यूरोपीय देशों में बीते साल चावल के निर्यात में पंद्रह प्रतिशत की कमी आई है जिसके पीछे ये कारण बताया गया था कि बासमती चावल में कीटनाशको का मैक्सिमम रेजिडयू लेवल अधिक था। भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने इस बारे में सभी राज्यो को और जिला कृषि अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किए है।
उत्तराखंड में कृषि अधिकारी बी0के0एस0यादव ने बताया कि बासमती धान में ट्राईसाइक्लेजोल एवं अन्य कीटनाशी के अवशेष मैक्सिमम रेजीडयू लेवल से अधिक पाये जाने के कारण यूरोपीय देशों को बासमती धान का निर्यात वर्ष 2020-21 के मुकाबले वर्ष 021-22 में 15 प्रतिशत कम हुआ है।
उन्होने बताया कि सभी जनपदो के समस्त बासमती उत्पादक कृषक बंधुओं से ये कहा है कि धान की फसल में झोंका रोग के नियंत्रण हेतु ट्राईसाइक्लेजोल फफूंद नाशक के स्थान पर कार्बण्डाजिम 50 प्रतिशत डब्लू0पी0की 500ग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त धान एवं अन्य फसलों में कीट एवं रोग नियंत्रण हेतु फसल बुवाई से पूर्व बीज शोधन, भूमि शोेधन, जड़ शोधन एवं खड़ी फसल में कीट एवं रोगों का नियंत्रण जैविक विधि एवं आई.पी.एम. पद्धति से करें। उन्होने बताया कि किसी भी फसल में संस्तुत की गयी मात्रा से अधिक कीट/व्याधि नाशकों का प्रयोग न करें। उन्होंने कहा राज्य के सभी जिला कृषि केंद्रों को कीट रोग के नियंत्रण के संबंध में जानकारी उपलब्ध है और कृषि अधिकारियों को भी धान किसानों के साथ संवाद करने के लिए फील्ड में जाने को कहा गया है।
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