दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दायर चार्जशीट पर टिप्पणी करते हुए दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि सत्येंद्र जैन के खिलाफ प्रथम दृष्टया में पर्याप्त सबूत हैं। माना जा रहा है कि अब सत्येंद्र जैन पर ईडी का शिकंजा और कस सकता है। चार्जशीट पर आरोप है कि सत्येंद्र जैन और उनके सहयोगियों ने दिल्ली और उसके आसपास कृषि भूमि खरीदने के लिए हवाला धन का उपयोग किया था।
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि ईडी ने सत्येंद्र जैन के खिलाफ जो सबूत पेश किए हैं, कोर्ट उनसे संतुष्ट है। ये सबूत मनी लॉन्ड्रिंग में सत्येंद्र जैन की संलिप्तता दिखाने के लिए पर्याप्त हैं। कोर्ट ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून-2002 की धारा-4 और धारा-3 के तहत अपराध का संज्ञान भी लिया। ईडी की चार्जशीट में सत्येंद्र जैन और उनके सहयोगियों के खिलाफ हवाला के पैसों का इस्तेमाल करने का आरोप है।
ईडी का कहना है कि जांच में पाया गया, ‘2015-16 के दौरान, सत्येंद्र जैन एक लोक सेवक थे और उनके स्वामित्व वाली और उनके द्वारा नियंत्रित चार कंपनियों को कोलकाता स्थित एंट्री ऑपरेटर्स को नकदी हस्तांतरित करने के बदले मुखौटा कंपनियों की ओर से 4.81 करोड़ रुपये की हवाला राशि प्राप्त हुई थी। उस राशि का इस्तेमाल दिल्ली और उसके आसपास कृषि भूमि खरीदी गई थी।
बता दें कि ईडी ने 27 जुलाई को सत्येंद्र जैन समेत छह आरोपितों और चार कंपनियों को आरोपी बनाया है। ईडी ने चार्जशीट में जिन्हें आरोपी बनाया है, उनमें सत्येंद्र जैन, सत्येंद्र जैन की पत्नी पूनम जैन, सत्येंद्र जैन के करीबी वैभव जैन, अंकुश जैन, सुनील कुमार जैन, अजित कुमार जैन के अलावा अकिंचन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, प्रयास इंफोटेक प्राइवेट लिमिटेड और जेजे आइडियल नामक कंपनियों के नाम शामिल हैं। इस मामले में सत्येंद्र जैन, वैभव जैन और अंकुश जैन पहले से न्यायिक हिरासत में हैं। इस मामले में सत्येंद्र जैन को 30 मई को गिरफ्तार किया गया था। वैभव जैन और अंकुश जैन को 1 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था।
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