नेशनल हेरल्ड मामले में ईडी ने बड़ी कार्रवाई की है। प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली स्थित नेशनल हेरल्ड के कार्यालय हेराल्ड हाउस में स्थित यंग इंडियन लिमिटेड के कार्यालय को सील कर दिया है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि बिना ईडी की अनुमति के दफ्तर नहीं खोला जाएगा। इससे पहले समाचार एजेंसी की तरफ से बताया गया था कि हेरल्ड हाउस सील किया गया है।
इससे पहले ईडी नेशनल हेरल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी से घंटों पूछताछ कर चुकी है। इसको लेकर कांग्रेस ने विरोध भी किया था। लेकिन ईडी की कार्रवाई जारी है।
दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नेशनल हेराल्ड कार्यालय को सील करते हुए निर्देश दिया कि एजेंसी की अनुमति के बिना परिसर को नहीं खोला जाए। pic.twitter.com/SnkcBUvlTC
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 3, 2022
प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने मंगलवार सुबह नेशनल हेराल्ड के दिल्ली, मुंबई और कोलकाता समेत 16 ठिकानों पर छापे मारे। यह कार्रवाई सोनिया और राहुल गांधी से पूछताछ के बाद की गई।
#CLARIFICATION दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हेराल्ड हाउस में स्थित यंग इंडियन के ऑफिस को सील करते हुए निर्देश दिया कि एजेंसी की अनुमति के बिना परिसर को नहीं खोला जाए। pic.twitter.com/OPmr2FBPGe
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बता दें कि पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ की गई थी। गौरतलब है कि 21 जुलाई को सोनिया गांधी ED दफ्तर पहुंची थीं, जहां उनसे करीब 3 घंटे पूछताछ हुई थी। उसके बाद 26 जुलाई को ईडी ने करीब 6 घंटे तक सवाल-जवाब किए थे। उसके बाद बीते बुधवार को भी सोनिया गांधी से ईडी ने करीब 3 घंटे पूछताछ की थी। इस प्रकार सोनिया गांधी से करीब 12 घंटे पूछताछ की जा चुकी है।
क्या है नेशनल हेरल्ड मामला
नेशनल हेरल्ड का मामला अदालत में है और उसी सिलसिले में यह पूछताछ चल रही है। गांधी परिवार पाक-साफ है, तो चिंता किस बात की? इतने महत्वपूर्ण व्यक्तियों को, जिनके पास साधनों और कानूनी विशेषज्ञों की कमी नहीं है क्या यों ही फं साया जा सकता है? पर सड़कों पर आंदोलन चलाकर जांच को रोका जा सकता है क्या? किसी की कार को फूंकने से तो सबूत नहीं मिलेंगे। सड़कों पर उतर कर कांग्रेस शायद अपनी खोई जमीन हासिल करना चाहती है। जमीन मिलेगी या और खिसकेगी?
बहरहाल, सामान्य व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि नेशनल हेरल्ड का मामला क्या है? पिछले दस साल से चल रहे इस मामले के पीछे क्या कहानी है और ईडी की पूछताछ क्यों हो रही है वगैरह? पंडित जवाहर लाल नेहरू की पहल पर 1937 में बनी कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड द्वारा नेशनल हेरल्ड के अलावा हिंदी के दैनिक नवजीवन और उर्दू के दैनिक कौमी आवाज का प्रकाशन किया जाता था। अखबार नेहरू जी की पहल पर शुरू हुआ था, पर इसका मतलब यह नहीं था कि इसमें पैसा उनका ही लगा था। आजादी के बाद कई साल तक सफलता से चलने के बाद कंपनी की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी और अंतत: 2008 में अखबारों को बंद कर दिया गया।
कारोबार को बंद करने के लिए भी कंपनी के पास नकदी नहीं थी। ऐसे में एक सहज समाधान था कि कंपनी की अचल संपत्ति को बेच कर देनदारी पूरी कर ली जाए। पर ऐसा नहीं किया गया, बल्कि कंपनी को कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ का बगैर ब्याज का कर्ज दिया। इसके बाद सन 2010 में यंग इंडियन लिमिटेड नाम से एक कंपनी का गठन हुआ। इस कंपनी के 76 प्रतिशत शेयर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास हैं और शेष शेयर कांग्रेस पार्टी से ही जुड़े लोगों के पास हैं।
कांग्रेस पार्टी से मिले कर्ज को एजेएल चुकाने की स्थिति में नहीं था। 90 करोड़ का यह कर्ज यंग इंडियन लिमिटेड के नाम किया गया। 2010 में ही एजेएल के शेयरों की संख्या का विस्तार हुआ, जिन्हें यंग इंडियन ने हासिल किया। इस प्रकार यंग इंडियन के पास एजेएल के मेजॉरिटी शेयर हो गए हैं। इन शेयरों को खरीदने के लिए यंग इंडियन ने कोलकाता की एक कंपनी से एक करोड़ रुपये लिए। इसमे से 50 लाख रुपये एजेएल को 90 करोड़ के कर्ज की देनदारी हासिल करने के लिए कांग्रेस पार्टी को दिए गए।
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