चीन में अच्छे—खासे डिग्री धारी करोड़ों युवा सड़कों की खाक छानने को मजबूर हैं। मीडिया को पैसा खिलाकर कम्युनिस्ट चीन भले ही अपनी ‘तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था’ का दुष्प्रचार करा रहा है, लेकिन असल में तो इंजीनियरिंग करके भी लड़के—लड़कियां एक अदद नौकरी को तरस रहे हैं।
हाल में संपन्न एक शोध का दावा है कि वहां सरकारी दुर्नीतियों की वजह से बड़े पैमाने पर छंटनी हुई है, जिससे और ज्यादा लोग सड़क पर आ गए हैं। हालत यह है कि बड़े पैमाने पर इंजीनियरिंग की डिग्री लिए युवक सरकारी दफ्तरों में दफ्तरी बनने को मजबूर हैं।
शोध से साफ हुआ है कि कम्युनिस्ट देश में 16—24 साल के युवा तेजी से बेरोजगार होते जा रहे हैं। इस संबंध में इसी वर्ष हुए अनेक अध्ययनों से सामने आया है कि बड़ी संख्या में इंजीनियरिंग की डिग्री धारी युवा सरकारी कार्यालयों में दफ्तरी तक बनने पर विवश हो चुके हैं। ऐसे करीब 1.5 करोड़ युवा हैं जिन्होंने सरकारी दफ्तरों में नौकरी की अर्जियां दी हुई हैं।
इसके बरअक्स विश्व के दूसरे देशों को देखें तो वहां के मुकाबले भी चीन बेरोजगारी का ‘हब’ बना हुआ है। ड्रैगन की धरती पर बेरोजगारी दर 19.3 प्रतिशत पहुंच चुकी है। इसके मुकाबले अमेरिका जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी की दर इससे आधी है! बहुत संभव है कि इस साल चीन में और 1.2 करोड़ लोग बड़ी डिग्रियां लेकर नौकरी पाने वालों की भीड़ में शामिल हो जाएं।
बताया जा रहा है कि चीन से ही ‘उपजाई गई’ कोरोना महामारी की वजह से कम्युनिस्ट सरकार ने नीतियां कड़ी की थीं, इस वजह से कई बड़ी कंपनियों में लोगों की जबरन छंटनी करनी पड़ी थी। इस वजह से भी लोग बेराजगार हो गए थे।
बढ़ती बेरोजगारी के बीच चीन के नागरिकों को अब बैंकों में अपना पैसा डूबने की नौबत नजर आ रही है। पिछले कुछ दिनों से चीन के कई बैंकों में लोगों को अपने खातों तक से पैसे नहीं निकालने दिए जा रहे हैं। बैंक ऑफ चाइना ने कहा है कि लोग अपना पैसा बैंक में निवेश की तरह जमा समझें, जिसे निकाला नहीं जा सकता। इस फरमान के विरुद्ध गुस्साए लोग सड़कों पर उतर आए और बैंकों के सामने विरोध प्रदर्शन करने लगे। कम्युनिस्ट चीन की जनवादी सरकार ने ऐसे में थ्येनआनमन चौक वाली घटना की तर्ज पर अपने ही नागरिकों के विरुद्ध बड़ी संख्या में फौजी टैंक तैनात कर दिए। सरकार लोगों को पैसा नहीं निकालने देना चाहती।
चीन के हेनान प्रांत की सड़कों से गुजरते चीन के फौजी टैंकों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हुईं। अपने ही नागरिकों के विरुद्ध ऐसा दानवी फैसला सिर्फ कम्युनिस्ट बर्बरता पर चलने वाली सरकार ही ले सकती है।
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
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