अगर कोई व्यक्ति अपनी परेशानी लेकर किसी बड़े प्रशासनिक अधिकारी के पास जाए और परेशानी बताने के बाद वही अधिकारी यह पूछे कि ‘आप किस पार्टी से हैं’ तब आपको कैसा लगेगा, जरा विचार करें।
ठीक यही सवाल देवघर के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने बिहार के सुल्तानगंज से देवघर पहुंचे एक कांवड़िए से पूछा है। उस कांवड़िया की गलती यह थी कि उसने कांवड़ यात्रा के दौरान बिहार में पड़ने वाले रास्ते को अच्छा कहा और झारखंड के अंतर्गत आने वाले रास्ते की कमियां बताई थीं।
बता दें कि इन दिनों बिहार के सुल्तानगंज में उत्तरवाहिनी गंगा नदी से जल लेकर शिवभक्त झारखंड स्थित बाबा वैद्यनाथ के धाम देवघर पैदल ही पहुंचते हैं। सुल्तानगंज और देवघर की की दूरी लगभग 110 किलोमीटर है। इसमें करीब 100 किलोमीटर का रास्ता बिहार राज्य के अंतर्गत आता है और बाकी बचे 10 किलोमीटर का रास्ता झारखंड के देवघर जिले के अंतर्गत आता है। कांवड़ियों के अनुसार सुल्तानगंज से जल लेने के बाद बिहार राज्य के अंतर्गत आने वाले रास्ते पर कांवड़ियों को कोई तकलीफ ना हो इसके लिए बहुत अच्छी व्यवस्था की गई है, जबकि झारखंड घुसते ही अगले 10 किलोमीटर का रास्ता बहुत खराब है। इसी की शिकायत रास्ते पर चलने वाले कांवड़िया ने देवघर के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री से की थी।
इस शिकायत के बाद देवघर के उपायुक्त ने रास्ते की स्थिति को देखने के बजाय 100 किलोमीटर दूर से चलकर आ रहे कांवड़ियों के तकलीफों पर ही सवाल उठा दिया। उन्होंने उसी कांवड़िया से पूछा कि वह किस दल से आते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप उनकी तरफदारी कर रहे हैं तब तो सब कुछ ठीक है और अगर आपने शिकायत कर डाली तो आप किसी न किसी विपक्षी दल से ही आते होंगे।
झारखंड के महागामा विधानसभा से आने वाले शिवभक्त विवेकानंद शर्मा से बताया कि देवघर के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री का यह बयान बड़ा ही अजीबोगरीब है। उन्होंने यह भी बताया कि बिहार के हिस्से में कांवड़िया पथ बहुत अच्छा है लेकिन जैसे ही झारखंड में प्रवेश करते हैं तो सड़क बहुत ही खराब मिलती है । इस कारण शिवभक्तों के पैरों में छाले पड़ जाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वह एक साधारण दुकानदार है और किसी भी पार्टी से उनका कोई वास्ता नहीं है। किसी भी प्रशासनिक पदाधिकारी को इस तरह के सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है। सरकार को ऐसे अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने भी कहा कि मंजूनाथ भजंत्री को शिवभक्त कांवड़ियों की पीड़ा और आपबीती में राजनीति दिख रही है। ऐसे अधिकारियों के कारण नौकरशाही की बदनामी होती है। उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इन्हें निलंबित कर कठोर कार्रवाई की मांग की है।
यहां जिस मंजूनाथ की बात हो रही है ये वही अधिकारी हैं, जिन्हें चुनाव आयोग ने गलत रिपोर्ट देने पर फटकार लगाई थी। इनपर मधुपुर उपचुनाव के 6 महीने के बाद गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे पर दुर्भावना से ग्रसित होकर प्राथमिकी दर्ज कराने का भी आरोप लगा है। इस प्राथमिकी को चुनाव आयोग ने भी गलत ठहराया था और इसी पर डांट पड़ी थी। उनपर राजभवन का भी फोन ना उठाने का आरोप है। जमीन से जुड़े एक मामले को लेकर रांची उच्च न्यायालय ने भी भजंत्री की एक बार खिंचाई की है।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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