पाकिस्तानी कब्जे वाले जम्मू—कश्मीर में नागरिकों पर पाकिस्तानी प्रशासन कितने अत्याचार कर रहा है इसकी एक और बानगी दो दिन पहले फिर से सामने आई है। पुलिसिया क्रूरता की सारी हदें लांघने वाले इस उदाहरण ने साफ किया है कि वहां के नागरिकों को किस तरह अनेदखा किया जा रहा है और उनके मानवाधिकारों को रौंदा जा रहा है।
अभी दो दिन पहले गुरुवार को पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू—कश्मीर में लोगों ने बढ़ती महंगाई और बुनियादी सुविधाओं में सुधार की मांग पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया था। लेकिन पुलिस को अपनी बर्बरता दिखाने का मौका मिल गया। पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चला दी। इसमें कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। हालांकि कितने मरे हैं, इसकी जानकारी सामने नहीं आने दी गई है।
पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू—कश्मीर में मुद्रास्फीति बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है। मानवाधिकारों को कुचला जाता रहा है। इसके विरोध में जुलाई की शुरुआत से ही वहां विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। समाचारों के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने पुंछ जाने वाले रास्ते को जाम कर दिया है। अभी तक 50 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है। हालांकि इस प्रदर्शन के आगे हिंसक होने के आसार हैं। साथ ही पुलिस की भी सख्ती बढ़ाई जा सकती है।
पीओजेके में ये प्रदर्शन पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों के विरुद्ध भी किए जा रहे हैं। लोग ‘आजादी’ के नारे लगाते हुए सड़कों पर उतरे हैं। वे नारे लगा रहे हैं—’पाकिस्तान फौज वापस जाओ’। लोगों का कहना है कि हमें आजादी चाहिए, पीओजेके में हत्याओं का ये दौर खत्म होना चाहिए। स्थानीय समाचार पत्रों के अनुसार, गिलगित, स्कार्दू तथा कुछ अन्य इलाकों में किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों को अनेक संस्थाओं का समर्थन प्राप्त है।
इस महीने की शुरुआत में नागरिक बिजली में जबरदस्त कटौती के विरुद्ध लामबंद हुए थे। उनमें महंगाई और भू खनन को लेकर भी भारी गुस्सा है। वहां इमामिया समुदाय के कई लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। ऐसे तमाम मुद्दों पर जारी आंदोलन को पुलिस हर तरह के अत्याचार के सहारे कुचलने को आमादा दिखती है।
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