नैनीताल। आदमखोर बाघ और तेंदुओं को मारने वाले मशहूर शिकारी जिम कॉर्बेट के बारे में क्या उत्तराखंड का वन विभाग झूठी जानकारी पर्यटकों को दे रहा है? कॉर्बेट संग्रहालय जोकि छोटी हल्द्वानी में है और इसके देखरेख का जिम्मा उत्तराखंड का वन विभाग किया करता है।
कॉर्बेट संग्रहालय जो कभी जिम कॉर्बेट का शरद निवास हुआ करता था, इस समय वन विभाग के पास है। यहां उनके रहन-सहन से जुड़ी चीजें स्मृति स्वरूप रखी हुई हैं। यहीं उनके बारे में एक शिलापट में लिखा है कि जिम कॉर्बेट ने अपने जीवन में पचास से ज्यादा बाघों का और ढाई सौ से ज्यादा तेंदुओं का संहार किया। इस सूचना की जब “पाञ्चजन्य” ने पड़ताल की तो कहीं भी इस बात का प्रमाण नहीं मिला कि कॉर्बेट के बारे में लिखी गई ये बात बिल्कुल सच है।
जिम कॉर्बेट के बारे सभी जानते हैं कि वो शिकारी जरूर थे लेकिन वो आदमखोर बाघों और तेंदुए का ही शिकार करते थे। जानकारी के मुताबिक जिम कॉर्बेट ने साल 1907 से 1938 के बीच कुल 33 आदमखोर मारे थे जिनमे ज्यादातर बाघ थे।
25 जुलाई 1875 को नैनीताल में जन्मे जिम कॉर्बेट ने अपने द्वारा लिखी छह किताबो में भी इतनी संख्या में आदमखोर बाघों, तेंदुए को मारने की नहीं दर्ज नहीं की, जितना वन विभाग ने लिख दी। जिम कॉर्बेट के आदमखोर बाघों और तेंदुएं मार गिराने की जानकारी उनकी बहन मैगी को भी दी जाती थी जोकि उनकी सूचनाओं का संग्रह करती थीं। दोनों भाई-बहन अविवाहित थे और साथ ही रहते थे। आजादी के बाद भी दोनों एक साथ केन्या जाकर बसे। जिम कॉर्बेट ने वहीं अपनी किताबें लिखीं और अपनी छवि को वे शिकारी के बाद बाघों के संरक्षक और इंसान और वन्यजीव के बीच संघर्ष को रोकने वाले बना पाए। उनकी किताबें अंग्रेजी में प्रकाशित हुईं और दुनिया भर में खूब बिकीं, उनका बाद में हिंदी में रूपांतरण हुआ। जिम कॉर्बेट पर भी भारत में बहुत से लेखकों ने किताबें लिखीं जोकि लोकप्रिय हुईं। इन सभी किताबों में जिम कॉर्बेट के द्वारा 50 बाघों और 250 से ज्यादा तेंदुए मारने या संहार करने का जिक्र कहीं भी नहीं दिखाई देता है।
आमतौर पर म्यूजियम या संग्रहालय में दर्ज किसी भी जानकारी को सच के करीब माना जाता है और वहां आने वाले पर्यटक दर्ज जानकारी की चर्चा हर जगह करता है, लेकिन कॉर्बेट संग्रहालय की ये जानकारी संदेह पैदा कर रही है।
सूचना भ्रामक लगती है
नरभक्षी बाघों और जिम कॉर्बेट के जीवन पर जानकारी रखने वाले पूर्व वनाधिकारी नरेंद्र सिंह कहते है संग्रहालय में लिखी गई जानकारी सही नहीं है, भ्रामक है। इतना संहार जिम कॉर्बेट ने नहीं किया है ।
सूचना के स्रोत की पड़ताल होगी
उत्तराखंड के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन और जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पूर्व निदेशक समीर सिन्हा से जब इस विषय में सवाल पूछा गया तो उन्हें भी संशय हुआ। उन्होंने कहा कि इस बारे में दी गई जानकारी के स्रोत की पड़ताल की जाएगी।
Leave a Comment