मुसलमान युवकों ने हिन्दू नाम बताकर लव जिहाद शुरू किया और अब हिन्दुओं को बदनाम करने के लिए दूसरे प्रकार का षड़यंत्र रचा जा रहा है. गत वर्ष, गाज़ियाबाद के लोनी में दुआ – ताबीज करने वाले मौलवी को मुस्लिम युवकों ने ही जमकर पीटा था. उन मुस्लिम युवकों से मार खाने के बावजूद उस मौलवी ने कहा कि ” जय श्री राम का उद्घोष न करने पर उसके साथ मारपीट की गई थी.” मौलवी का आरोप था कि घटना करने वाले हिन्दू युवक थे. उसके इस बयान का वीडियो भी जारी हुआ था. इस मामले में सच्चाई उजागर हुई. मारपीट करने वाले युवक मुस्लिम थे. इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने ट्विटर के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराई थी.
अभी हाल ही में बिजनौर जनपद में मुस्लिम युवकों ने कांवड़ियों का भेष धारण करके मजारों पर तोड़ – फोड़ की. गत दिनों उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद में कुछ मजारों पर तोड़ – फोड़ की घटना की गई. मजारों पर तोड़ – फोड़ करने वाले युवकों ने कांवड़ियों का भेष धारण किया और फिर मजारों पर तोड़ – फोड़ की. ताकि समाज में यह संदेश जाए कि हिन्दू , हिंसक हो रहा है. मुस्लिम युवकों ने सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का पूरा प्रयास किया.
अपर पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने बताया कि जनपद बिजनौर के शेरकोट थाना अंतर्गत पुलिस को सूचना मिली की जलाल शाह की मजार पर तोड़फोड़ हुई है और चादर जलाई गई है. पुलिस जब मौके पर पहुंची तो उसी समय एक और सूचना मिली कि एक और मजार पर की तोड़फोड़ और आगजनी की गई है. पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आदिल और कमाल को गिरफ्तार किया. यह दोनों सगे भाई हैं.
गाजियाबाद के लोनी में गत 5 जून 2021 को एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. वीडियो में मौलवी अब्दुल समद ने बयान दिया कि कुछ युवकों ने उसकी पिटाई कर दी और असलहा दिखा कर जान से मारने की धमकी दी. उन लोगों ने असलहे के दम पर ‘जय श्री राम’ का उद्घोष कराया. मौलवी अब्दुल समद ने अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई थी. पुलिस ने प्रारम्भिक जांच में पाया कि मौलवी द्वारा दी गई सभी जानकारी गलत थी. जिन लोगों ने उसे मारा पीटा था. मौलवी उन लोगों को जानता था, बावजूद उसके, एफआईआर अज्ञात लोगों के विरुद्ध दर्ज कराई. घटना स्थल पर ‘जय श्री राम’ का उद्घोष कराने जैसी कोई घटना नहीं हुई थी. मौलवी ने मारपीट की घटना को साम्प्रदायिक रंग देने का प्रयास किया. सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न कराने की नीयत से मौलवी ने इस तरह का बयान रिकॉर्ड करके सोशल मीडिया पर अपलोड किया था.
मौलवी के साथ मारपीट उसके गलत कर्मों के कारण हुई थी. मौलवी दुआ – ताबीज बनाने का काम करता है. आस- पास के इलाके में लोगों को ताबीज देकर इलाज करता है. गत 5 जून को मौलवी अब्दुल समद एक अन्य व्यक्ति के साथ बुलंदशहर से लोनी – गाजियाबाद पहुंचा. वहां से वह परवेश गुज्जर के घर गया. मौलवी अब्दुल समद इस गांव में पहले भी कई बार आ चुका था. वहां के लोगों ने उससे ताबीज लेकर पहना था. जिन लोगों ने ताबीज पहना था. उन लोगों को लगने लगा था कि मौलवी की ताबीज से उनके परिवार पर विपरीत असर हो रहा है. वो लोग मौलवी अब्दुल समद को मारने – पीटने के चक्कर में थे. घटना के दिन जब मौलवी अब्दुल समद, परवेश गुज्जर के घर पहुंचा तभी वहां पर कल्लू, पोली, आरिफ, आदिल व मुजाहिद आदि युवक पहुंच गए. इन लोगों ने परवेश गुज्जर के साथ मिलकर मारपीट की.
घटना के बाद मौलवी ने पूरे प्रकरण पर पुलिस एवं समाज के लोगों को गुमराह किया. मारपीट करने वालों को मौलवी अब्दुल समद जानता था मगर उसने अज्ञात लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई थी. वीडियो में उसने झूठा बयान दिया कि ‘जय श्री राम’ का उद्घोष’ कराने के लिए उसके साथ मारपीट की गई थी. पुलिस जब इस मामले की तह में पहुंची तब मुख्य अभियुक्त परवेश गुज्जर की गिरफ्तारी की गई. गत 14 जून को अन्य दो अभियुक्तों कल्लू व आदिल की गिरफ्तारी हुई.
उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए ट्विटर के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराया था. इस मामले में 8 अन्य के विरुद्ध भी मामला दर्ज हुआ था . ट्विटर पर आरोप था कि इस तरह के साम्प्रदायिक तनाव बढ़ाने वाले वीडियो पर उसने कोई कार्रवाई नहीं की बल्कि वीडियो को इस तरह से प्रचारित किया कि एक मुसलमान पर हमला किया गया. ट्विटर भ्रामक खबरों को ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ कहता है, लेकिन इस मामले में ऐसा उसने ऐसा नहीं किया.
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