उत्तराखंड की तरह मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन हिमाचल में भी अपने पैर जमा रहे है। खबर है कि पांवटा साहिब के मिश्रवाला में मुस्लिम तब्लीगी जमात संगठन ने अपनी गतिविधियों तेज करते हुए यहां अपना मुख्यालय सक्रिय कर दिया है।
हिमाचल में भू कानून प्रभावी है, लिहाजा यहां मुस्लिम आबादी ने उत्तराखंड की तरह अपने पैर नही जमाए है, लेकिन अब धीरे धीरे यहां भी बिना जमीन खरीदे लोग बसने लगे है। माजरा क्षेत्र जोकि सिरमौर जिले का हिस्सा है और यूपी उत्तराखंड की सीमा पर लगा हुआ है यहां सीमा पर पांवटा साहिब है।
पांवटा साहिब वो आध्यात्मिक क्षेत्र है जहां हिंद की चादर, हिंदू धर्म के रक्षक दशम गुरु गोविन्द सिंह की शिक्षा, शस्त्र शिक्षा हुई थी। अब इस क्षेत्र में मुस्लिम तब्लीगी का राज्य मुख्यालय बन गया है। जहां से पूरे राज्य की मुस्लिम मजलिस गतिविधियों का संचालन हो रहा है। हिमाचल का राज्य प्रभारी अमीर हुक्मदिन ही यहां की गतिविधियों का संचालन कर रहा है, साथ में इरशाद नाम का व्यक्ति है जोकि मूलतः सहारनपुर देवबंद का रहने वाला है। देवबंद से ही कट्टरपंथी मुस्लिम मौलाना, मिश्रवाला में तब्लीगी के मुख्यालय में आना जाना करते है।
तब्लीगी जमात ने पूरे हिमाचल में एक योजना के तहत अस्सी फीसदी मुस्लिमो तक अपनी विचारधारा को पहुंचा दिया है। इनकी चालीस चालीस दिनों के कोर्स की जमाते चल रही है। जहां देवबंद ,दिल्ली और मेवात(हरियाणा)से इस्लाम का प्रचार करने वाले आते है।
हिमाचल में 2001से 2011के बीच मुस्लिम आबादी में 20.2फीसदी का इजाफा हुआ है।जबकि इन सालो में हिंदू आबादी 11.21फीसदी बढ़ने के आंकड़े सरकार के दस्तावेजों में दर्ज हुए है। 2011से अब तक मुस्लिम आबादी का लगातार बढ़ना जारी है।
बगीचों में काम करने वाली लेबर से लेकर अन्य छोटे मोटे कामों के लिए यूपी के सहारनपुर,मुजफ्फरनगर, देहरादून के सेलाकुई क्षेत्र से लोग यहां आकर किराए पर बस रहे है।
हिमाचल में भी सरकारी वन भूमि पर उत्तराखंड की तरह मजार जिहाद शुरू हुआ है।एक जानकारी के अनुसार शिमला रोड काला से पांवटा साहिब तक 41अवैध मजारे बन गई है,इन मजारों के पीछे हिमाचल के बरेलवी मुस्लिम संगठनों का हाथ बताया जाता है। ये संगठन सुन्नी तब्लीगी जमात का विरोधी माना जाता है। देवबंद से 1968 में जारी एक फतवे में कहा गया था कि किसी भी मौलाना,मुफ्ती की कोई मजार कब्र दरगाह नही बनाई जाएगी। बरेलवी इस फतवे को नही मानते है।
जानकारी के मुताबिक इन दोनो मुस्लिम संगठनों की हिमाचल में वर्चस्व की लड़ाई भी चल रही है जोकि मजहब प्रचार को लेकर है। चंबा जिले में बशुआ गांव में कुछ समय पहले एक मस्जिद को लेकर दोनो धडो में तनाव भी हुआ था और इसकी पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज हुई थी।
पांवटा साहिब मुस्लिम कट्टरपंथियों का केंद्र बनता जा रहा है इस बारे में कोई संदेह नहीं रह गया है। हालांकि हिमाचल में पुराने रहने वाले मुस्लिम यहां की आबोहावा में बसे हुए है लेकिन पांवटा साहिब से आने वाली कट्टरपंथ की हवा से उनकी नई पीढ़ी प्रभावित दिखती है, बिलासपुर, कांगड़ा, चंबा ,ऊना जिलों में मुस्लिम आबादी बाहरी राज्यों से आकर दबे पांव पैर पसार रही है जिन्हे देख कर अनदेखा भी नही किया जा सकता।
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