वनवासी इलाकों में समाज ने किया मतांतरण का विरोध, सनातन छोड़ने वालों को शव दफनाने से रोका

ग्रामीणों का कहना है कि जब उन्होंने हिंदू धर्म छोड़ दिया है तो फिर हिंदुओं के श्मशान घाट में क्यों जा रहे थे। जिनके कहने पर उन्होंने अपने मूल धर्म का त्याग कर दिया, उन्हीं की जमीन में अंतिम संस्कार करें।

Published by
Manish Chauhan

सोशल मीडिया में बीते दिनों एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें कुछ लोग एक शव को लेकर अंतिम संस्कार करने के लिए मरघट की ओर बढ़ रहे थे, लेकिन ग्रामीणों का एक झुंड अर्थी के पास पहुंचकर धक्का-मुक्की करता नजर आ रहा था। उस वीडियो को लेकर लोग तरह-तरह की बातें और दावे कर रहे थे, लेकिन आज हम आपको उस वीडियो की सच्चाई और विवाद की सही वजह बताएंगे।

वीडियो छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के नागलसर गांव का था। शव दफनाने जा रहे परिवार से गांव के लोग नाराज थे क्योंकि इस परिवार ने सनातन धर्म छोड़कर ईसाई पंथ अपना लिया था। इसीलिए गांव के लोगों ने इन्हें अपने श्मशान में शव दफनाने से मना कर दिया था।

ग्रामीणों ने बताया कि वीडियो में अपने आप को पीड़ित दिखा रहा परिवार वनवासी समुदाय का ही है। कुछ दिन पहले कुछ लोगों की बातों में आकर इन्होंने हिंदू धर्म छोड़ दिया और ईसाई बन गए। उसके बाद से पूरा परिवार ईसाई पंथ के अनुसार ही रहता है। सनातन धर्म छोड़ने पर इनसे पूरा गांव नाराज है। इसी बीच उनके परिवार में बुजुर्ग महिला की मौत हो गई, जिसे ये लोग हिंदुओं के श्मशान की तरफ ले जा रहे थे, लेकिन गांव के लोगों ने इन्हें वहां शव दफनाने से मना कर दिया। कई घंटे बाद पुलिस की मदद से उन्हें अपनी जमीन में शव को दफनाना पड़ा।

ग्रामीणों का कहना है कि जब उन्होंने हिंदू धर्म छोड़ दिया है तो फिर हिंदुओं के श्मशान घाट में क्यों जा रहे थे। जिनके कहने पर उन्होंने अपने मूल धर्म का त्याग कर दिया है, उन्हीं की जमीन में अंतिम संस्कार करें। वनवासियों का यह भी कहना है कि हम अपने श्मशान घाट में दूसरे समुदाय के लोगों को अंतिम संस्कार नहीं करने देंगे। अगर हमारे श्मशान घाट में अंतिम संस्कार करना है तो उन्हें वापस हिंदू धर्म में वापसी करनी होगी।

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