आगरा शहर और आसपास की नहरें कभी ताज नगरी की खेत खालियानों को पानी पहुंचाया करती थीं। पिछले कुछ सालों से इन नहरों के गायब हो जाने या नालों में तब्दील हो जाने की खबरें सामने आई हैं। जानकारी के मुताबिक सौ हेक्टेयर से ज्यादा नहर की जमीन अतिक्रमणकारियों ने हड़प ली है। जिसकी कीमत आज बाजार में 100 करोड़ से अधिक की बताई जा रही है।
आगरा देहात में जोधपुर झाल से निकलने वाली साढ़े 21 किमी नहर में से अब 14 किमी रह गई है। सात किमी से ज्यादा नहर का कहीं भी अता पता नहीं है। इसी तरह सिकंदरा रजवाह, पार्क नहर, मघटई नहर, दयाल बाग आदि क्षेत्रों में भी नहरों की जमीन का अता पता नहीं है। इन जमीनों पर बिल्डर्स, दुकानदारों के अवैध कब्जे हो गए हैं।
जलाधिकार फाउंडेशन के सदस्य राजीव सक्सेना के अनुसार शहर से होकर देहात के खेतों तक जाने वाली इन नहरों पर कब्जे होते रहे और सिंचाई विभाग, नगर निगम, प्रशासन सोया रहा। जबकि ये नहरें भी वर्षा के दौरान जल निकासी का एक बड़ा माध्यम हुआ करती थी। सक्सेना कहते हैं कि जोधपुर झाल एक कृत्रिम झील है, जिसे मुगलों ने बनवाया था और हमारी धरोहर स्मारकों तक नहरों के जरिए पानी आता था। ये नहरें आज के समय में सिंचाई विभाग के पास रख रखाव के लिए हैं, लेकिन विभाग ने इन पर अतिक्रमण करवा दिया है।
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