कोविड-19 के प्रभाव से उबरते हुए और अन्य अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों के बीच सकल घरेलू उत्पाद की हमारी लगभग 8 प्रतिशत की वर्तमान वृद्धि दर भारत के मजबूत आर्थिक आधार तत्वों को दर्शाती है। मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, स्टार्टअप इंडिया जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रम वर्तमान नेतृत्व द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विकास के इंजन बने हैं।
वर्ष 2047 ई. में भारत अपनी स्वतंत्रता का 100वां वर्ष मनाएगा। अगले 25 वर्ष में दुनिया सामाजिक-आर्थिक विकास के क्षेत्र में भारतीय नेतृत्व क्षमता को देखेगी और उसकी प्रशंसा करेगी। पिछले कुछ वर्षों के साथ-साथ अगले 5-10 वर्ष में हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम की कड़ी मेहनत से भारत को दुनिया के एक अग्रणी राष्ट्र में बदलने के मार्ग के प्रशस्त होने की संभावना है। हम दुनिया की शीर्ष 2-3 अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में उभरेंगे। विशेष रूप से कोविड-19 के प्रभाव से उबरते हुए और अन्य अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों के बीच सकल घरेलू उत्पाद की हमारी लगभग 8 प्रतिशत की वर्तमान वृद्धि दर भारत के मजबूत आर्थिक आधार तत्वों को दर्शाती है। मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, स्टार्टअप इंडिया जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रम वर्तमान नेतृत्व द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विकास के इंजन बने हैं।
शिक्षा में मूलभूत परिवर्तन जरूरी
कामकाजी आयु वर्ग (20 से 50 वर्ष के बीच) के अनुमानत: 18 करोड़ लोगों वाले भारत को दुनिया के किसी भी दूसरे देश की तुलना में जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ मिलना तय है। इससे एक सुकाम्य भारत का निर्माण होगा जहां हमारे भाई-बहन एक समतामूलक समाज के रूप में आधुनिक भारत में रह सकेंगे। हालांकि, अधिक युवाओं के कार्यशील आयु वर्ग में प्रवेश करने के साथ यह आवश्यक है कि रोजगार के अवसर और रोजगार पैदा करने के अवसरों का सृजन किया जाए। यदि हम ऐसे अवसर पैदा करने में विफल रहते हैं तो यह तथाकथित आर्थिक लाभांश राष्ट्र के लिए एक बोझ बन जाएगा। इसलिए, ‘विजन 2047’ हासिल करने के लिए भारत को स्कूली और उच्च शिक्षा के स्तर पर शिक्षा प्रणाली में मूलभूत परिवर्तन की आवश्यकता है।
कौशल विकास को प्रोत्साहन
- उन्नत भारत अभियान (यूबीए) के तहत आईआईआईटी श्री सिटी ने आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले में पांच पड़ोसी गांवों को गोद लिया है।
- ‘यूबीए-परियोजना’ के तहत छात्रों को इन गांवों की चिह्नित समस्याओं के लिए प्रौद्योगिकी आधारित समाधान खोज कर चार अकादमिक क्रेडिट अर्जित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
- डिजिटल जागरूकता के अलावा महिलाओं और वृद्धों के लिए चिकित्सा शिविर तथा बच्चों के लिए कंप्यूटर शिविरों का नियमित आयोजित किया जाता है। इन गतिविधियों में शामिल होने से छात्रों में समाज की, खासकर ग्रामीण भारत में रहने वालों की, आवश्यकताएं समझने के लिए आवश्यक कौशल विकसित करने में मदद मिलती है।
- छात्रों को एक अनुभव-आधारित व्यक्तिगत विकास कार्यक्रम से गुजरने का अवसर मिलता है जो उन्हें प्रमुख लक्षणों के समूह के माध्यम से अपने व्यक्तित्व को समझने और जीवन कौशल के विकास के लिए व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाने में मदद करता है।
- चार-वर्षीय बीटेक कार्यक्रम के पहले दो वर्ष में संचार कौशल पर चार पाठ्यक्रमों के अलावा ‘सेवायोजनीयता के लिए सॉफ्ट स्किल्स’ पर केंद्रित एक पाठ्यक्रम शुरू किया गया है।
नई शिक्षा नीति की रूपांतरकारी भूमिका
शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह से सुधारने और सभी क्षेत्रों में विकास को गति देने के नए रास्ते बनाकर राष्ट्र को भविष्य के लिए तैयार करने के उद्देश्य से हमारी सरकार की सबसे महत्वपूर्ण और व्यापक पहलों में से एक है— नई शिक्षा नीति 2020 (एनईपी 2020)। वैसे एनईपी 2020 हमारी मौजूदा शिक्षा प्रणाली की कुछ कमियों को दूर करती है, तथापि इसके केंद्र में मुख्य रूप से हमारे युवाओं को राष्ट्र निर्माण में सबसे आगे रह सकने में सक्षम और प्रतिबद्ध व्यक्ति बनने के लिए तैयार करना है। पूर्ववर्ती शिक्षा नीतियों का उद्देश्य केवल वृद्धिशील सुधार था लेकिन वे भारत की वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनने की क्षमताएं देख सकने में विफल रही हैं। अतीत में हमारे नीति निर्माता औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त थे और ‘राष्ट्र प्रथम’ मानसिकता से प्रेरित हमारे वर्तमान नेताओं के विपरीत उनमें देश को लेकर कोई दृष्टि और प्रतिबद्धता नहीं थी।
कौशल विकास होगा परिवर्तनकारी
नई शिक्षा नीति 2020 व्यापक रूप से कौशल विकास, लचीलेपन, बहु-विषयकता, समता और समावेशिता, समग्र शिक्षा, मूल्य शिक्षा आदि कई पहलुओं पर केंद्रित है। इनमें से, कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करना राष्ट्र के परिकल्पित सामाजिक-आर्थिक नेतृत्व के लिए परिवर्तनकारी तत्व साबित होगा। हमारे देश की उच्च शिक्षा, विशेष रूप से स्वतंत्रता के बाद, आवश्यक रूप से इसके अपेक्षित परिणामों के अनुरूप नहीं थी। अर्थव्यवस्था और समाज के लिए जो आवश्यक था और हमारी उच्च शिक्षा प्रणाली ने जो देने का प्रयास किया, उनके बीच किसी भी स्तर पर कोई तालमेल नहीं था। उच्च शिक्षा में कौशल पर जोर की कमी ने एक तरह से अनुचित नीतियों और पहलों के रास्ते देश को बर्बाद कर दिया। यही वजह है कि नई शिक्षा नीति 2020 हमारे देश के सामाजिक-आर्थिक विकास की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विशेष रूप से कौशल विकास के इस महत्वपूर्ण पक्ष पर केंद्रित है।
‘हार्ड स्किल्स’ बनाम ‘सॉफ्ट स्किल्स’
परंपरागत रूप से अवधारणाओं और सिद्धांतों के बारे में जानने पर केंद्रित ज्ञान वाली हमारी उच्च शिक्षा बहुत कम अवसरों पर उस कौशल पर केंद्रित होती थी जो नौकरियों, अनुसंधान और नवाचार के लिए ज्ञान को लागू करने की क्षमता का निर्माण करती है। उदाहरण के लिए, हाल तक स्नातकों की सेवायोजनीयता एक बड़ी समस्या थी, विशेष रूप से कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि जैसे सबसे महत्वपूर्ण इंजीनियरिंग विषयों में। जब औद्योगिक विकास के रास्ते रोजगार के अधिक अवसर पैदा हुए तब भी हमने देखा कि स्नातकों की एक बड़ी संख्या रोजगार प्राप्त करने योग्य नहीं थी।
उच्च शिक्षा का ऐसा विरोधाभासी परिणाम अवांछनीय होने के साथ ही युवाओं में तनाव पैदा कर सकता है। नई शिक्षा नीति 2020 के साथ उच्च शिक्षा संस्थानों के शैक्षणिक कार्यक्रमों के आकल्पन और वितरण के तरीकों में मूलभूत परिवर्तनों के माध्यम से कौशल विकास पर महत्वपूर्ण रूप से ध्यान केंद्रित करने का समय आ गया है। आधुनिक युवाओं को एक सफल करियर और सार्थक जीवन के लिए रोजगार कौशल, जीवन कौशल और सामाजिक कौशल की आवश्यकता होती है। इन पर आगे के खंडों में चर्चा की गई है।
रोजगार उत्तरोत्तर योग्यता की बजाय कौशल से जुड़ रहे हैं, इसलिए रोजगार कौशल विकसित करने के व्यवस्थित दृष्टिकोण को पाठ्यक्रम आकल्पन और वितरण का अभिन्न अंग होना चाहिए। रोजगार कौशल को हार्ड स्किल्स (ज्ञान) और सॉफ्ट स्किल्स (व्यावहारिक कौशल) में बांटा गया है। हार्ड स्किल्स के केंद्र में अध्ययन के चयनित क्षेत्र का मुख्य जोर तकनीकी कौशल पर होता है। इसके अलावा, हार्ड स्किल्स भी दो प्रकार के होते हैं- बुनियादी कौशल और उन्नत कौशल। उदाहरण के लिए, कंप्यूटर साइंस में बी.टेक. कार्यक्रम में कोडिंग कौशल बुनियादी कौशल का हिस्सा होते हैं। जबकि किसी विशिष्ट रोजगार श्रेणी के लिए उससे संबंधित विशेष कौशल उन्नत कौशल की श्रेणी में होता है। उद्योगों के लिए बिलकुल तैयार स्नातक विकसित करने के लिए आईआईआईटी श्री सिटी में तीन प्रयोगोन्मुखी पाठ्यक्रमों के माध्यम से छात्रों का सांगोपांग विकास (फुल स्टैक डेवलपमेंट) किया जा रहा है।
नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार प्रत्येक विषय, व्यवसाय और पेशे के लिए राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क को और आगे तक निर्धारित किया जाएगा। एक सेमेस्टर की इंटर्नशिप के माध्यम से व्यावहारिक औद्योगिक प्रशिक्षण के साथ ये उन्नत कौशल व्यापक हो जाएंगे। एनईपी 2020 के तहत ‘स्किल इंडिया’ कार्यक्रम की प्रासंगिकता नए सिरे से स्थापित होगी और कार्यक्षेत्र विशेष की कौशल परिषदें (सेक्टर स्किल काउंसिल-एसएससी) भी विविध क्षेत्रों की कौशल आवश्यकताओं की प्रतिपुष्टि कर सकती हैं।
सॉफ्ट स्किल्स या मृदु कौशल प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए हार्ड स्किल (पारम्परिक ज्ञान) के पूरक और सम्पूरक हैं। ये कौशल ही तकनीकी रूप से कुशल व्यक्ति को एक पेशेवर व्यक्ति में बदलते हैं। वहीं सॉफ्ट स्किल्स दूसरों के साथ काम करने की क्षमता में सुधार लाने और लोगों के करियर को सकारात्मक रूप से गति देने का अनिवार्य हिस्सा हैं। सॉफ्ट स्किल्स को मोटे तौर पर संचार और अंतर्वैयक्तिक कौशल के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, लेकिन इनमें प्रस्तुति, बातचीत, टीम वर्क नेटवर्किंग और संघर्ष समाधान जैसे विशिष्ट कौशल भी शामिल होते हैं। इनमें से कुछ कौशल उन व्यक्तियों के लिए कहीं अधिक महत्वपूर्ण होते हैं जो करियर विकल्प के रूप में उद्यमिता को चुनते हैं। उदाहरण के लिए, आईआईआईटी श्री सिटी ने 4-वर्षीय बीटेक कार्यक्रम के पहले दो वर्ष में संचार कौशल पर चार पाठ्यक्रम और ‘रोजगार के लिए सॉफ्ट स्किल्स’ पर केंद्रित एक पाठ्यक्रम शुरू किया है।
ये पाठ्यक्रम छात्रों को आवश्यक सॉफ्ट स्किल हासिल करने में मदद करते हैं और इस प्रकार वे बड़े निगमों और सफल विशिष्ट स्टार्टअप में ऊंचे दर्जे की नौकरियां पाने सक्षम होते हैं। सॉफ्ट स्किल्स के महत्व को स्वीकार करते हुए, नई शिक्षा नीति 2020 इस बात के पक्ष में तर्क देती है कि उच्च शिक्षा के संस्थान भी सॉफ्ट स्किल्स सहित विभिन्न कौशलों में लघु अवधि के सर्टिफिकेट कोर्स आयोजित करेंगे। सह-पाठयक्रम गतिविधियों के साथ कक्षा शिक्षण का सहज एकीकरण प्रभावी रूप से कार्य कौशल का विकास करता है।
जीवन कौशल: मानसिक स्वास्थ्य
स्वामी विवेकानंद के अनुसार, शिक्षा मनुष्य में पहले से मौजूद पूर्णता की अभिव्यक्ति है। ऐसी पूर्णता आत्म या स्व के विकास के माध्यम से प्राप्त की जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) जीवन कौशल को अनुकूलन और सकारात्मक व्यवहार की क्षमता के रूप में परिभाषित करता है जो किसी व्यक्ति को रोजमर्रा की जिंदगी की मांगों और चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निबटने में सक्षम बनाती है। वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए किसी भी स्थिति से सकारात्मक रूप से निबटने के इन कौशलों की आवश्यकता होती है।
एनईपी 2020 के अनुसार, शिक्षा का उद्देश्य न केवल संज्ञानात्मक विकास होगा, बल्कि चरित्र निर्माण और 21वीं सदी के प्रमुख कौशल से लैस समग्र और पूर्ण विकसित व्यक्तियों का निर्माण भी होगा। कुछ सदियों पहले तक भारत-केंद्रित शिक्षा में इन पहलुओं पर ध्यान दिया जाता था। योग और ध्यान का उच्च शिक्षा के अंग के रूप में एकीकरण आंतरिक शक्ति वाले व्यक्तियों के विकास की दिशा में दूर तक जाएगा। योग और ध्यान पर प्राथमिक ध्यान देने के साथ ही आईआईआईटी श्री सिटी ‘द आर्ट आफ लिविंग’ के सहयोग से सभी छात्रों को ‘आधारीय मानव मूल्यों’ पर क्रेडिट अर्जित करने वाला पाठ्यक्रम प्रदान कर रहा है।
नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, दुनिया तेजी से आपस में जुड़ रही है। वैश्विक नागरिकता शिक्षा समकालीन वैश्विक चुनौतियों की प्रतिक्रिया है। हमें शिक्षार्थियों को वैश्विक मुद्दों के बारे में जागरूक होने और उन्हें समझने वाला बनाने के साथ ही उन्हें अधिक समावेशी, सहिष्णु, सुरक्षित एवं टिकाऊ समाजों के सक्रिय उन्नायक बनने में सक्षम बनाने की आवश्यकता है।
हर कोई अपने करियर में उत्कृष्टता प्राप्त करना और इसके माध्यम से जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने का इच्छुक होता है। नई शिक्षा नीति 2020 में पाठ्यक्रम के अंग के रूप में व्यक्तित्व विकास पर भी जोर दिया गया है। व्यक्तित्व विकास किसी भी तरह की स्थिति को संभालने की ताकत देता है और किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संघर्ष का सामना करने का साहस प्रदान करता है। आईआईआईटी श्री सिटी के छात्र व्यक्तिगत विकास कार्यक्रम के एक अनुभव-आधारित पाठ्यक्रम से गुजरते हैं जो उन्हें प्रमुख लक्षणों के समूह के माध्यम से अपने व्यक्तित्व को समझने और जीवन कौशल के निर्माण के लिए व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाने में मदद करता है।
सामाजिक कौशल: वैश्विक नागरिकता की ओर
नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, दुनिया तेजी से आपस में जुड़ रही है। वैश्विक नागरिकता शिक्षा समकालीन वैश्विक चुनौतियों की प्रतिक्रिया है। हमें शिक्षार्थियों को वैश्विक मुद्दों के बारे में जागरूक होने और उन्हें समझने वाला बनाने के साथ ही उन्हें अधिक समावेशी, सहिष्णु, सुरक्षित एवं टिकाऊ समाजों के सक्रिय उन्नायक बनने में सक्षम बनाने की आवश्यकता है। ऐसी वैश्विक नागरिकता को समग्र शिक्षा के अभिन्न अंग के रूप में पोषित किया जाता है, और इसे कई रूपों में प्राप्त किया जाता है। सबसे पहले, इसे सीखने के समावेशी माहौल के माध्यम से प्रदर्शित करते हुए साथी छात्रों की आवश्यकताओं को समझने और उनके अभिग्रहण की क्षमता के विकास के रूप में देखा जा सकता है।
आईआईआईटी श्री सिटी में फेवरिट 25 नामक स्वैच्छिक परामर्श कार्यक्रम चलाया जाता है जिसके माध्यम से छात्रों के समूह अकादमिक गतिविधियों में धीमी गति रखने वालों की मदद करते हैं। दूसरे, इसे सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समुदायों के सामने आने वाली चुनौतियों को पहचानने की क्षमता के रूप में पहचाना जा सकता है। आईआईआईटी श्री सिटी ने अपने उन्नत भारत अभियान के तहत पांच पड़ोसी गांवों को गोद लिया है और छात्र सक्रिय रूप से बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों के हित में संचालित विभिन्न गतिविधियों में संलग्न होते हैं। हाल ही में ‘उन्नत भारत अभियान परियोजना’ के तहत छात्रों को इन गांवों में चयनित समस्याओं के लिए प्रौद्योगिकी-आधारित समाधान खोज कर 04 अकादमिक क्रेडिट अर्जित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाने लगा है।
तीसरे, भारत विविधताओं से भरा देश है जो विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों, जलवायु परिस्थितियों आदि विशिष्टताओं से परिलक्षित होता है, तथापि एक राष्ट्र के रूप में हम एकजुट हैं। अगली पीढ़ी की जिम्मेदारी है कि वह हमारे अतीत के गौरव को भविष्य में ले जाए। इसके लिए हमारे प्रत्येक समुदाय की विशिष्टता और भारतीय संस्कृति से उनके जुड़ाव को समझने की क्षमता की आवश्यकता है। ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ कार्यक्रम का उद्देश्य भाषा सीखने, संस्कृति, परंपराओं, संगीत तथा पर्यटन आदि क्षेत्रों में निरंतर और संरचित सांस्कृतिक संबंध को बढ़ावा देना है। आईआईआईटी श्री सिटी के छात्र इस कार्यक्रम के अंतर्गत ऐसे आयोजन करते हैं जो भाईचारे को बढ़ावा देते हैं। चौथे, ‘स्टडी इन इंडिया’ कार्यक्रम जैसे कार्यक्रम तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला और वल्लभी आदि विश्वविद्यालयों के गौरवशाली दिनों को वापस लाने का मार्ग प्रशस्त करेंगे। उम्मीद है कि भारत ज्ञान के केंद्र के रूप में उभरेगा जिसमें हमारे युवाओं को ‘दुनिया एक परिवार है’ की मानसिकता विकसित करने की आवश्यकता होगी।
निष्कर्षत: कहा जा सकता है कि भारत में प्रतिभाशाली युवाओं की कोई कमी नहीं है और उनकी पहचान करना तथा उन्हें आवश्यक कौशल प्रदान किया जाना अनिवार्य है। कौशल विकास पर अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रमों और संगठनों के सहयोग से नई शिक्षा नीति 2020 अगले कुछ दशकों में एक मजबूत और जीवंत भारत का निर्माण करने में सक्षम होगी।
(लेखक भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान,
श्री सिटी, जिला- तिरुपति, आंध्र प्रदेश के निदेशक हैं)
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