एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस सरकार ने मंत्री परिषद में एक निर्णय लेकर महाराष्ट्र में सार्वजनिक धार्मिक उत्सवों पर ठाकरे सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध हटा दिए हैं। 2020 में कोरोना के चलते धार्मिक उत्सवों को सार्वजनिक रूप से मनाने पर प्रतिबंध लगा दिए गए थे। आश्चर्य की बात यह थी कि यह पाबंदियां केवल हिन्दू धार्मिक उत्सव तथा त्योहारों पर लगी थीं।
बीते 30 जून की शाम महाराष्ट्र में सत्तान्तरण हुआ और ‘महास्थगिति सरकार’ के नाम से बदनाम ठाकरे सरकार की जगह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे तथा उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में नई सरकार ने कार्यभार संभाला। कार्यभार संभालते ही पहली ही मंत्रिपरिषद बैठक में शिंदे-फडणवीस सरकार ने मुंबई की मेट्रो रेल परियोजना के कारशेड (रेल डिपो) पर ठाकरे सरकार की लगाई रोक हटा दी। मुंबई के गोरेगांव इलाके मेें आरे के परिसर में बनने वाले इस मेट्रो कार शेड का 25 प्रतिशत काम पूरा होने के बावजूद ठाकरे सरकार ने केवल ठाकरे पिता-पुत्र के अहंकार के चलते इस पर रोक लगा रखी थी।
मुंबई में बन रही मेट्रो रेल परियोजना में कार शेड के लिए सबसे उपयुक्त जगह आरे परिसर होने की बात कई तकनीकीविज्ञों की अनेक समितियों ने अधोरेखित की थी तथा न्यायालय ने भी इस बात को प्रमाणित किया था। फिर भी उद्धव तथा आदित्य ठाकरे के अहंकार के कारण इस जगह कार शेड बनाने पर रोक लगा दी गई थी। वर्ष 2020 की पहली छमाही में इस पूरी परियोजना का लोकार्पण होना था, इसके बजाय वह ढाई वर्ष से ठप पड़ी थी। जबकि मेट्रो रेल मार्गों तथा स्थानकों का निर्माण 2019 के अंत तक ही लगभग पूरा हो चुका था। अब पूरे जोर से मेट्रो रेल परियोजना का काम फिर से शुरू हो गया है। मुंबई मेट्रो रेल प्राधिकरण की अध्यक्षा व प्रबन्ध निदेशक श्रीमती अश्विनी भिड़े को उस पद से ठाकरे सरकार ने हटाया था, उन्हें बहाल कर तुरंत उसी पद पर लाया गया है।
ठाकरे सरकार ने रोक लगाने के कारण ठप पड़ी मेट्रो रेल परियोजना का खर्च पिछले ढाई वर्षों में कम से कम पांच हजार करोड़ बढ़ गया है, जो मुंबई की जनता को भुगतना पड़ेगा। शुरू होने से पहले ही ठाकरे सरकार की इस मूर्खता के कारण मेट्रो रेल की टिकट दरें बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। मेट्रो रेल की जो गाड़ियां यूरोप से आने वाली थीं, ठाकरे सरकार ने उन्हें स्वीकारने से भी इनकार किया था, क्योंकि कार शेड न होने के कारण वहां गाड़ियां रखने की जगह नहीं थी। इस कारण जिन कंपनियों ने वे गाड़ियां बनाई थीं, उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को ब्लैक लिस्ट कर दिया है। अब महाराष्ट्र के शिंदे-फडणवीस सरकार के सामने यह भी एक चुनौती है।
धार्मिक उत्सवों से हटे प्रतिबंध
एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस सरकार ने मंत्री परिषद में एक निर्णय लेकर महाराष्ट्र में सार्वजनिक धार्मिक उत्सवों पर ठाकरे सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध हटा दिए हैं। 2020 में कोरोना के चलते धार्मिक उत्सवों को सार्वजनिक रूप से मनाने पर प्रतिबंध लगा दिए गए थे। आश्चर्य की बात यह थी कि यह पाबंदियां केवल हिन्दू धार्मिक उत्सव तथा त्योहारों पर लगी थीं। मुस्लिम समाज के किसी भी उत्सव के सार्वजनिक जश्न पर कोई निर्बंध कोरोना काल में भी नहीं थे। मोहर्रम की यात्राएं, रास्तों पर ईद की सार्वजनिक नमाज, बड़ी रात की रात में दफनभिमियों में होने वाली नमाज तथा पेहरवी, इन सब पर कोई रोक कोरोना काल में ठाकरे सरकार ने नहीं लगाई थी।
हिन्दू समाज में क्रोध का कारण यह था कि कोरोना प्रतिबंध हटने तथा बाजारों के खुलने के बाद भी हिन्दू त्योहारों पर प्रतिबंध जारी रहे। जहां राज्य में मुस्लिम समाज के उत्सव सार्वजनिक तौर पर बड़े धूमधाम से मनाए जा रहे थे, वहीं हिंदुओं के सभी उत्सवों पर प्रतिबंध जारी थे। अनेक संस्था-संगठनों द्वारा तथा सर्वपक्षीय लोकप्रतिनिधियों द्वारा ठाकरे सरकार को बारंबार ज्ञापन देने के बाद भी हिन्दू त्योहारों पर लगे प्रतिबंधों को नहीं हटाया गया।
लेकिन हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहार गणेशोत्सव पर भरपूर निषेध लगाए गए थे। सार्वजनिक गणेशोत्सव में लोगों के दर्शन पर प्रतिबंध था। सार्वजनिक गणेशोत्सवों में वैदिक एवं पौराणिक प्रथाओं के अनुसार हो रहे सार्वजनिक धार्मिक कार्यक्रमों पर पूर्ण प्रतिबंध थे। मुंबई के सांस्कृतिक क्षेत्र में गणेशोत्सव के साथ ही गोकुलाष्टमी (कृष्णजन्मोत्सव) के दूसरे दिन मनाए जाने वाले दही हांडी उत्सव का अनोखा महत्व रहा है। इस दही हांडी उत्सव पर ठाकरे सरकार ने पूरी तरह प्रतिबंध लगा रखा था। सार्वजनिक गणेशोत्सव में गणेश जी की मूर्तियों पर दो फुट की ऊंचाई के सीमा लगाई गई थी जबकि मुंबई का गणेशोत्सव ऊंची मूर्तियों के लिए जाना जाता रहा है।
आश्चर्य तथा हिन्दू समाज में क्रोध का कारण यह था कि कोरोना प्रतिबंध हटने तथा बाजारों के खुलने के बाद भी हिन्दू त्योहारों पर प्रतिबंध जारी रहा। जहां राज्य में मुस्लिम समाज के उत्सव सार्वजनिक तौर पर बड़े धूमधाम से मनाए जा रहे थे, वहीं हिंदुओं के सभी उत्सवों पर प्रतिबंध जारी था। अनेक संस्था-संगठनों द्वारा तथा सर्वपक्षीय लोकप्रतिनिधियों द्वारा ठाकरे सरकार को बारंबार ज्ञापन देने के बाद भी हिन्दू त्योहारों पर प्रतिबंध नहीं हटाए गए।
महाराष्ट्र में गोकुलाष्टमी-दहीहांडी तथा सार्वजनिक गणेशोत्सव की बड़ी धूम रहती है। लाखों की संख्या में लोग शामिल होते हैं। इन उत्सवों के जरिए बाजारों में करोड़ों का व्यापार होता है। मुंबई के एक कपड़ा व्यापारी श्यामसुंदर त्रिवेदी के अनुसार इन त्योहारों के दरम्यान मुंबई के बाजारों में कम से कम सौ से डेढ़ सौ करोड़ का कारोबार होता है। जो लोग गणेशोत्सव के लिए गांव जाते हैं, वह गांव के परिवार के लिए नई वस्तुएं तथा कपड़े ले जाते हैं। सार्वजनिक गणेशोत्सव का स्वरूप मेले जैसा रहता है। इस कारण सार्वजनिक गणेशोत्सव के मंडप के पास लगी दुकानें तथा टपरियों पर हजारों रुपये की बिक्री होती है। इसमें फूलवाले, प्रसाद वाले, पूजा का अन्य सामान बेचने वालों के साथ खिलौने बेचने वाले जैसे छोटे व्यवसायी, मंडप के बाहर चप्पल संभालने वाले, साफ-सफाई तथा रखरखाव करने वाले भी शामिल हैं।
अनेक व्यवसायी इन त्योहारों के दरम्यान हुए कारोबार से छह से आठ महीनों की रोजी-रोटी का प्रबंध कर लेते हैं। इन में से ज्यादातर लोग गरीब या निम्न मध्यमवर्ग से आते हैं। इन सबके लिए त्योहारों पर लगाया गया प्रतिबंध एक बड़ा संकट था। अन्य राज्यों में हिन्दू मंदिरों तथा हिन्दू त्योहारों पर से कोरोना प्रतिबंध हटाए जाने के बाद भी, महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार ने हिन्दू त्योहारों पर लगे प्रतिबंध तथा मंदिरों पर लगे निषेध हटाने से इनकार किया था। राजनीतिक जानकारों की मानें तो इसके पीछे ठाकरे सरकार पर एनसीपी नेता शरद पवार की नीतियों का प्रभाव एक बड़ा कारण बताया जाता है। हिन्दू त्योहारों के माध्यम से समाज में जो वित्तीय कारोबार होता है, उस पर रोजी-रोटी के लिए समाज का एक बड़ा वंचित वर्ग अवलंबित है। यह संख्या लाखों में है। इस तथ्य की अनदेखी कर केवल हिन्दू समाज के त्योहारों पर प्रतिबंध लगाना ठाकरे सरकार की एक राजनैतिक गलती थी, जिसके कारण शिवसेना के ही अनेक लोकप्रतिनिधि ठाकरे सरकार से नाराज चल रहे थे।
महाराष्ट्र की नई शिंदे-फडणवीस सरकार ने अब हिन्दू त्योहारों पर लगे ये सभी प्रतिबंध हटा दिए हैं। अब सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों को तथा दहीहंडी मंडलों को पंजीकरण तथा विविध अनुमतियों के लिए न तो कोई शुल्क भरना होगा, न ही बार-बार पुलिस थाने जाना पड़ेगा। सरकार ने सभी प्रशासकीय तथा पुलिस विभागों को इस बारे में निर्देश जारी कर दिए हैं।
पाठकों को ज्ञात होगा कि मुंबई में दही हांडी उत्सव में सबसे ऊंची दहीहंडी किस मंडल की रहेगी, इसकी बड़ी प्रतिस्पर्धा रहती है। मुंबई से सटे ठाणे शहर में पिछले कुछ वर्षों से मुंबई से भी ऊंची दही हांडी रहती है। जबकि मुंबई के वर्ली में संकल्प प्रतिष्ठान की दही हांडी सबसे ऊंची रहती है, वहीं ठाणे के संस्कृति युवा प्रतिष्ठान की दही हांडी ने 2012 में नौ स्तरों की दही हांडी बनाकर गिनीज बुक में रिकॉर्ड दर्ज किया था। वह नौ स्तरों वाली दही हांडी 43.79 फुट ऊंची थी। मुंबई-ठाणे के दहीहांडी उत्सव की इस विशेषता के कारण ही यूरोप के कई देशों से युवाओं के संघ दहीहांडी खेलने मुंबई आते हैं। इसी कारण मुंबई-ठाणे में दहीहांडी विजेताओं को लाखों रुपयों के पारितोषिक दिए जाते है। इन दही हांडियों के आयोजन में राजनेताओं में प्रतिस्पर्धा चलती है।
मुंबई के सार्वजनिक गणेशोत्सव में भी ऊंची-ऊंची मूर्तियों की परंपरा रही है। 22 से 30 फुट की ऊंचाई की श्रीगणेश मूर्तियां मुंबई की विशेषता हैं। इन मूर्तियों के साथ जो चलती मूर्तियों की झांकियां रही हैं, वह भी एक विशेषता रही है, जिसे चलतचित्र कहा जाता है। मूर्तियों की ऊंचाई तथा चलतचित्र की तकनीकी उलझनों के कारण इन मूर्तियों की निर्मिति में महीनों लगते है। कुशल मूर्तिकारों का एक बड़ा वर्ग इस निर्मिति में लगा रहता है। इन लोगों की रोजी-रोटी यही मूर्ति कला है। ठाकरे सरकार के लगाए प्रतिबंधों के कारण इन मूर्तिकारों को दो वर्षों से रोजी-रोटी की समस्या का सामना करना पड़ा। ठाकरे सरकार ने न उन्हें कोई मदद दी, न कोई अन्य व्यवस्था की। अब शिंदे-फडणवीस सरकार द्वारा मूर्तियों की ऊंचाई पर से प्रतिबंध हटाने से इन मूर्तिकारों में भी खुशी व्याप्त है।
महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार ने हिन्दू त्योहारों पर लगे प्रतिबंध तथा मंदिरों पर लगे निषेध हटाने से इनकार किया था। राजनीतिक जानकारों की मानें तो इसके पीछे ठाकरे सरकार पर एनसीपी नेता शरद पवार की नीतियों का प्रभाव एक बड़ा कारण बताया जाता है। हिन्दू त्योहारों के माध्यम से समाज में जो वित्तीय कारोबार होता है, उस पर रोजी-रोटी के लिए समाज का एक बड़ा वंचित वर्ग अवलंबित है। यह संख्या लाखों में है।
विश्व हिन्दू परिषद ने हिन्दू त्योहारों पर से प्रतिबंध हटाने तथा श्रीगणेश की मूर्तियों की ऊंचाई पर से प्रतिबंध हटाने के शिंदे -फडणवीस सरकार के निर्णय का जोरदार स्वागत किया है। सार्वजनिक गणेशोत्सव महामंडल ने भी इस निर्णय का स्वागत किया है। वही व्यापारी संगठनों का कहना है कि अब त्योहारों पर प्रतिबंध हटाने से मुंबई के बाजारों के कारोबार में तेजी आएगी तथा पिछले दो-ढाई वर्षो से जो वित्तीय मंदी का डर सता रहा था, वह हट जाएगा।
जलयुक्त शिवार योजना को संजीवनी
भाजपा की पिछले फडणवीस सरकार ने गांवों में तथा खेती के उत्तम जल आपूर्ति के लिए ‘जलयुक्त शिवार’ योजना शुरू की थी, जिसे बहुत यश प्राप्त हो रहा था। इस योजना के जरिए गांवों में स्थानिक जल संसाधनों की निर्मिति तथा रखरखाव गांवों के ही जरिए करने पर जोर था। इस विकेंद्रीकरण के कारण स्थानिक स्तर पर जलापूर्ति करना आसान हुआ। इसी योजना के कारण महाराष्ट्र के अकालग्रस्त भागों में भूजल का स्तर प्रशंसनीय रूप से बढ़ गया था। लेकिन ठाकरे सरकार ने अपने अहंकार के कारण इस अच्छी योजना को बंद कर दिया था। अब शिंदे-फडणवीस सरकार ने पहली ही मंत्रीपरिषद बैठक में प्रशासन को यह योजना तुरंत शुरू करने के निर्देश दिए हैं। इससे ग्रामीण विभागों में तथा खेती के लिए विशेषत: अकालग्रस्त भागों में आवश्यक जलापूर्ति हो सकेगी।
ठाकरे सरकार ने अपने अहंकार, फडणवीस एवं भाजपा से विद्वेष तथा शरद पवार के दबाव के कारण जिन-जिन लोककल्याणकारी परियोजनाओं और नीतियों पर रोक लगाई थी, उन सभी परियोजनाओं को शिंदे सरकार पुन: शुरू कर रही है तथा नीतियां पुन:प्रस्थापित की जा रही हैं। कुल मिलकर ठाकरे सरकार के कारण पिछले ढाई वर्षों से ठप पड़ा महाराष्ट्र मुख्यमंत्री शिंदे तथा उपमुख्यमंत्री फडणवीस के नेतृत्व में अब पुन: तेज गति से चल पड़ा है।
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