मुजफ्फरनगर की रहने वाली फरमानी नाज ‘हर हर शंभू’ गाकर ही खासी लोकप्रिय हो चुकी थी। तभी एक मौलाना का मजहब आड़े आ गया। मौलाना ने कहा कि फरमानी नाज को इस तरह का भजन नहीं गाना चाहिए था। उसके बाद बहस शुरू हो गई। फरमानी नाज ने कहा, ‘शादी के बाद एक बेटा पैदा हुआ। बेटे को बीमारी थी। पति ने बिना तलाक दिए दूसरी शादी कर ली। कठिन संघर्ष करके जीवन-यापन हो पाया। एक कलाकार के तौर पर मैंने गाना गया। जब मैं कठिन दौर से गुजर रही थी तब तो कोई मेरा हाल पूछने नहीं आया।’ दरअसल, में मुस्लिम मौलाना, मजहब के हिसाब से फतवे जारी करते रहते हैं। दारुल उलूम देवबंद तो जैसे फतवे की फैक्ट्री बन चुका है।
दारुल उलूम देवबंद अपने विवादित फतवों के लिए दुनिया भर में जाना जाने लगा है। दारूल उलूम देवबंद अभी तक एक लाख से ज्यादा फतवे जारी कर चुका है। वर्ष 2005 से दारूल उलूम ने फतवा के लिए ऑनलाइन विभाग भी स्थापित कर दिया। दारूल उलूम की वेबसाइट पर करीब 35 हजार फतवे उर्दू में और लगभग 9 हजार फतवे इंग्लिश में अपलोड किये गए हैं। फतवा विभाग के ऑनलाइन हो जाने से मुसलमानों की ओर से वेबसाइट पर सवाल आदि भी पूछे जाते हैं। दारूल उलूम अभी तक कई विवादित फतवे जारी कर चुका है। जारी किए गए फतवों में मुस्लिम महिलाएं, गैर मर्द से मेहंदी न लगवाएं। सीसीटीवी लगवाना हराम बताया गया है। ईद पर गले मिलने को लेकर दारूल उलूम का फतवा काफी सुर्खियों में छाया रहा।
ईद पर गले मिलना इस्लाम की नजर में अच्छा नहीं
दारूल उलूम की वेबसाइट पर फतवा के संबंध में ऑनलाइन व्यवस्था हो जाने के बाद मजहबी लोग इस्लाम के बारे में सवाल आदि भी पूछते हैं। वर्ष 2019 में ईद के ठीक पहले पाकिस्तान के एक व्यक्ति ने ऑनलाइन यह सवाल पूछा कि अगर कोई व्यक्ति आगे बढ़कर ईद की बधाई देने आता है तो क्या उससे गले मिलना ठीक रहेगा ? इस सवाल का जवाब देने के साथ ही दारुल उलूम देवबंद की तरफ से फतवा जारी किया गया। फतवे में कहा गया कि ‘ईद के अवसर पर अगर कोई आगे बढ़ कर गले मिलने का प्रयास करता है तो उसको रोक देना चाहिए। ईद के मौके पर एक-दूसरे से गले मिलना इस्लाम की नजर में अच्छा नहीं है।’ ईद के अवसर पर दारूल उलूम का यह फतवा सोशल मीडिया पर खूब जमकर वायरल हुआ था और कुछ लोगों ने इसकी आलोचना भी की थी।
‘भारत माता की जय’ बोलने पर भी मनाही है फतवे में
कुछ समय पहले, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के सांसद ओवैसी ने कहा था कि ‘चाहे उनकी गर्दन पर चाकू भी रख दी जाय तब भी वह भारत माता की जय नहीं बोलेंगे।’ ओवैसी के इस बयान के बाद तमाम मजहबी लोगों ने दारूल उलूम से सवाल पूछा कि “जिस तरह से मुसलमान, वन्दे मातरम से परहेज करता है, क्या उसे भारत माता की जय बोलने से भी बचना चाहिए ?” इस पर दारुल उलूम की बैठक बुलाई गई। बैठक के बाद मौलाना लोगों ने फतवा जारी किया कि ‘मुसलमान, अल्लाह के अलावा किसी की इबादत नहीं कर सकते। भारत माता की जय बोलने का तात्पर्य एक तरह से पूजा करने को लेकर है इसलिए मुसलमानों को भारत माता की जय नहीं बोलना चाहिए।’
‘भारत माता की जय’ बोलने के संबंध में फतवा जारी होने के बाद उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने वर्ष 2018 के जुलाई माह में यह आदेश जारी किया कि ‘वक्फ की जितनी भी संपत्तियां हैं, वहां पर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडा फहराने के बाद ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाया जाएगा, जो कोई भी ऐसा नहीं करेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’
शैतान घूरता है महिलाओं को
वर्ष 2018 में दारुल उलूम का एक और फतवा भी खूब चर्चा में रहा जिसमें कहा गया कि जब कोई महिला घर से निकलती है तो शैतान उसे घूरता है इसलिए बगैर किसी जरूरत के महिलाएं घर से बाहर न निकलें। बहुत जरूरी हो, तभी घर से बाहर निकलें, जब भी महिलाएं घर से निकले ढीला वस्त्र पहन कर निकलें। वर्ष 2018 में ही सऊदी अरब में एक फतवा जारी किया गया। दारूल उलूम ने भी इस फतवे का समर्थन किया। इस फतवे में मुस्लिम महिलाओं के फुटबॉल मैच देखने पर पाबंदी लगाई गई। फतवे में कहा गया कि ‘फुटबाल खिलाड़ी हाफ नेकर पहनकर मैच खेलते हैं। मुस्लिम महिलाओं की नजर उनके घुटनों पर पड़ती है. गैर मर्दों के घुटनों को देखना इस्लाम में गुनाह है।’
इसी प्रकार दारूल उलूम ने मुस्लिम महिलाओं के लिए फतवा जारी किया कि वह बाजार में गैर मर्द से चूड़ी न पहनें। जिन मर्दों से खून का रिश्ता न हो, उनके हाथ से चूड़ी पहनना गुनाह है। ऐसे मर्दों के हाथों से चूड़ी पहनने का इरादा लेकर, घर से बाहर निकलना भी गुनाह है। एक अन्य फतवे में कहा गया कि मुस्लिम महिलाएं गैर मर्दों से मेहंदी न लगवाएं, यह गैर इस्लामिक है और शरीयत कानून में अस्वीकार्य है।
एक और फतवा काफी विवादित रहा जिसमें कहा गया कि ‘मुसलमान अपनी संपत्तियों का बीमा न कराएं और न ही अपना मेडिकल बीमा कराएं। इस प्रकार का बीमा कराने से ब्याज मिलता है। ब्याज लेना इस्लाम में हराम माना जाता है। इसी प्रकार सीसीटीवी को गैर इस्लामिक ठहराया गया है। फतवे में कहा गया कि इस्लाम में फोटो खींचना हराम है। सीसीटीवी में फोटो खींची जाती है इसलिए यह गैर इस्लामिक है।
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