इंडिया इनोवेशन इंडेक्स-2021 की रैंकिंग जारी की, जिसमें हरियाणा तीसरे स्थान पर रहा। इससे पहले जारी रैंकिंग में प्रदेश को छठा स्थान हासिल हुआ था। यानी तीन पायदान ऊपर चढ़ने का श्रेय प्रदेश सरकार की नवाचार (इनोवेशन) को बढ़ावा देने की नीति का ही परिणाम है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने 21 जुलाई को इंडिया इनोवेशन इंडेक्स-2021 की रैंकिंग जारी की, जिसमें हरियाणा तीसरे स्थान पर रहा। इससे पहले जारी रैंकिंग में प्रदेश को छठा स्थान हासिल हुआ था। यानी तीन पायदान ऊपर चढ़ने का श्रेय प्रदेश सरकार की नवाचार (इनोवेशन) को बढ़ावा देने की नीति का ही परिणाम है। नीति आयोग की ओर से जारी इंडिया इनोवेशन इंडेक्स का यह तीसरा संस्करण है। अक्तूबर-2019 को जारी पहले संस्करण में हरियाणा 5वें स्थान पर था, लेकिन जनवरी-2021 में जारी सूचकांक में एक अंक लुढ़क कर छठे स्थान पर चला गया। कर्नाटक लगातार दूसरे साल पहले स्थान पर है, जबकि तेलंगाना दूसरे स्थान पर। 17 प्रमुख राज्यों में कर्नाटक ने 18.0, तेलंगाना ने 17.66 और हरियाणा ने 16.35 अंक हासिल किए। नवाचार सूचकांक को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। इनमें प्रमुख राज्य, केंद्र शासित प्रदेश तथा पहाड़ी व उत्तर-पूर्व के राज्य हैं। बिहार, ओडिशा और छत्तीसगढ़ सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य रहे। केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़ अव्वल रहा, जबकि पहाड़ी और पूर्वोत्तर राज्यों में मणिपुर पहले और उत्तराखंड दूसरे स्थान पर रहा।
खास बात यह है कि इस इनोवेशन इंडेक्स को ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स की तर्ज पर तैयार किया गया है। पिछले संस्करणों में 36 संकेतकों के आधार पर विश्लेषण किया गया था, लेकिन इस बार 66 संकेतकों का इस्तेमाल किया गया। इस बार कानूनी जागरूकता, शिक्षा, सुरक्षा, कौशल विकास, स्टार्टअप को प्रोत्साहन और औद्योगिक निवेश के लिए अच्छे वातावरण ने हरियाणा को अच्छे अंक दिलाए। केंद्र सरकार ने 2025 तक नई शिक्षा नीति लागू करने की मोहलत दी, लेकिन हरियाणा ने इसे 2023 में ही लागू करने का भरोसा दिया है। इसके अलावा, हर घर जल योजना, पानी की बर्बादी रोकने, फसल विविधिकरण जैसे अनुकरणीय उदाहरण पेश किए।

रंग ला रहे सरकार के प्रयास
राज्य के कृषि मंत्री जेपी दलाल मानना है कि कृषि के क्षेत्र में हरियाणा ने नवाचार के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें पानी का सही उपयोग, कम पानी में तैयार होने वाली फसलों का विविधिकरण और किसान की आमदनी बढ़ाने के लिए तरह-तरह की योजनाएं शामिल हैं। वे कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आमदनी बढ़ाने का जो लक्ष्य रखा है, उस दिशा में प्रदेश सरकार सतत प्रयास कर रही है। हरियाणा कृषि प्रधान प्रदेश है। खाद्यान्न केंद्रीय पूल में हर साल हरियाणा का बड़ा योगदान रहता है। इस समय फसलों के विविधिकरण की तरफ अधिक ध्यान दिया जा रहा है कि कैसे बागवानी व सब्जियों की खेती को आगे बढ़ाया जाए। डेयरी, पशुपालन के माध्यम से रोजगार के साधनों को बढ़ाया जाए और फार्म गेट प्रोसेसिंग यूनिट कैसे लगाएं। प्रदेश में खारे पानी वाली जगह पर झींगा मछली का उत्पादन किया जा रहा है। राज्य के एक किसान ने छह माह में ढाई एकड़ में झींगा उत्पादन कर 55 लाख रुपये की बिक्री की, जिस पर उसकी कुल लागत 20 लाख रुपये से भी कम थी। ढाई एकड़ भूमि से लाखों रुपये मुनाफा कमाने का सपना प्रदेश सरकार ने ही साकार करवाया है।
किसानों पर मेहरबान
भूजल दोहन रोकने के लिए वर्षों से धान की रोपाई कर रहे किसानों को दूसरी फसल उपजाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए सरकार सालाना 7000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दे रही है। इसका परिणाम यह रहा कि पिछले साल किसानों ने करीब सवा लाख हेक्टेयर में धान की जगह दूसरी फसलें लगार्इं। यही नहीं, अगर कोई किसान धान की जगह एग्रो फॉरेस्ट्री को अपनाता है तो उसे प्रति एकड़ 400 पेड़ लगाने पर 10,000 रुपये की मदद दी जा रही है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रीमियम की वजह से ज्यादातर किसान इसमें शामिल होने से बचते हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार ने छोटे किसानों के हिस्से का प्रीमियम खुद भरने का निर्णय लिया है। ऐसा होने से ज्यादातर किसानों को फसल नुकसान का मुआवजा मिल सकेगा। राज्य सरकार दो एकड़ से कम भूमि में बुआई करने वाले किसानों के हिस्से का प्रीमियम भरेगी, जबकि 2 से 5 एकड़ तक की जमीन वाले किसानों को आधा प्रीमियम देगी। जिन किसान परिवारों की आय सालाना 1.80 लाख रुपये है, उनके हिस्से का पीएम किसान मानधन योजना का प्रीमियम भी सरकार भरेगी। ऐसा करने से गरीब किसानों के बुढ़ापे में सालाना 36,000 रुपये की पेंशन बिना प्रीमियम दिए ही मिल सकेगी।
कृषि उपज का दाम कम होने पर कई बार किसानों को अच्छी खासी आर्थिक चोट पहुंचती है। इस समस्या से निपटने के लिए प्रदेश सरकार ने 21 बागवानी फसलों को भी भावान्तर भरपाई योजना में शामिल किया है। लेकिन इसके लिए ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल’ पर पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। बाजार में फलों और सब्जियों के भाव लागत से कम रहने पर किसानों को नुकसान नहीं होगा और उस अंतर की भरपाई सरकार करेगी। प्रदेश सरकार का दावा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं, धान, जौ, बाजरा, मूंग, मूंगफली, सरसों, मक्का, उड़द, तिल, चना, अरहर, कपास और सूरजमुखी सहित 14 फसलों की खरीद करने वाला हरियाणा देश का एकमात्र राज्य है। हरियाणा के किसानों की सोच भी नवाचार को दर्शाती है। प्रधानमंत्री मोदी ‘मन की बात’ समेत अनेक मौकों पर गेहूं व धान की जगह बेबीकॉर्न की खेती करने पर सोनीपत के कंवल सिंह, पशुपालन व डेयरी फॉर्म प्रबंधन के जरिए तरक्की करने वाले पानीपत में नरेंद्र सिंह व शहद उत्पादक यमुनानगर निवासी सुभाष कंबोज का जिक्र कर चुके हैं।
नई स्टार्टअप नीति
उद्योगों में नवाचार की बात करें तो हरियाणा सरकार ने पिछले दिनों नई स्टॉर्टअप नीति लागू की है। देशभर में स्टॉर्टअप के मामले में प्रदेश तीसरे स्थान पर है। देश में इस समय करीब 60 हजार स्टॉर्टअप हैं, जिनमें से 5 हजार हरियाणा में हैं। देखा जाए तो स्टॉर्टअप इंडिया कार्यक्रम के तहत हरियाणा में 4119 युवा स्टॉर्टअप का पंजीकरण हो चुका है, जो पंजाब से चार गुणा, हिमाचल प्रदेश से 14 गुणा, उत्तराखंड से पांच गुणा और राजस्थान से दो गुणा ज्यादा है। सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों की तर्ज पर ही स्टॉर्टअप में उत्पादित माल की सार्वजनिक खरीद को प्राथमिकता दी जाती है। युवा उद्यमियों की क्षमता के विकास के लिए सात विश्वविद्यालयों में इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित किए गए हैं। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत फिरोजपुर झिरका में राजकीय मॉडल डिग्री कॉलेज, गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय हिसार में पंडित दीनदयाल उपाध्याय इनोवेशन एवं इन्क्यूबेशन सेंटर और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर रिसर्च, इनोवेशन व आंत्रेप्रन्योरशिप का शिलान्यास प्रधानमंत्री मोदी ने 3 फरवरी 2019 को किया था। पांच जिलों पंचकूला, करनाल, हिसार, गुरुग्राम और फरीदाबाद के सरकारी कॉलेजों में स्टॉर्टअप इन्क्यूबेटर स्थापित किए गए हैं। इनमें छात्रों ने अभी तक करीब 2 करोड़ 30 लाख रुपये कमाए हैं। 17 और जिला मुख्यालयों के सरकारी कॉलेजों में इन्क्यूबेटर स्थापित किए जाने हैं।
युवाओं को प्रशिक्षण
हरियाणा सरकार ने युवाओं में उद्यमशीलता बढ़ाने व उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए हरियाणा इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन एवं मैन्युफैक्चरिंग और आंत्रेप्रेन्योरशिप नीति 2017 लागू की है। इसके तहत स्टॉर्टअप और इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित करने की योजना है। इसके लिए विश्व स्तर की कंपनियों से करार किया गया है। इस नीति का उद्देश्य आईटी क्षेत्र में कार्यबल को बढ़ाना, नागरिक सेवा प्रदायगी तंत्र को मजबूत करना, इन्क्यूबेशन व स्टॉर्टअप के लिए निवेश आकर्षित करना है। स्टॉर्टअप के लिए 10 लाख वर्ग फीट स्थान उपलब्ध कराना है। गुरुग्राम में स्थापित हारट्रोन मल्टी स्किल डेवलपमेंट सेंटर में हारट्रोन व डाईटैक (डीआईटीईसीएच) ने मिलकर 30 हजार वर्ग फुट बिल्ट-अप क्षेत्र विकसित किया है, जो नवाचार व स्टॉर्टअप का केंद्र बन रहा है। इसमें विभिन्न उद्योग संगठनों की ओर से इन्क्यूबेटर्स चलाए जा रहे हैं।
प्रदेश में नवाचार व स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए उद्योग जगत व शैक्षणिक समुदाय को एक मंच पर लाने के प्रयास चल रहे हैं। इसके लिए हारट्रोन मल्टी स्किल डेवलपमेंट सेंटर को स्टॉर्टअप केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए हारट्रोन मल्टी स्किल डेवलपमेंट सेंटर में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क आफ इंडिया के सहयोग से ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी में एक इन्क्यूबेटर और यूनाइटेड नेशन टेक्नोलॉजी इनोवेशन लैब के सहयोग से एक और इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित किया जा रहा है।
रैंकिंग का आधार
जुलाई 2022 को जारी तीसरे संस्करण का सूचकांक मानव पूंजी, कम्प्यूटर सुविधा वाले स्कूल, एनएएस स्कोर, स्कूल शिक्षा पर जीडीपी का खर्च, शुद्ध नामांकन अनुपात, शिक्षक-छात्र अनुपात, स्कूलों में प्रयोगशाला, दसवीं तक पढ़ाई, पीएचडी में नामांकन, इंजीनियरिंग में नामांकन, अधिक ग्रेड वाले संस्थान, कौशल विकास प्रशिक्षण, कारोबार में सुगमता, गांवों में इंटरनेट सुविधा, निवेश, सुरक्षा एवं कानूनी माहौल, पानी की उपलब्धता इत्यादि आधार पर तैयार किया गया है। हरियाणा में कृषि क्षेत्र, अस्पताल, शिक्षक-छात्र अनुपात, औद्योगिक निवेश, जल प्रबंधन, डिजिटल शिक्षा, स्टार्टअप, कानूनी जागरुकता, ऊर्जा बचत और फार्मास्युटिकल के अलावा गरीबी के दायरे से लोगों को निकालने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों के कारण राज्य शीर्ष तीन में जगह बनाने में सफल रहा।?खास बात यह है कि राज्य सरकार द्वारा सुरक्षा और कानून जागरुकता को लेकर किए गए काम से नीति आयोग खुश है। इसमें कुल 40 अंकों में से हरियाणा को 39.38 अंक मिले हैं, जबकि व्यापारिक और आद्योगिक निवेश के लिए उपयुक्त माहौल उपलब्ध कराने के लिए 32.7 अंक मिले हैं। वहीं, विभिन्न गतिविधियों के लिए इंटरनेट मंचों के इस्तेमाल के मामले में 22.68 अंक हासिल कर हरियाणा सभी राज्यों के मुकाबले पहले स्थान पर रहा। 2029-20 के दौरान राज्य में प्रति व्यक्ति जीएसडीपी 1,95,660 रुपये रही। हालांकि राज्य में शिक्षक-छात्र अनुपात 26:1 से घटकर 24:1 हो गया है, लेकिन शिक्षा नवाचार में इसने 25.08 अंक, कौशल विकास में 16.29 तथा नवाचार में 16.35 अंक हासिल किए हैं।
क्या है इंडिया इनोवेशन इंडेक्स
इसे नीति आयोग और इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पीटिटिवनेस (प्रतिस्पर्द्धात्मकता संस्थान) द्वारा तैयार किया गया है। भारत नवाचार सूचकांक देश के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के मूल्यांकन और विकास के लिए एक व्यापक उपकरण है। यह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उनके बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बनाने के लिए उनके नवाचार प्रदर्शन पर रैंक तय करता है। सूचकांक में संकेतकों 16 उप-स्तंभों और 7 प्रमुख स्तंभों में बांटा गया है। सूचकांक के 7 स्तंभ में से पांच ‘सक्षम’ स्तंभ इनपुट को मापते हैं, जबकि दो ‘प्रदर्शन’ स्तंभ आउटपुट को मापते हैं। सर्वेक्षण में शिक्षा का स्तर, गुणवत्ता, पीएचडी छात्रों की संख्या और ज्ञान-गहन रोजगार, इंजीनियरिंग व प्रौद्योगिकी में नामांकन तथा अत्यधिक कुशल पेशेवरों की संख्या के अलावा, अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों में निवेश, पेटेंट व ट्रेडमार्क आवेदनों की संख्या, इंटरनेट उपयोगकर्ता, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आदि पर ध्यान दिया जाता है।
राज्य के 14 यूनिकॉर्न स्टार्टअप
देश के 101 यूनिकॉर्न स्टार्टअप में से कम से कम 14 यूनिकॉर्न स्टार्टअप (कम से कम एक बिलियन यूएस डॉलर मूल्य के स्टार्टअप) हरियाणा के माध्यम से ही स्थापित किए गए हैं। हरियाणा सरकार ऐसे युवा उद्यमियों को एक मजबूत नीति पारिस्थितिकी तंत्र, मजबूत बुनियादी ढांचा और उदार नियामक मानदंड प्रदान करके उनकी क्षमता को गति देने की इच्छुक है। सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार विभाग, हरियाणा द्वारा तैयार की गई एक नई हरियाणा स्टार्टअप नीति 2022 को मंजूरी भी दी गई है। इस नीति के माध्यम से राज्य सरकार का उद्देश्य हरियाणा में जीवंत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना और उसका पोषण करना है। अब उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी), भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त कोई भी स्टार्टअप इकाई, इसके निगमन/पंजीकरण की तारीख से दस साल की अवधि तक और जिसका वार्षिक कारोबार 100 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है, वे हरियाणा में इस नई नीति के तहत प्रमुख राजकोषीय और गैर-राजकोषीय लाभ लेने के पात्र बन जाएंगे।
राज्य सरकार जल्द ही हरियाणा आत्मनिर्भर कपड़ा नीति 2022-25 भी लागू करेगी। इससे प्रदेश में टेक्सटाइल उद्योग को पंख लगने में सहायता मिलेगी, वहीं एमएसएमई को बढ़ावा मिलेगा। राज्य सरकार का प्रयास है कि प्रदेश के अधिक से अधिक युवा एमएसएमई से जुड़ें, ताकि वे स्वयं भी रोजगारयुक्त हों और अन्य युवाओं को भी रोजगार उपलब्ध करवाने में सक्षम हो सकें। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं विश्लेषक हैं)
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