तिरंगा बनारसी साड़ी बनाया गई है। हर घर तिरंगा के आह्वान को आगे बढ़ाया जा रहा है। खास बात है कि बनारसी साड़ी में चाइनीज रेशम की जगह स्वदेशी रेशम का इस्तेमाल किया गया है। साड़ी को बनवाने वाले व्यापारी सर्वेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया 60 से 70 प्रतिशत साड़ी चाइनीज रेशम से बनती थी। हम लोगों ने स्वदेशी रेशम का इस्तेमाल कर साड़ियों को बनाया । यही संदेश देने के लिए इस प्रकार का प्रयास किया गया है।
चाइनीज और वियतनाम की रेशम की डिमांड बहुत है। भारत मे बंगाल, कोयंबटूर समेत कई स्थानों पर इसका उत्पादन होता है। चाइनीज रेशम सफेद होता है। स्वदेशी रेशम में हल्का पीलापन होता है। लेकिन अच्छी मशीनों और तकनीक का इस्तेमाल कर धागों को सफेद निकाला जा सकता है। कारीगरों ने हैंडलूम पर जो सांकेतिक तिरंगा साड़ी निकाली है, उसका मकसद भी लोगों को स्वदेशी रेशम से जोड़ने को लेकर ही है।
कुछ साड़ियों पर बायकॉट चाइना भी लिखा गया है। एक साड़ी पर तिरंगा बनाया गया है। जिसमें अखण्ड भारत का मानचित्र बना है। चाइनीज रेशम से अब कारीगरों को आजादी मिलने की शुरुआत हो चुकी है।
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