पंचायतों के नाम होगी शामिलात जमीन
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत हरियाणा

पंचायतों के नाम होगी शामिलात जमीन

हरियाणा सरकार शामिलात जमीन को कब्जा मुक्त कर इन्हें पंचायतों को सौंपेगी। सर्वोच्च अदालत के निर्णय के बाद कब्जा छुड़ाना हुआ आसान। रजिस्ट्री और उच्च न्यायालय के निर्णय भी नहीं होंगे मान्य

by मनोज ठाकुर
Aug 9, 2022, 05:13 pm IST
in हरियाणा
फरीदाबाद और गुरुग्राम के अरावली क्षेत्र में शामिलात भूमि पर से भी कब्जे हटाए जाएंगे

फरीदाबाद और गुरुग्राम के अरावली क्षेत्र में शामिलात भूमि पर से भी कब्जे हटाए जाएंगे

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

27 जुलाई को सरकार ने अंबाला के तत्कालीन जिला उपायुक्त आरपी गुप्ता, तत्कालीन एसडीएम सतबीर सिंह, छावनी के तहसीलदार गोधू राम व नायब तहसीलदार देवेंद्र सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार की धाराओं में मामला दर्ज किया है। विजिलेंस के डीएसपी रामदत्त की जांच के बाद यह मामला दर्ज किया गया है। जमीन घोटाले का यह मामला 2015 में सामने आया था। इसके बाद सरकार ने इसकी जांच कराई तो छावनी के साथ लगते गांवों में देह शामिलात जमीन की गड़बड़ी सामने आई।

हरियाणा में करीब ढाई लाख एकड़ से अधिक शामिलात जमीन का मालिकाना हक अब पंचायतों को मिलेगा। सरकार ने इसकी शुरुआत अंबाला से की है। यहां की करीब 20 हजार एकड़ जमीन जो देह शामिलात थी, उसका मालिकाना हक पंचायत और वक्फ बोर्ड के पास था। लेकिन इस जमीन को भू-माफिया ने अफसरों के साथ मिलकर खुर्द-बुर्द कर दिया। 27 जुलाई को सरकार ने अंबाला के तत्कालीन जिला उपायुक्त आरपी गुप्ता, तत्कालीन एसडीएम सतबीर सिंह, छावनी के तहसीलदार गोधू राम व नायब तहसीलदार देवेंद्र सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार की धाराओं में मामला दर्ज किया है। विजिलेंस के डीएसपी रामदत्त की जांच के बाद यह मामला दर्ज किया गया है। जमीन घोटाले का यह मामला 2015 में सामने आया था। इसके बाद सरकार ने इसकी जांच कराई तो छावनी के साथ लगते गांवों में देह शामिलात जमीन की गड़बड़ी सामने आई।

राजस्व विभाग के अधिकारियों के एक आकलन के मुताबिक, हरियाणा की कम से कम एक लाख एकड़ देह शामिलात जमीन विवादित है। इसकी कीमत अरबों रुपये है। हरियाणा में अंतिम बार 1962 में चकबंदी हुई थी। इस दौरान गांवों में कुछ भूमि सार्वजनिक जैसे गोचर, तालाब, मंदिर, धर्मशाला आदि जैसे कामों के लिए सुरक्षित रखी गई थी। इसे शामिलात भूमि या देह शामिलात भूमि के नाम से जाना जाता है, जिसे राजस्व विभाग को देह शामिलात के नाम व अंकित किया गया था। यह मान लिया गया था कि इस जमीन का मालिकाना हक पंचायत के पास है। जैसे ही जमीन की कीमत बढ़ने लगी, खासतौर पर वैसे गांव जो शहरों के नजदीक हैं, वहां की जमीन बेहद कीमती हो गई। इस तरह की जमीन पर भू-माफिया की नजर पड़ी और देखते-देखते अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर जमीन का मालिकाना हक कुछ लोगों ने अपने नाम करा कर जमीन पर कब्जे करने शुरू कर दिए। अंबाला छावनी, गुड़गांव, फरीदाबाद जैसे जिलों में तो शामिलात जमीन को भू-माफिया के साथ मिल कर बिल्डरों को बेच दिया गया। अब इन जमीन पर कोठियां, शोरूम और ऊंची इमारतें बन गई हैं। अंबाला में ही 2010 से 2014 तक शामलात जमीन की करीब 30 रजिस्ट्री की गई।

हरियाणा में छह हजार से ज्यादा गांव हैं। प्रत्येक गांव में शामिलात जमीन है, जिस पर अलग-अलग तरह के ढेरों विवाद हैं। गांवों की पंचायतों इस जमीन को भू-माफिया व दबंग लोगों की नजर से बचाने में ज्यादा कारगर साबित नहीं हो पा रही थीं, क्योंकि तब पंचायतों के पास जमीन का मालिकाना हक नहीं था। इसलिए अब सरकार ने यह कदम उठाया है। इससे पंचायतों को जमीन का मालिकाना हक मिल जाएगा।

 

 मनोहर लाल सरकार का यह कदम साहसिक माना जाएगा। इसमें सरकार ने वोट बैंक की परवाह न करते हुए, समाज के हित को तवज्जो दी है। वही भू-माफिया का एक बड़ा नेटवर्क निश्चित ही सरकार की आलोचना करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है। लेकिन सरकार जिस तरह से इस निर्णय को लेकर सधे हुए कदम उठा रही है, इससे लोगों की समझ में आ रहा है कि यह उनके हित में है। इसलिए वे भी सरकार के इस निर्णय का स्वागत कर रहे हैं।

-अनिल कुमार राणा 

सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर कार्रवाई
जून माह में सर्वोच्च न्यायालय ने एक निर्णय दिया था। इसमें देशभर की शामलात जमीन का मालिकाना हक पंचायतों को सौंपने के लिए कहा गया था। शीर्ष न्यायालय के निर्णय के अनुसार, यदि किसी शामिलात जमीन पर उच्च न्यायालय ने किसी व्यक्ति के पक्ष में फैसला सुनाया है, तो वह भी अमान्य होगा। जो जमीन कभी भी शामलात देह थी और लोगों ने 13ए में बिना किसी मालिकाना हक के जमीन अपने नाम कर ली, वह भी वापिस पंचायत के नाम की जाए। यदि शामिलात जमीन पंचायत से नगर निगम या परिषद में आ गई है, उसे निगम या परिषद के नाम करवाया जाए। इतना ही जिन लोगों ने इसे अपने नाम करवाया है, उनके नाम भी राजस्व रिकॉर्ड से हटाए जाएंगे और साथ ही मुकदमे भी दर्ज हो सकते हैं। निर्णय में यह भी कहा गया है कि शामिलात और मुश्तरका की जमीन के नए मामले राजस्व अदालत में साथ नहीं लाए जाएं। राजस्व मामले के अधिवक्ता अनिल कुमार राणा ने बताया कि शीर्ष अदालत के इस निर्णय से पंचायती जमीन के लाखों विवादित मामले एक झटके में खत्म हो जाएंगे। यह जमीन बेहद कीमती है, जिन पर कुछ लोगों ने कब्जा कर रखा है। इसे लेकर बहुत से मामले अलग-अलग अदालतों में चल रहे हैं। राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार, पंचायतें इन मामलों की पैरवी नहीं कर पा रही थीं, क्योंकि तब पंचायतें इस तरह की जमीन के विवाद में पार्टी बन ही नहीं सकती था। भू-माफिया इसका लाभ उठा रहा था। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के ताजा आदेश से इस समस्या का निपटारा एक झटके में हो गया है।

सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर हरियाणा की पहल
शीर्ष अदालत का निर्णय आने के बाद हरियाणा की मनोहर लाल सरकार ने तुरंत इस दिशा में पहल की है। हरियाणा देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने इस दिशा में कदम उठाया है। प्रदेश भर से शामिलात जमीन का रिकॉर्ड मंगाया जा रहा है। यह देखा जा रहा है कि किस जमीन पर किस तरह का विवाद है। इसे लेकर दिन-रात काम किया जा रहा है। अंबाला छावनी में शामिलात जमीन को लेकर जो कार्रवाई हुई, उससे प्रदेश भर में ऐसी जमीन पर कब्जा करने वालों में खलबली मची हुई है। अनिल कुमार राणा कहते हैं कि निश्चित ही मनोहर लाल सरकार का यह कदम साहसिक माना जाएगा। इसमें सरकार ने वोट बैंक की परवाह न करते हुए, समाज के हित को तवज्जो दी है। वही भू-माफिया का एक बड़ा नेटवर्क निश्चित ही सरकार की आलोचना करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है। लेकिन सरकार जिस तरह से इस निर्णय को लेकर सधे हुए कदम उठा रही है, इससे लोगों की समझ में आ रहा है कि यह उनके हित में है। इसलिए वे भी सरकार के इस निर्णय का स्वागत कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जब पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाला था तो यह निर्णय लिया था कि जबरदस्ती भूमि का अधिग्रहण नहीं कि जाएगा। इस निर्णय पर सरकार अभी तक अटल है। सरकार ने एक पोर्टल भी बनाया है, जिसमें किसानों को सुविधा दी गई है कि वे अपनी मर्जी से सरकार को जमीन देने के लिए इस पर आवेदन कर सकते हैं, ताकि सरकार भूमि बैंक बना सके। अब पंचायतों के नाम जमीन हो जाने के बाद वे पंचायत पोर्टल के माध्यम से सरकार को जमीन देने का प्रस्ताव भी दे सकती है। इस जमीन का इस्तेमाल सरकार गांव के विकास के लिए बड़ी परियोजनाएं लाने में कर सकती हैं। इससे गांवों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। वहीं गांव की पंचायत के पास राजस्व आने से उसकी आमदनी तेजी से बढ़ेगी, लेकिन यह पूरी तरह से पंचायत पर निर्भर होगा कि वह अपनी जमीन का इस्तेमाल किस तरह से करना चाहती है। क्योंकि इस निर्णय के लागू होने के बाद अब पंचायत ही जमीन की मालिक होगी। गांव की पंचायत जिस तरह से चाहेगी उसका इस्तेमाल उसी तरह से कर सकती है। इस तरह से जिस सार्वजनिक उद्देश्य के लिए शामलात जमीन छोड़ी गई थी, उस उद्देश्य को आसानी से पूरा किया जा सकता है।

भूमि विवाद खत्म करने में जुटी सरकार
राज्य सरकार लगातार भूमि विवाद खत्म करने में लगी हुई है। इससे पहले प्रदेश के गांवों को लाल डोरा मुक्त किया गया था। इस योजना से गांव के लोगों को उनके अपने घर के राजस्व रिकॉर्ड में मालिकाना हक मिला है। इसके लिए प्रदेश के सभी गांवों में ड्रोन सर्वे करा कर मकानों की रजिस्ट्री उनके नाम करने का काम चल रहा है। सरकार का यह बड़ा कदम इसलिए है, क्योंकि इससे गांव के लोग अपने मकान के नाम पर बैंक आदि से कर्ज ले सकते हैं। साथ ही उनके घर की जमीन भी सुनिश्चित हो गई। पहले यह प्रावधान नहीं था, इस वजह से गांवों में अक्सर विवाद बने रहते थे। बहुत से लोग इन विवादों के निबटारे के लिए अदालतों के चक्कर काटते रहते थे। इस योजना से ग्रामीणों की यह दिक्कत एक झटके में दूर हो गई है।

Topics: सर्वोच्च न्यायालयवक्फ बोर्डमुख्यमंत्री मनोहर लालभूमि विवाद खत्मशामिलात जमीन
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Emergency Indira Gandhi a darkest history of india

तथ्यों के आईने में आपातकाल : जिद की हकीकत

नई दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते प्रशांत भूषण। (बाएं से ) हर्ष मंदर, प्रियाली सुर, कोलिन गोंजाल्विस और रीता मनचंदा

रोहिंग्याओं के रखवाले : झूठ की नाव, हमदर्दी के चप्पू

प्रतीकात्मक तस्वीर

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम-2025 की सुनवाई 20 मई तक टाली, कहा-सभी वकील तैयार होकर आएं

अनुराग ठाकुर

अनुराग ठाकुर का बड़ा बयान, संजौली मस्जिद को बताया अवैध निर्माण

Himanta Biswa sarma Ramdas Athawale Supporting Nishikant Dubey

वक्फ मामले में निशिकांत दुबे के समर्थन में CM सरमा, केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने SC को दी ये नसीहत

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

‘राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं अदालतें’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

इस्लामिक आक्रमण और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया : उपराष्ट्रपति धनखड़

Uttarakhand Illegal Madarsa

बिना पंजीकरण के नहीं चलेंगे मदरसे : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

देहरादून : भारतीय सेना ने अग्निवीर ऑनलाइन भर्ती परीक्षा सम्पन्न

इस्लाम ने हिन्दू छात्रा को बेरहमी से पीटा : गला दबाया और जमीन पर कई बार पटका, फिर वीडियो बनवाकर किया वायरल

“45 साल के मुस्लिम युवक ने 6 वर्ष की बच्ची से किया तीसरा निकाह” : अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत के खिलाफ आक्रोश

Hindu Attacked in Bangladesh: बीएनपी के हथियारबंद गुंडों ने तोड़ा मंदिर, हिंदुओं को दी देश छोड़ने की धमकी

श्रीहरि सुकेश

कनाडा विमान हादसा: भारतीय छात्र पायलट की हवाई दुर्घटना में मौत

बुमराह और आर्चर

भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज: लॉर्ड्स में चरम पर होगा रोमांच

मौलाना छांगुर ने कराया 1500 से अधिक हिंदू महिलाओं का कन्वर्जन, बढ़ा रहा था मुस्लिम आबादी

Uttarakhand weather

उत्तराखंड में भारी बारिश का अलर्ट: 10 से 14 जुलाई तक मूसलाधार वर्षा की चेतावनी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies