अफगानिस्तान में चीन विरोधी विद्रोही गुट ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट यानी ईटीआईएम के मजबूत होते जाने के समाचारों ने उस चीन की नींद उड़ा दी है जो तालिबान के साथ दोस्ती बढ़ाने के सपने देख रहा था। उसकी मंशा थी कि ऐसा करके वह अफगानिस्तान को अपने कब्जे में रखेगा। लेकिन अब मुंडे सिर पर ओले पड़ने के आसार कम्युनिस्ट सरकार को बेचैन कर रहे हैं।
चीन की सारी चतुराई अफगानिस्तान में असफल होती नजर आ रही है। तालिबान लड़ाकों ने कम्युनिस्ट चीन से भारी—भरकम आर्थिक मदद की उम्मीद में कहा था कि वह अपनी धरती पर चीन के विरोधी उइगर विद्रोही गुट को पनपने नहीं देगा। लेकिन असलियत में तो इस गुट ने तालिबान राज में अपने पांव और दमदारी से गड़ा लिए हैं। उसने वहां अपने नए अड्डे बना लिए हैं।
बताया जा रहा है कि तालिबान सरकार ने उन उइगर विद्रोहियों की तरफ से आंखें मूंद ली हैं। ये वही गुट है जो उइगर बहुल सिंक्यांग में चीन का जीना मुहाल किए हुए है। चीन सिंक्यांग में उइगरों को प्रताड़ित जो करता आ रहा है। माना जाता है कि ये उइगर विद्रोही चीन के लिए एक बड़ा खतरा बन रहे हैं।
इन सब समाचारों से बीजिंग परेशान है। कहां तो वह अफगानिस्तान में तालिबान राज तले दोस्ती के बदले ये सोच रहा था कि उइगर विद्रोहियों को उस देश में पनाह नहीं दी जाएगी। क्योंकि तालिबान ने भी कहा था कि वह अपनी जमीन पर किसी तीसरे देश के विरुद्ध साजिशें रचने वालों को टिकने नहीं देगा। लेकिन ताजा खबरें इसके विपरीत इशारा कर रही हैं। उइगर विद्रोही गुट ने एक नहीं, अफगानिस्तान में कई अड्डे बना लिए हैं।
उल्लेखनीय है कि दुनिया भर में उइगरों के दमनकारी के तौर पर चीन कुख्यात है। वह सिंक्यांग में मुस्लिमों को प्रताड़ित कर रहा है। इस अत्याचार को जो विरोध करता है उसे चीन विद्रोही कहता है। चीन ने तालिबान से उइगर मुस्लिमों के पक्ष में बंदूक उठाए विद्रोही गुट ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की थी। लेकिन तालिबान ऐसा करता दिखाई नहीं दे रहा है।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट बताती है कि तालिबान को आए करीब एक साल हुआ है और इस बीच उइगर विद्रोहियों ने अफगानिस्तान में अपने अड्डे दोबारा खड़े कर लिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि विद्रोहियों के जिहादी गुट अल कायदा से भी संबंध बने हुए हैं। ये दोनों मिलकर चीन के लिए एक बहुत बड़ा खतरा हो सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की रिपोर्ट भी बताती है कि उइगर विद्रोहियों ने अफगानिस्तान में कई ठिकानों पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। उइगर विद्रोही संगठन के आधार अफगानिस्तान और सीरिया में हैं। दूसरे कई आतंकी संगठन इसके संपर्क में हैं, जैसे अलकायदा, तहरीके-तालिबान पाकिस्तान आदि।
ब्रिटेन स्थित ‘इस्लामिक थियोलॉजी ऑफ काउंटर टेररिज्म’ में दक्षिण एशिया मामलों के विशेषज्ञ फैरन जैफरी का मानना है उइगर विद्रोही गुट ईटीआईएम के अफगानिस्तान में करीब एक हजार लड़ाके मौजूद हैं।
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
टिप्पणियाँ