‘भारत हमारा सबसे अच्छा दोस्त’, 69 प्रतिशत अफगानियों के दिल की आवाज

67 प्रतिशत से ज्यादा अफगानी मानते ​​हैं कि अमेरिका ने यहां से जाने की बिना सोचे-समझे बनाई गई नीति की वजह से ही पाकिस्तान तथा चीन को तालिबान को काबुल पर कब्जा कराने का मौका मिल गया

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आलोक गोस्वामी

अफगानिस्तान के लोग आज भी भारत को अपना सबसे प्यारा दोस्त मानते हैं। यह खुलासा हुआ है हाल में वहां किए गए एक सर्वेक्षण में। लोगों ने बताया कि भारत ने हमेशा से अफगानिस्तान की मदद की है और मुसीबत में साथ खड़ा रहा है।

हालांकि अफगानिस्तान में आज की तालिबान सरकार की कट्टरपंथी सोच भारत की लोकतांत्रिक मूल्यों वाली सोच से मेल नहीं खाती, लेकिन अफगान लोगों की भलाई के कामों में आज भी भारत आज भी सबसे आगे है। इसीलिए वहां के लोग आज भी भारत को दिल अपना दोस्त मानते हैं। सर्वेक्षण में ऐसी अनेक रोचक जानकारियां सामने आई हैं।

दूसरी तरफ लोगों का यह भी मानना है कि देश आज जिस मुसीबत में फंसा है उसके पीछे अमेरिका का अचानक यहां से चले जाने का कदम है। इसी वजह से तालिबान को दुबारा सत्ता मिल गई और इतनी हिंसा हुई।

ब्रुसेल्स की न्यूज वेबसाइट ईयू रिपोर्टर की खबर है कि अफगानिस्तान की आम जनता के बीच हुआ यह सर्वेक्षण बताता है कि 69 प्रतिशत अफगानी भारत को सबसे अच्छा दोस्त मानते हैं। इस सर्वेक्षण में आमजन से उनके पहले और आज के वक्त, माहौल और आने वाले कल को लेकर उम्मीद के बारे में पूछा गया था। उनके जवाबों से दिलचस्प जानकारी सामने आई है।

सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि 67 प्रतिशत से ज्यादा अफगानी मानते ​​हैं कि अमेरिका ने यहां से जाने की बिना सोचे—समझे बनाई गई नीति की वजह से ही पाकिस्तान तथा चीन को तालिबान को काबुल पर कब्जा कराने का मौका मिल गया। साथ ही उनका ये भी मानना है कि अफगानिस्तान को लेकर भारत की नीति स्पष्ट और मित्रवत है। पिछले लंबे समय से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध हैं। पाकिस्तान की तमाम कोशिशों के बाद भी, भारत और अफगानिस्तान में आम जनता के स्तर पर भी संबंध सौहार्दपूण रहे हैं।

इस क्षेत्र के भारत अफगानिस्तान में सबसे बड़ा दानदाता रहा है। भारत ने वहां करीब 3 खरब की राशि दान की है। बुनियादी ढांचागत निर्माण से लेकर चिकित्साकर्मी और खाद्यान्न भेजने तक भारत ने हर तरह की मदद की है। काबुल में भारत ने एक नया पहले से सुन्दर संसद भवन बनाकर भेंट किया है।

अफगानिस्तान से बड़ी तादाद में लोग इलाज के लिए भारत आते रहे हैं। भारत के विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में अफगानी छात्र पढ़ रहे हैं। भारतीय सैन्य अकादमी (देहरादून) में अफगान कैडेटों की बराबर भर्ती की जा रही है। दोनों देशों के बीच कारोबार में पाकिस्तान ने काफी अड़चनें डाली हैं। उसने भारत को सड़क के रास्ते अफगानिस्तान तक चीजें पहुंचाने में बाधाएं उत्पन्न की हैं, लेकिन तो भी भारत ने अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभाई है।

सर्वे से एक और दिलचस्प तथ्य निकलकर आया है। 78 प्रतिशत अफगानियों का कहना ​​है कि पिछली गनी सरकार भ्रष्टाचार में डूबी हुई थी। विदेशों से आने वाली सहायता जरूरतमंदों तक नहीं पहुंचती थी। 72 प्रतिशत लोगों ने बताया कि यहां के नेताओं के भ्रष्ट होने की वजह से ही तालिबान को सत्ता पर चढ़ बैठने का मौका मिला है।

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