झील नगरी नैनीताल इस समय भूस्खलन के खतरे में है। झील के किनारे और बलिया नाले के आसपास जमीन दरकने से नैनीताल की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। जानकारी के मुताबिक हाईकोर्ट की ऊपरी पहाड़ियों में भी भूस्खलन की घटनाएं हो रही हैं। नैनीताल के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए यहां नए व्यवसायिक निर्माण पर रोक लगाई हुई है। निजी मकानों की मरम्मत के लिए भी नैनीताल विकास प्राधिकरण ने नियम सख्त बनाए हुए हैं, बावजूद इसके सौंदर्य नगरी का बोझ कम नहीं हो रहा है और हर साल बरसात में यहां भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं।
सबसे ज्यादा खतरा बलियानाले क्षेत्र में दिखाई दे रहा है। ये पहाड़ी क्षेत्र पिछले बीस सालों से धीरे-धीरे दरक रहा है, यहां से आबादी को भी हटाया गया है और इस पहाड़ी का करोड़ों रुपए लगाकर ट्रीटमेंट भी विशेषज्ञों की राय से किया गया है, लेकिन फिर भी पहाड़ी का टूटना लगातार जारी है। नैनीताल की लोअर मालरोड पर एक क्षेत्र ऐसा है जो कि हर साल टूट कर झील में समा जाता है। हर साल इसमें भरान होता है, लेकिन उसका स्थाई इलाज अभी तक नहीं हो पाया है। बोट हाउस क्लब के पास बन बैंड स्टैंड भी झील की तरफ झुक गया है, यहां तारबाड़ लगा कर चेतावनी बोर्ड लगा दिया गया है। ये स्टैंड कब पानी में गिर कर डूब जाए ये खतरा बराबर बना हुआ है।
डीएसबी कॉलेज के पास की पहाड़ी भी दरकती जा रही है, साथ ही राजभवन की एक पहाड़ी भी लगातार भूस्खलन की चपेट में है।
नैनीताल हाई कोर्ट के ठीक ऊपर किलबरी के मार्ग से बराबर पत्थर गिर रहे हैं, पिछले साल ये पत्थर कोर्ट परिसर तक लुढ़क कर आ गए। इस साल भी ये खतरा बराबर बना हुआ है। नैनीताल की शिवालिक पहाड़ियों चूना ज्यादा है जिसकी वजह से तेज बारिश में पहाड़ की मिट्टी दलदली होकर बहने लगती है और अपने साथ, पेड़ पत्थर ले जाती है।
इतिहासकार प्रो अजय रावत कहते हैं कि नैनीताल में अब आबादी और भवनों के बोझ को कम करने की जरूरत है। बेहतर यही है कि यहां से सरकारी दफ्तरों का बोझ कम करके उसे भीमताल विकासभवन अथवा हल्द्वानी शिफ्ट कर दिया जाए। दूसरा नैनीताल में पक्के निर्माण पर सख्ती से पाबंदी लगाई जाए। डीएम धीराज गर्बयाल कहते हैं कि हमने भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों का विशेषज्ञों से सर्वे करवाया है। साथ ही प्राधिकरण के जरिए अवैध निर्माण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि नैनीताल के स्वरूप को बनाए रखने के लिए हम हर कदम उठाएंगे।
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