देहरादून से लेकर गढ़वाल के कई क्षेत्रों में डॉ स्वामी राम द्वारा शुरू किए गए सेवा कार्यों को देखा समझा जा सकता है। उनके द्वारा शिवालक और दून घाटी जॉलीग्रांट में स्थापित सेवा कार्यों ने आज एक वृहद रूप ले लिया है। हिमालयन इंस्टिट्यूट हॉस्पिटल ऑफ ट्रस्ट, ग्राम्य विकास संस्थान, स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (मेडिकल कॉलेज) नर्सिंग कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, मैनेजमेंट कॉलेज, बायो साइंस, योगा साइंस आदि शिक्षण संस्थाओं में हजारों विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। साथ ही यहां हजारों रोगी इलाज के लिए पहाड़ों से आते हैं। डॉ स्वामी राम के स्वप्न को साकार करते हुए उनके द्वारा स्थापित ट्रस्ट ने पौड़ी जिले के सतपुली के अपने पैतृक तौली गांव में गौरी हिमालयन स्कूल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी शिक्षण संस्था स्थापित करवा, वहां स्किल डेवलपमेंट का काम, सेवा भाव से शुरू किया हुआ है।
उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्र में सेवा कार्य:
मोबाइल चिकित्सालय-
ट्रस्ट ने सबसे पहले पहाड़ों पर स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने पर जोर दिया। दूरस्थ क्षेत्रों में हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांड के चिकित्सा वाहन घूमते, इलाज करते देखे जा सकते हैं। हर साल पांच सौ से ज्यादा चिकित्सा शिविर विभिन्न रोगों के उपचार के लिए पहाड़ों के दुर्गम क्षेत्रों में लगाए जा रहे हैं। यह पहला ऐसा ट्रस्ट हॉस्पिटल है जो सुदूर ग्रामों में बैठे रोगियों को फोन द्वारा भी चिकित्सा परामर्श देता है। ट्रस्ट प्रबंधकों के मुताबिक पीएम मोदी की आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना में उपचार देने की सूची में हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट पहले स्थान पर दर्ज किया गया है। योजना शुरू होने के बाद से करीब डेढ़ लाख रोगियों का उपचार आयुष्मान कार्ड से करने वाला ये देश का पहला ट्रस्ट हॉस्पिटल है।
550 गांवों में पेयजल योजना
स्वामी राम हिमालयन ट्रस्ट ने पहाड़ों में पीने के पानी को सिर पर ढोती महिलाओं के दर्द को समझा और इस समय 550 गांवों को चिन्हित करके, अपने यहां गठित वाटर एंड सैनिटेशन विभाग बनाया और इन गांवों में करीब 14 हजार परिवारों को पीने के पानी की व्यवस्था करके दी। यहां करीब छः सौ जल संचय टंकियों का निर्माण करवा दिया। साथ ही साथ 40 स्कूलों, 10 आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए शौचालय बनवाए।
विश्वविद्यालय में जल शोधन
जॉलीग्रैंड विश्वविद्यालय में सात लाख लीटर पानी, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए रोज शोधित होकर सिंचाई बागबानी में उपयोग हो रहा है। बरसात में बारह बड़े पिट्स में चालीस करोड़ लीटर पानी संचय किया जाता है। केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने संस्थान को अपना सेक्टर पार्टनर घोषित किया है।
पहाड़ के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का काम
डॉ स्वामी राम का ये लक्ष्य था कि वो पहाड़ी क्षेत्रों के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सेवा कार्य करें। उनके पैतृक गांव सतपुली क्षेत्र के तोली गांव से उनका विशेष लगाव था। इसलिए उन्होंने सबसे पहले यहां के किसानों के लिए व्यवसायिक खेती से जोड़ने के लिए कार्य योजना शुरू करवाई। करीब तीस सालों के अथक प्रयास से यहां के किसान अब स्वयं संपन्न होने लगे हैं। ट्रस्ट ने लेमन ग्रास, अदरक, मिर्ची, लहसुन, इलायची, हल्दी और खास तौर पर कागजी नींबू की खेती को बढ़ावा देने के लिए खेतों की भौगोलिक संरचना के आधार पर किसानों को आधुनिक संयंत्र उपलब्ध कराए गए।
पहाड़ों से युवाओं के पलायन पर चिंता
पहाड़ों पर युवाओं की घर वापसी पर हिमालयन जॉलीग्रांट ट्रस्ट ने एक और बखूबी काम किया है कि वो अपने यहां स्किल डेवलपमेंट के कोर्स शुरू कर युवाओं को पहाड़ में रहकर उन्हे आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रहा है। पहाड़ में ऐसे कई संस्थानों से रोजी रोटी चल सकती है, इस विषय पर फोकस करते हुए, संस्थान ने होम स्टे, हाउस कीपिंग, शेफ आदि का युवाओं को निशुल्क ट्रेनिंग का काम किया और अभी तक एक हजार युवा इसमें ट्रेनिंग ले चुके हैं। गांव में खाली पड़े पुराने भवनों को किराए पर लेकर वहां सुविधाएं जुटाकर होम स्टे बनाकर पर्यटकों को बुलाने के कार्य को भी सतपुली क्षेत्र के अठारह गांवों में शुरू किया गया है।
क्या कहते हैं हिमालयन इंस्टिट्यूट ट्रस्ट विश्वविद्यालय के कुलपति विजय धस्माना :
डॉ स्वामी राम द्वारा स्थापित ट्रस्ट और उनके सेवा कार्यों का दायित्व निभा रहे कुलपति डॉ विजय धस्माना कहते हैं कि एचआईएचटी की स्थापना 1989 में हुई थी। 1990 में ग्राम्य विकास के कार्य शुरू हो गए थे और 1990 में हॉस्पिटल स्थापित हो गया था, जो 1995 में मेडिकल कॉलेज बना और आज 1200 बेड का अंतरराष्ट्रीय स्तर का हॉस्पिटल बन चुका है। 13 नवंबर 1996 को डॉ स्वामी राम के ब्रह्मलीन होने के पश्चात ट्रस्ट के सदस्यों ने उनके द्वारा लिए गए संकल्पों को पूरा करने का प्रयास शुरू किया। अब हम निरंतर नए लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। हमारे यहां 2007 में कैंसर रिसर्च का विश्व स्तरीय संस्थान स्थापित है। कोविड काल में हमारे यहां सबसे ज्यादा जोखिम भरे इलाज किए गए। स्वामी जी प्रेरणा से ही हमने उनके द्वारा स्थापित लक्ष्य हासिल किए हैं। हम उनके पैतृक गांव तोली में गौरी हिमालयन विज्ञान और प्रद्योगिकी विश्व विद्यालय स्थापित किया, जहां पहाड़ के सुदूर ग्रामों में रहने वाले बच्चे अपना भविष्य संवार रहे हैं। डॉ धस्माना बताते हैं कि हम व्यवसायिक तौर से नहीं, बल्कि सेवा भाव से उत्तराखंड के सुदूर गांवों में काम कर रहे हैं।
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