माननीय द्रौपदी मुर्मू अब राष्ट्रपति बन चुकी हैं और यह भी बात सत्य है कि उनका राष्ट्रपति बनना एक वर्ग विशेष के साथ साथ कांग्रेस को भी पसंद नहीं आया है! यह देखना और भी हैरान करता है कि जहां कांग्रेस की ओर से एक महिला को प्रथम राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित किया गया था, और जिस कांग्रेस में एक परिवार विशेष की ही महिला नेताओं का वर्चस्व है। इंदिरा गांधी से लेकर सोनिया गांधी एवं प्रियंका गांधी तक महिला ही पार्टी की सर्वेसर्वा रही हैं, ऐसे में अधीर रंजन चौधरी द्वारा महिला राष्ट्रपति का अपमान किया जाना कहीं न कहीं यह संदेह उत्पन्न करता ही है कि राष्ट्रपति शब्द के स्थान पर राष्ट्रपत्नी शब्द का प्रयोग उन्होंने जानते बूझते ही किया है!
ऐसा नहीं है कि माननीय द्रौपदी मुर्मू जी का अपमान कांग्रेस या विपक्ष द्वारा पहली बार हुआ है। यह तो उसी दिन से आरंभ हो गया था जब माननीय उनका नाम राष्ट्रपति पद के लिए घोषित किया गया था! कई लोग ऐसे थे जिन्होनें कभी उनकी सामान्य पृष्ठभूमि पर आपत्ति की तो कभी उनके नाम को लेकर कथित सेक्युलर गैंग ने भी टिप्पणी की! जैसे ही उनका नाम घोषित हुआ था तो पहले तो कथित फिल्मनिर्माता राम गोपाल वर्मा ने ट्वीट किया था और लिखा था कि “अगर द्रौपदी राष्ट्रपति हैं तो पांडव कौन हैं? और उससे भी ज्यादा जरूरी ये है कि कौरव कौन हैं?” उनके इस ट्वीट का सोशल मीडिया पर काफी विरोध हुआ था और भारतीय जनता पार्टी ने इसके विरोध में शिकायत भी दर्ज कराई थी!
ऐसा नहीं था कि अपमान में कमी आई हो ! भारत में ऐसा एक वर्ग है जिसे भारतीय जनता पार्टी से चिढ़ है और इसी चिढ़ के चलते वह हिन्दू धर्म, उसकी प्राचीनता, उसकी एकता, उसकी एकात्मकता आदि पर प्रहार करते रहते हैं ! उन्हें हर उस चीज से चिढ़ है जो भारतीयता से नाता जोड़ती है, और चूंकि द्रौपदी मुर्मू ने भारत की एकात्मकता पर ही बल दिया है, उन्होंने भारत की वह बात की है, जो कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष एवं कथित लिबरल वर्ग को पसंद नहीं है। इसलिए वह वर्ग जो प्रतिभा पाटिल के राष्ट्रपति बनने को नारी सशक्तिकरण का सबसे बड़ा उदाहरण बता रहा था और एक दो वर्ष पहले ही कमला हैरिस के अमेरिका में उपराष्ट्रपति बनने को ही औरतों का मजबूत होना मान रहा था, वह यह समझ ही नहीं पा रहा है कि माननीय द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने को किस दृष्टि से देखा जाए!
कमला हैरिस और हिलेरी क्लिंटन को बताया गया था महिला सशक्तिकरण
पाठकों को यह स्मरण होगा ही कि भारत का जो वर्ग आज द्रौपदी मुर्मू पर मौन है या किसी न किसी तरीके से तंज कस रहा है, उन्हें मात्र रबर स्टैम्प बता रहा है और उनके पूरे राजनीतिक करियर पर ही प्रश्न चिह्न लगा रहा है, वह कुछ ही वर्ष पूर्व उस देश की उपराष्ट्रपति के महिला होने पर जश्न मना रहा था और उसे नारी सशक्तिकरण बता रहा था, जहां अभी तक कोई भी महिला सर्वोच्च पद पर नहीं पहुंची है, जबकि भारत में तो सफल स्त्रियों का एक समृद्ध इतिहास रहा है!
फिर भी औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रसित फेमिनिस्ट वर्ग द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद पर देखने के लिए जैसे तैयार नहीं था और इतना ही नहीं राम गोपाल वर्मा ही ऐसे कथित प्रगतिशील नहीं थे, जिन्होंने आदरणीय द्रौपदी मुर्मू का अपमान किया था! इंडिया टुडे के डिप्टी जनरल मैनेजर इंद्राणी चटर्जी ने भी शर्मनाक टिप्पणी की थी। हालांकि इस प्रकार के वक्तव्य के चलते इंडिया टुडे ने उसे नौकरी से निकाल दिया था!
राजनेताओं में भी होड़ लगी रही :
अधीर रंजन चौधरी की एकमात्र कांग्रेसी नहीं हैं, उससे पहले अजॉय चौधरी भी यह कहकर द्रौपदी मुर्मू को अपमानित कर चुके हैं कि द्रौपदी मुर्मू यशवंत सिन्हा एक अच्छे प्रत्याशी हैं, द्रौपदी मुर्मू भी शालीन व्यक्ति हैं, परन्तु वह भरत की “इविल विचारधारा” का प्रतिनिधित्व करती हैं, हमें उन्हें आदिवासियों का प्रतीक नहीं मानना चाहिए।!”
"Yashwant Sinha is a good candidate. Droupadi Murmu is a decent person but she represents evil philosophy of India. We shouldn't make her symbol of tribals…Ram Nath Kovind is President but what about atrocities on SCs?": Congress leader Ajoy Kumar | reported by news agency ANI pic.twitter.com/azbJH9APXm
— NDTV (@ndtv) July 13, 2022
पुद्दुचेरी कांग्रेस ने तो यहां तक कहा कि भाजपा राष्ट्रपति के रूप में एक डमी चाहती है और वह एससी/एसटी को भी छलना चाहते हैं! बिहार में राबड़ी देवी को कैसे शासन मिला था और उनकी छवि कैसी थी, यह सब सार्वजनिक क्षेत्र में होते हुए भी राष्ट्रीय जनता दल के युवराज तेजस्वी यादव ने उन द्रौपदी मुर्मू के राजनीतिक करियर को शून्य बताया जिन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा सभासद के पद से आरम्भ की थी और उनके पास मात्र अपनी दक्षता, योग्यता एवं गुण थे, जिनके सहारे आज वह राष्ट्रपति के पद पर पहुंची हैं!
परन्तु तेजस्वी यादव ने कहा कि “आपको राष्ट्रपति भवन में कोई मूर्ति नहीं चाहिए, आपने यशवंत सिन्हा को बोलते हुए सुना होगा, मगर केंद्र सरकार की राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी ने अपनी उम्मीदवारी घोषित होने के बाद एक भी प्रेस कांफ्रेंस नहीं की है!”
#WATCH | You don't need a 'Murti' (statue) in Rashtrapati Bhawan…You must have heard Yashwant Sinha Ji speaking, but not Centre's Presidential candidate… not a single presser by her since her candidature was announced: Tejashwi Yadav, RJD (16.07) pic.twitter.com/VKn38nNi9r
— ANI (@ANI) July 17, 2022
तेजस्वी यादव की यह बात सही थी कि यशवंत सिन्हा का नाम अधिक सुना था, परन्तु वह मोदी और भाजपा विरोध में अधिक सुना था! द्रौपदी मुर्मू जी का भारतीय जड़ों से जुड़ा होना ही इस अपमान का कारण है। आदरणीय द्रौपदी मुर्मू के प्रति कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी सहित अन्य कथित बड़े लोग इसलिए आक्रमण कर रहे हैं क्योंकि वह उस विचारधारा का पालन नहीं करती हैं, जिसे कांग्रेस प्रश्रय देती है अर्थात वनवासियों की अ-हिन्दू पहचान को! द्रौपदी मुर्मू भारत की एकात्मकता की बात करती हैं, वह अपनी उम्मीदवारी घोषित होते ही महादेव के मंदिर जाती हैं और वहां पर सहज पूजा करती हैं!
यद्यपि कहने के लिए राहुल और प्रियंका गांधी भी मंदिर जाते हैं, परन्तु वह जहां “भारत तेरे टुकड़े होंगे” गैंग के साथ खड़े होते हैं तो वहीं द्रौपदी मुर्मू भारत की अक्षुष्णता की प्रार्थना करती हैं! और साथ ही इतने वर्षों से सत्ता का केंद्र रही कांग्रेस इस बात को समझ नहीं पा रही है कि उसका विमर्श अब मरने पर है और अब जनता वह विमर्श नहीं सुनना चाहती है कि एक रानी है सोनिया गांधी, और उनके ही इशारे पर सब कुछ होगा! वह दिन गए जब राजा और रानी का स्वरूप गांधी परिवार के रोने, हंसने और छींकने पर ही राष्ट्रीय समाचार बना करते थे, अब जनता चाहती है कि उसके बीच से ही कोई प्रधानमंत्री बने, उसके बीच से ही कोई उनका विधायक और उनके बीच से ही कोई उनका राष्ट्रपति!
परन्तु सत्ता के मद में डूबी कांग्रेस अभी भी समझ नहीं रही है और यही अहंकार उसे और नीचे लाता जा रहा है, यह वही अहंकार है जो अधीर रंजन चौधरी से माननीय द्रौपदी मुर्मू जी के लिए अशोभनीय शब्द का प्रयोग करवाता है! यह पद का अपमान है, यह स्त्री का अपमान है और हां, सबसे बढ़कर यह भारत की जनता एवं भारत की आत्मा का अपमान है!
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