मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि राज्य में पेट्रोल और डीजल पर वैट नहीं लगाया जाएगा। पेट्रोल और डीजल पर वैट उत्तर प्रदेश में सबसे कम है। फिलहाल इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि जनहित को ध्यान में रखते हुए वैट में वृद्धि नहीं की गई है। इससे आम जनता को राहत मिलेगी।
राजस्व विभाग ने नवम्बर 2021 से जनवरी 2022 तक व्यापक स्तर पर पंजीयन जागरुकता अभियान चलाया। इसके तहत 8439 कैम्प, 8672 गोष्ठी, 721 मेगा सेमिनार और 5946 होर्डिंग लगाए गए। अभियान में 54,682 नए रजिस्ट्रेशन कराए गए। वर्ष 2021-22 में नए रजिस्ट्रेशन की संख्या देखी जाए तो 2,99,480 रही। वहीं, वर्ष 2022-23 में 1 अप्रैल से 22 जुलाई तक 98,032 नए रजिस्ट्रेशन हुए। अब प्रदेश में जीएसटी में रजिस्टर्ड व्यापारियों की संख्या 18.15 लाख है।
मात्र सौ दिनों में निर्धारित लक्ष्य 35 हजार से अधिक 63,032 नए कारोबारियों का जीएसटी में रजिस्ट्रेशन हुआ है। यही नहीं, जीएसटी रिटर्न में उत्तर प्रदेश देश में पहले पायदान पर है। प्रदेश में मार्च 2021 तक देय रिटर्न 95 प्रतिशत कारोबारियों ने दाखिल किया है। राजस्व विभाग के आंकड़े के मुताबिक वर्ष 2017-2018 में यूपी के खजाने में 58,738 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था, जो 2021-2022 में बढ़कर 98,107 करोड़ रुपये हो गया है। यह वृद्धि 39,369 करोड़ रुपये यानी 67 प्रतिशत अधिक है।
योगी सरकार ने वित्त वर्ष 2021-2022 में करीब 40 हजार करोड़ रुपये की राजस्व वृद्धि दर्ज की है और प्रदेश सरकार वित्त वर्ष 2022-23 में इससे ज्यादा गरीब कल्याण के लिए अपने खजाने से खर्च कर रही है। सरकार ने अपने पहले ही फैसले में गरीबों को नि:शुल्क राशन देने के लिए 32 सौ करोड़ रुपए प्रस्तावित किए थे। गरीबों को साल में दो नि:शुल्क रसोई गैस सिलेंडर के अलावा वृद्धावस्था, निराश्रित और दिव्यांगजन पेंशन पर 15 हजार करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च कर रही है। संकल्प पत्र की 97 घोषणाओं के लिए 54 हजार 883 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि भी खर्च की जा रही है, जिसमें नई योजना के लिए सात हजार करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि प्रस्तावित है।
27 फरवरी से 31 अक्टूबर 2020 तक चलाए गए ब्याज और अर्थ दंड माफी योजना से 14,067 व्यापारी लाभान्वित हुए और सरकार को 115.16 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। वहीं, तीन फरवरी से दो सितंबर 2021 तक इस योजना में 14,575 व्यापारियों को लाभ मिला और 130.28 करोड़ रुपये की धनराशि सरकारी खजाने में जमा हुई। इस तरह दो वर्ष में 245.44 करोड़ रुपये की धनराशि सरकार को राजस्व के तौर पर प्राप्त हुई।
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