देश के शैक्षणिक संस्थानों में इस तरह का पाठ्यक्रम होना चाहिए जो युवाओं में दायरे से बाहर सोचने की क्षमता विकसित करे। इससे हमारे युवाओं में अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों को लेकर तो समझ बढ़ेगी ही, उनमें राष्ट्रीयता की भावना भी प्रबल होगी
‘मेक इन इंडिया’, ‘स्टार्टअप’ जैसे शब्द हर भारतीय उद्योगपति और अपना काम करने वालों में एक नए उत्साह का संचार कर रहे हैं। स्वदेशी उद्योग को बढ़ावा देने वाले उद्यमी नए जोश के साथ लगे हुए हैं। ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्टार्टअप’ ने उद्योग जगत में नई क्रांति लाने के साथ नई सोच पैदा की है। युवा और मध्यम आयु वर्ग के उद्यमियों ने इस पर काम करते हुए थोड़े-से समय में ही नई ऊंचाइयों को छुआ है। उन्होंने नई सोच का परिचय दिया है और समस्या को समाधान बनाते हुए कम से कम निवेश में अपनी दूरदर्शी सोच और धैर्य के साथ कारोबार शुरू करते हुए सफलता हासिल की है।
आज भारत में व्यापार करना आसान है। इस स्थिति को हासिल करने के लिए केंद्र सरकार ने लगातार काम किया है। जहां-जहां सुधार हो सकते थे, सुधार किए गए ताकि उद्योगपतियों और कारोबारियों को काम करने में आसानी हो। यह वास्तव में एक स्वागत योग्य सोच है। इसे प्रोत्साहित करने की जरूरत है। सामाजिक संस्थाएं इसे मान्यता प्रदान करें, इसका समर्थन करें, यह भी आज की बड़ी जरूरत है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण शिक्षा है। तमाम दिक्कतों को दरकिनार करते हुए जमीनी स्तर से उठ कर सफल होेने वाले लोगों की सफलता की कहानी दूसरों को प्रेरित करती है। इस तरह की कहानी हमें बताती है कि साहस और दृढ़ विश्वास से सफलता हासिल की जा सकती है। इससे एक और सीख मिलती है। वह यह कि एक-दूसरे का साथ देते हुए मुश्किल स्थिति से पार पाया जा सकता है।
स्टार्टअप में भारत तीसरे स्थान पर
शिक्षा के क्षेत्र में नए स्टार्टअप शुरू हो रहे हैं। आनलाइन कार बुकिंग, स्वास्थ्य सेवाएं भारत के स्टार्टअप के विकास का खाका प्रस्तुत करती हैं। मई 2022 में 100 स्टार्टअप यूनिकॉर्न बन गए हैं। यूनिकॉर्न ऐसे स्टार्टअप को कहा जाता है, जिसकी वैल्यू 7,500 करोड़ रुपये मूल्य हो। भारत में स्टार्टअप 332.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। इस मामले में हमारा देश दुनिया में तीसरे स्थान पर है। जनवरी 2016 में स्टार्टअप की शुरुआत के बाद इस क्षेत्र में भारत ने बड़ी छलांग लगाई है।
स्टार्टअप के लिए युवाओं को उत्साहित करने में उच्च शिक्षा के प्रमुख संस्थानों की बड़ी भूमिका है। इन संस्थानों ने इसके लिए अनुकूल माहौल तैयार करने के साथ-साथ युवाओं को प्रशिक्षित किया। इसका लाभ यह हुआ कि अपने काम को लेकर युवाओं के मन में जो भ्रांतियां थीं, वे दूर हुई। संकुचित सोच से बाहर निकल कर युवाओं में व्यापक सोच विकसित हुई। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक विकास को लेकर क्या चल रहा है, वे इससे रू-ब-रू हुए। इसके साथ-साथ उनमें राष्ट्र प्रेम की भावना भी प्रबल हुई। इस कारण भी युवाओं में स्टार्टअप के प्रति रुझान तेजी से बढ़ा है।
शिक्षा के क्षेत्र में नए स्टार्टअप शुरू हो रहे हैं। आनलाइन कार बुकिंग, स्वास्थ्य सेवाएं भारत के स्टार्टअप के विकास का खाका प्रस्तुत करती हैं। मई 2022 में 100 स्टार्टअप यूनिकॉर्न बन गए हैं। यूनिकॉर्न ऐसे स्टार्टअप को कहा जाता है, जिसकी वैल्यू 7,500 करोड़ रुपये मूल्य हो। भारत में स्टार्टअप 332.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। इस मामले में हमारा देश दुनिया में तीसरे स्थान पर है। जनवरी 2016 में स्टार्टअप की शुरुआत के बाद इस क्षेत्र में भारत ने बड़ी छलांग लगाई है।
नए सिरे से बनें पाठ्यक्रम
शैक्षिक मॉडल, जिसे वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) भी कहा जाता है, भारतीय विश्वविद्यालयों में नवाचार लाने का प्रयास कर रहा है। कुछ ऐसे विषय हैं, जो युवाओं को एक निश्चित दायरे से बाहर सोचने के लिए प्रेरित करते हैं। इसमें अस्तित्ववाद/गणित, परमाणु भौतिकी/आधुनिक साहित्य, भाषा विज्ञान/समाजशास्त्र, जीव विज्ञान/सांख्यिकी जैसे विषय शामिल हैं। इसके बावजूद पाठ्यक्रम को अब इस तरह से तैयार करने की आवश्यकता है, जिससे विद्यार्थियों को अधिक से अधिक ज्ञान मिल सके।
कुछ विषय ऐसे भी हैं, जिसके बारे में सभी को जानकारी होनी चाहिए। ऐसे विषय जो एक-दूसरे के पूरक हैं। एक-दूसरे के साथ उनका संबंध है। लिहाजा, इस तरह के विषयों में तालमेल होना चाहिए। सीबीसीएस के पाठ्यक्रम में भौतिक, सामाजिक और जीव विज्ञान अलग-अलग हैं।
समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, राजनीति विज्ञान, इतिहास और अर्थशास्त्र जैसे विषय सामाजिक विज्ञान के दायरे से संबंधित हैं। विडंबना यह है कि पाठ्यक्रम इस तरह से बनाया गया कि एक संकाय के छात्र दूसरे संकाय के विषयों का अध्ययन नहीं कर पाते जो कि एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। राजनीति विज्ञान का छात्र कार्बन डेटिंग जैसे उपकरणों के बारे में नहीं जानता, जिसके बारे में इतिहास और पुरातत्व के छात्र जानते हैं।
यह इस तथ्य के बावजूद कि राजनीति वर्तमान इतिहास है और इतिहास अतीत की राजनीति। इसलिए पाठ्यक्रमों को इस तरह से बनाया जाना चाहिए कि छात्रों को समग्र ज्ञान मिल सके। इसके लिए काम किया जाना चाहिए।
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