पंजाब की बाबा फरीद मेडिकल यूनिवर्सिटी में स्वास्थ्य मंत्री द्वारा कुलपति डॉ. राज बहादुर के साथ किए गए दुर्व्यवहार के बाद उन्होंने कहा था कि राज्य में काम का महौल नहीं है। उनके इस कथ्य पर उस समय सच्चाई की मुहर लगती दिखी, जब पीसीएमएस ने दावा किया कि पिछले चार महीनों में 50 के करीब डॉक्टर नौकरी छोड़ चुके हैं या इसके लिए आवेदन कर चुके हैं। राज्य में पहले से ही खस्ताहाल चल रही स्वास्थ्य सेवाओं के लिए यह अत्यन्त दुखद समाचार है।
पंजाब की बाबा फरीद मेडिकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. राज बहादुर ने स्पष्ट कर दिया है कि वे इस्तीफा वापस नहीं लेंगे। उन्होंने सरकार को गाड़ी और गनमैन वापस लौटा दिए हैं। वीसी बनने के बाद सरकार ने उन्हें सुरक्षा समेत यह सुविधाएं दी थी। 6 दिन बीतने के बाद भी सरकार ने उनके इस्तीफे पर फैसला नहीं लिया है। कुछ दिन पहले स्वास्थ्य मंत्री चेतन सिंह जौड़ामाजरा फरीदकोट मेडिकल कॉलेज में चेकिंग करने गए थे। उन्होंने बंद पड़े कैदी वार्ड को खुलवाकर वहां पड़े फटे-गंदे गद्दे में वीसी को लिटाया था। वहीं, पंजाब सिविल सर्विसेज मेडिकल एसोसिएशन ने दावा किया कि आम आदमी पार्टी सरकार बनने के बाद 50 डॉक्टर नौकरी छोड़ चुके हैं। एसोसिएशन के मुताबिक खरड़ अस्पताल की ईएनटी डॉ. मनिंदर कौर ने स्वैच्छिक सेवामुक्ति मांगी। डॉ. कौर को भी स्वास्थ्य मंत्री जौड़ामाजरा ने फटकार लगा खरड़ से बरनाला के धनौला में ट्रांसफर कर दिया था। वह पूर्व सीएम चरणजीत चन्नी की भाभी हैं।
उनके अलावा आई स्पेशलिस्ट डॉ. सुखविंदर देओल ने भी वीआरएस मांगी है। उन्हें बस्सी पठाना सेहत केंद्र से खरड़ अस्पताल में ट्रांसफर किया गया था। उनके अलावा आई सर्जन डॉ. नरेश चौहान, स्किन स्पेशलिस्ट डॉ. संदीप सिंह भी नौकरी छोड़ रहे हैं। इससे पहले अमृतसर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजीव देवगन, वाइस प्रिंसिपल डॉ. कुलार सिंह, मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. केडी सिंह भी इस्तीफा दे चुके हैं।
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