द्रौपदी मुर्मू को देश के अगले राष्ट्रपति के रूप में आधिकारिक रूप से निर्वाचित घोषित कर दिया गया है। वह 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगी। वह देश की 15वीं राष्ट्रपति होंगी। राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचन अधिकारी राज्य सभा के महासचिव पीसी मोदी ने गुरुवार रात द्रौपदी मुर्मू के विजयी होने की आधिकारिक घोषणा की।
इस बार राष्ट्रपति का चुनाव ऐतिहासिक रहा। पहली बार वनवासी समाज की कोई महिला राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुई हैं। वहीं, विपक्ष के पास अपना खुद का मजबूत चेहरा नहीं था, जिसे वह राष्ट्रपति पद के लिए मैदान में उतारता। विपक्षी दलों ने यशवंत सिन्हा को मैदान में उतारा। इस चुनाव में 17 सांसदों और 102 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। द्रौपदी मुर्मू को सभी वोटों का लगभग 70 प्रतिशत मत मिले। असम, छत्तीसगढ़ और एमपी समेत कई राज्यों में क्रॉस वोटिंग हुई। इस बार के राष्ट्रपति चुनाव ने विपक्षी दलों के अंदर की दरार को पूरी तरह से उजागर कर दिया है। अब इस बात की चर्चा है कि इतने बड़े पैमाने पर क्रॉस वोटिंग क्यों हुई और किसकी अपील पर की गई।
कांग्रेस और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रहे यशवंत सिन्हा ने चुनाव से पहले खास अपील की थी। उन्होंने ट्वीट किया था कि वोट डालने वाले सभी सदस्यों से अपील है कि वे अंतरात्मा की आवाज सुनें। राजनीतिक गलियारों समेत सोशल मीडिया पर चर्चा हो रही है कि सदस्यों ने अंतरात्मा की आवाज सुनी और द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया। उन्होंने भारत की भावना का सम्मान किया। कांग्रेस, सपा और एनसीपी के सदस्यों ने भी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया। यशवंत सिन्हा की अपील ने उन पर ही विपरीत असर डाल दिया।
द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति पद पर निर्वाचित होते ही बधाई का सिलसिला शुरू हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मुर्मू को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने उन सभी सदस्यों को भी धन्यवाद दिया जिन्होंने पार्टी लाइन से ऊपर जाकर द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया।
https://twitter.com/narendramodi/status/1550131698607988736
राष्ट्रपति चुनाव में 4754 मत पड़े, जिनमें से 4701 वैध और 53 अवैध पाये गये। एक उम्मीदवार को पांच लाख 28 हजार 491 मत मूल्य की जरूरत थी। मुर्मू के मतों का मूल्य 6 लाख 76 हजार 803 रहा।
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