भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीतियों का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने नया कारनामा कर दिखाया है। जो वकील भ्रष्टाचार के आरोपियों की पैरवी कर रहे हैं सरकार ने उनको ही महाधिवक्ता बना दिया। पंजाब की भगवंत मान सरकार द्वारा राज्य के महाधिवक्ता बनाए गए विनोद घई नियुक्ति पर सवाल उठे हैंं। उनकी नियुक्ति पर चरणजीत सिंह चन्नी की सरकार के समय एजी बनाए गए एपीएस देओल की तरह सवाल उठे हैं।
पंजाब सरकार के नए बने महाधिवक्ता विनोई घई ने भ्रष्टाचार के मामले में भगवंत मान सरकार से बर्खास्त किए पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डा. विजय सिंगला और कांग्रेस के पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु के खिलाफ चल रही विजिलेंस जांच में उनके वकील हैं। इतना ही नहीं पंजाब सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट में कुछ अन्य बड़े मामले भी चल रहे हैं और घई उन मामलों की पैरवी भी कर रहे हैं।
बेअदबी मामले में डेरा मुखी के प्रोडक्शन वारंट पर रोक लगवाने के मामले की घई ने पैरवी की थी। पूर्व डीजीपी सैणी को जब पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने हिरासत में लिया था तो उस समय घई ने सैणी की पैरवी कर उन्हें राहत दिलाई थी। इसके अलावा हाई कोर्ट में डेरा सच्चा सौदा की तरफ से कई मामलों की पैरवी के लिए घई पेश होते रहे हैं।
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