2021 में जहां इस बाजार का आकार 87.04 अरब डॉलर था, अगले आठ साल में इसके लगभग 18 गुना हो जाने का अनुमान है। सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर इस क्षेत्र से जुड़े स्टॉक्स में पैसा लगाया जाए तो कितना मुनाफा हो सकता है।
कल की दुनिया में कौन देश कहां, किस हाल में होगा यह उसके आकार पर नहीं, बल्कि इस बात पर निर्भर करेगा कि तकनीक के मामले में वह कहां है। आने वाले समय को बदलकर रख देने वाली ऐसी ही एक तकनीक है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। आज कुछ क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल हो रहा है और ज्यादातर में इस्तेमाल की तैयारी हो रही है। इस बाजार की रफ्तार आगे कैसे रह सकती है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2021 में जहां इस बाजार का आकार 87.04 अरब डॉलर था, अगले आठ साल में इसके लगभग 18 गुना हो जाने का अनुमान है। सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर इस क्षेत्र से जुड़े स्टॉक्स में पैसा लगाया जाए तो कितना मुनाफा हो सकता है।
आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल हर क्षेत्र में हो रहा है। जान बचाने वाले दवा उद्योग से लेकर जीवन को सुख-सुविधापूर्ण बनाने वाले उपभोक्ता सामान, युद्धक उपकरण और पलक झपकते जान ले लेने वाले खतरनाक हथियार से लेकर अंतरिक्ष तक, हर क्षेत्र में इसका उपयोग थोड़ा-बहुत हो रहा है। वह दिन दूर नहीं दिखता, जब युद्ध लड़ने वाले सैनिक भी मशीनी हों।
संभावनाओं का आकाश
बाजार का अध्ययन और रणनीतिक सलाह देने वाली जानी- मानी कंपनी प्रेसिडेंस रिसर्च का अनुमान है कि वर्ष 2030 तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का वैश्विक बाजार बढ़कर 1,597.1 अरब डॉलर का होने जा रहा है और 2022 से ही इस क्षेत्र की सीएजीआर (सालाना चक्रीय वृद्धि दर) 38.1 प्रतिशत रहने वाली है। फिलहाल इसका सबसे बड़ा बाजार उत्तर अमेरिका है, जहां इंटेल कॉरपोरेशन, आईबीएम, माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल, एमेजॉन, निविडिया कॉरपोरेशन, एच-20 एआई जैसी दुनिया की जानी-मानी कंपनियां हैं। पिछले साल सॉफ्टवेयर क्षेत्र ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को गति दी और आगे भी इसके विकास में इस क्षेत्र की भूमिका अहम रहने वाली है।
जहां तक भारत की बात है, यहां भी कई क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल शुरू हो चुका है।
इंटरनेशनल डाटा रिसर्च (आईडीसी) का अनुमान है कि भारत में 2025 तक इसका बाजार 7.8 अरब डॉलर का हो जाएगा। वर्ष 2020 में भारत में यह क्षेत्र 3.1 अरब डॉलर का था। आईडीसी का अनुमान है कि भारत में यह क्षेत्र सालाना 20.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने वाला है। यहां पर प्रेसिडेंस रिसर्च के एक और अनुमान पर ध्यान देने की जरूरत है। प्रेसिडेंस का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में सबसे तेज विकास एशिया प्रशांत क्षेत्र में होने जा रहा है। अगर वर्ष 2020 को आधार मानकर बात करें तो इस क्षेत्र में चीन और आॅस्ट्रेलिया के बाद भारत तीसरा सबसे तेज विकास करने वाला देश रहा। भारत में जिस तेजी से विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता को बेहतर किया जा रहा है, उसे देखते हुए माना जा रहा है कि यहां यह क्षेत्र बड़ी तेजी के साथ बढ़ने वाला है।
सेवा क्षेत्र रहेगा आगे
किसी भी क्षेत्र के लिए सबसे जरूरी होता है इन्फ्रास्ट्रक्चर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मामले में सबसे जरूरी दो चीजें हैं- सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर। इसलिए स्वाभाविक है कि इस क्षेत्र की जरूरत के मुताबिक सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर विकसित करने का काम अभी खासा तेज रहेगा। वर्ष 2020 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर का कारोबार 2.8 अरब डॉलर रहा और वर्ष 2025 तक इसके 6.43 अरब डॉलर हो जाने का अनुमान है। स्वाभाविक है, पहले इस क्षेत्र का इन्फ्रास्ट्रक्चर एक स्तर तक विकसित होगा और उसके बाद धीरे-धीरे उससे जुड़ा सेवा क्षेत्र बढता जाएगा।
भारतीय कॉरपोरेट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल उत्पादन से लेकर आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने और सुरक्षा, मानव संसाधन से लेकर अपनी सेवाओं में करने की तैयारी कर रहे हैं। जिस क्षेत्र में इतनी संभावनाएं हों, वहां निवेश कितना अच्छा रह सकता है, इसका अनुमान लगाया जा सकता है।
अब बात उन कंपनियों की जो भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और ऐसा माना जा सकता है कि इस क्षेत्र में जो भी विकास होने जा रहा है, उसमें इन जैसी कंपनियों की अहम भूमिका रह सकती है।
टीसीएस लिमिटेड: टाटा समूह की जानी-मानी कंपनी टीसीएस एक स्थापित वैश्विक ब्रांड है, जिसका कारोबार दुनियाभर में फैला हुआ है। कंपनी का बाजार पूंजीकरण 11,58,016 करोड़ रुपये है और इस पैमाने पर यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। लगभग 50 साल से यह कंपनी दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों को आईटी सेवाएं दे रही है। यह 55 देशों में काम कर रही है और इन सेंटरों पर 5.9 लाख से ज्यादा कंसल्टेंट काम कर रहे हैं। कंपनी ने 31 मार्च, 2022 को समाप्त वित्त वर्ष में 25.7 अरब डॉलर का कारोबार किया। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से जूझने और दुनियाभर को संचार सुविधा से जोड़ने में कंपनी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। टीसीएस के ग्राहकों में कई फॉर्च्यून-500 कंपनियों में से हैं और कनाडा की सबसे बड़ी पेमेंट गेटवे कंपनी ने देश में पेमेंट प्रणाली को बेहतर बनाने का काम टीसीएस को ही दिया है।
भारत सरकार ने पासपोर्ट सेवा केंद्र के लिए टीसीएस के साथ 10 साल का करार कर रखा था, जिसे उसने रिन्यू कर दिया है। कंपनी चिप आधारित ई-पासपोर्ट तैयार करने पर काम कर रही है और उम्मीद की जा रही है कि एक यह साल में बनकर तैयार हो जाएगा।
टाटा इलेक्सी लिमिटेड: यह भी टाटा समूह की कंपनी है जिसका बाजार पूंजीकरण 50,315 करोड़ रुपये है। कंपनी के शेयर भाव में एक साल के दौरान 104.51 प्रतिशत का ग्रोथ रहा है। डिजाइन और टेक्नोलॉजी सेवाओं में इसे दुनिया की नामी कंपनियों में गिना जाता है और यह आॅटोमोटिव, प्रसारण, कम्युनिकेशन, हेल्थकेयर और परिवहन समेत विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय है। यानी कोई कल्पना करे कि उसका उत्पाद कैसा हो, उसमें क्या खूबियां हों और टाटा इलेक्सी डिजिटल इंजीनियरिंग, वर्चुअल रियलिटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वगैरह का इस्तेमाल करके उसके सपने को साकार कर देगी।
कंपनी कोझिकोड के साइबर पार्क में एक नया टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट सेंटर खोलने जा रही है, जिसमें एक हजार से ज्यादा इंजीनियर काम करेंगे। यह सेंटर इसलिए भी खास होगा, क्योंकि यहां इलेक्ट्रिक विहीकल्स (ईवी), कनेक्टेड कार तकनीक, ओवर द टॉप (ओटीटी) स्ट्रीमिंग, 5जी समेत अन्य उन्नत तकनीकों पर अनुसंधान का काम होगा। भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ रही है और इस मामले में कंपनी की भूमिका अहम रहने वाली है। टाटा इलेक्सी के प्रबंध निदेशक व सीईओ मनोज राघवन ने इस आशय की घोषणा करते हुए यह भी बताया कि आखिर यह यूनिट कोझिकोड में ही क्यों खोली गई। उन्होंने कहा, ‘उत्तरी केरल में बड़ी संख्या में इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी स्नातक हैं। ये लोग स्थानीय स्तर पर अवसर नहीं होने के कारण दूसरे राज्यों में और बहुत तो देश से ही बाहर चले जाते हैं। हम उन्हें स्थानीय स्तर पर ही अच्छा करियर और अंतरराष्ट्रीय माहौल उपलब्ध कराएंगे और यह दोनों के लिए फायदेमंद है।’
कंपनी के शेयर पिछले एक साल के दौरान सौ प्रतिशत से ज्यादा का ग्रोथ दे चुके हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि कंपनी वित्त वर्ष 2022-23 से लेकर 2024-2025 तक 20 से 23 प्रतिशत की वृद्धि दिखाएगी।
एमफैसिस लिमिटेड: यह आईटी क्षेत्र की एक मिड कैप कंपनी है। यह कंपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल बिग डाटा मैनेजमेंट और एनालिसिस में करती है। इसका बाजार पूंजीकरण 42,436 करोड़ रुपये है और एक साल में कंपनी के शेयरों ने 10.95 प्रतिशत का रिटर्न दिया।
एमफैसिस लिमिटेड कनाडा में क्वांटम सिटी स्थापित करने जा रही है, जिसमें क्वांटम इकोसिस्टम विकसित किया जाएगा। इस सेंटर में एक हजार से अधिक इंजीनियरों की नियुक्ति की जाएगी। कंपनी के कई ग्राहक फॉर्च्यून 500 में हैं, जिन्हें बेहतर सेवाएं देने में इस सेंटर की अहम भूमिका होगी। कंपनी मैक्सिको में भी अपनी गतिविधियां बढ़ाने जा रही है और उसने 600 से अधिक कर्मचारियों को नियुक्त करने की बात कही है।
एल एंड टी टेक्नोलॉजी सर्विसेज लिमिटेड: यह आईटी क्षेत्र से जुड़ी कंपनी है, जिसका बाजार पूंजीकरण 42,426 करोड़ रुपये है। कंपनी के शेयर ने एक साल में 6.74 प्रतिशत का ग्रोथ दिया है। कंपनी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया है। यह मुश्किल हालात में काम करने के लिए जानी जाती है और इस तरह की तकनीकी प्रगति के जरिये कंपनी का कामकाज और बेहतर होगा।
कंपनी ने हाल ही में पोलैंड में रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर खोला है और आने वाले तीन साल में यह कंपनी लगभग 300 इंजीनियरों को नियुक्त करेगी। इस सेंटर के जरिये कंपनी खास तौर पर अपने यूरोपीय ग्राहकों को आॅटोमोटिव, मोबिलिटी और उच्च तकनीक वाली सेवाएं उपलब्ध कराएगी। पोलैंड की फैसिलिटी में कंपनी सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, दोनों क्षेत्रों में काम करेगी। इस कंपनी की शाखाएं म्यूनिख और यरुशलम में भी है। इसकी आईआईटी गांधीनगर के साथ मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र से जुड़ी अत्याधुनिक तकनीकों पर काम करने की भी योजना है।
पर्सिस्टेंट सिस्टम्स लिमिटेड: कंपनी सॉफ्टवेयर उत्पाद और सेवाएं उपलब्ध कराती है और इनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समेत आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करती है। इसके साथ ही कंपनी का जोर तकनीकी विकास पर है, जिससे इसके उत्पाद और बेहतर हो सकें। इसका बाजार पूंजीकरण 26,099 करोड़ रुपये है। कंपनी के शेयरों ने एक साल के दौरान 26.50 प्रतिशत का ग्रोथ दिखाया है। हालांकि पिछले एक माह के दौरान शेयर भाव में 1.26 प्रतिशत की गिरावट रही है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2011-2022 के दौरान 11 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से इक्विटी लाभांश देने की घोषणा की है।
सैकसॉफ्ट लिमिटेड: यह डिजिटल समाधान उपलब्ध कराने वाली कंपनी है और विभिन्न देशों में इसका कारोबार है। कोविड ने कंपनियों की प्राथमिकता में आॅटोमेशन को महत्वपूर्ण बना दिया है और इस कारण सैकसॉफ्ट का कारोबार भी बढ़ा।
यह एक स्मॉल कैप कंपनी है और इसका बाजार पूंजीकरण 959करोड़ रुपये का है। इसने एक साल के दौरान 52.91 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। इस साल मार्च में कंपनी ने 139 करोड़ रुपये का कारोबार किया जो 43 प्रतिशत की वृद्धि दिखाता है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान कंपनी का शुद्ध मुनाफा 45.44 करोड़ रुपये रहा जो पिछले साल की तुलना में 39 प्रतिशत अधिक है।
इस तरह की कई कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य आधुनिक तकनीक के क्षेत्र में काम कर रही हैं और आने वाले समय में इसमें छोटी-बड़ी कंपनियों की भरमार होने वाली है। सरकार की प्राथमिकताओं में भी यह क्षेत्र ऊपर है, इसलिए नीतिगत समर्थन तो मिलेगा ही। कह सकते हैं कि यह क्षेत्र अपार संभावनाओं वाला है और भारत में इसके आने वाले समय में काफी तेजी से बढ़ने की संभावना है। इसलिए इस क्षेत्र में पैसा लगाकर बेहतर रिटर्न की उम्मीद की जा सकती है।
(नोट: बाजार पूंजीकरण का आंकड़ा 20 जुलाई, 2022 के आधार पर। यह कोई निवेश सुझाव नहीं है। बाजार से जुड़े उत्पादों में ज्ञात-अज्ञात जोखिम जुड़े होते हैं। कृपया सोच-समझकर निवेश करें)
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