राज्य में बाहरी लोगो के सत्यापन के लिए छह माह पहले शुरू की गई पुलिस की कारवाई फेल हो गई है । अब डीजीपी ने नए दिशा निर्देश जारी कर दिए है जिसके बाद से उत्तराखंड में आ कर बस रहे लोगो के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली है।
डीजीपी अशोक कुमार ने अपने नए निर्देश में कहा है कि उत्तराखंड में आकर रहने वाले लोगो को अपने मूल निवास स्थान के पुलिस थाना अथवा चौकी से चरित्र प्रमाण पत्र लाना अनिवार्य होगा।इसके लिए उन्हें उत्तराखंड में एक शपथ पत्र भी दाखिल करना अनिवार्य होगा जिसमे अपने तथा अपने परिवार का ब्यौरा भी दर्ज करते हुए संपूर्ण जानकारी देनी होगी।
डीजीपी के मुताबिक पूर्व में बाहरी लोगो के सत्यापन का जो अभियान शुरू किया गया था उसमे बहुत से मूल निवास के पुलिस थानों से रिपोर्ट भी नही आई है।लिहाजा अब यहां रहने वाले बाहरी लोगो को खुद अपने दस्तावेज बना कर लाने का प्रावधान किया गया है।
पुलिस मुख्यालय के मुताबिक लोगों के भौतिक सत्यापन के संबंध में पूर्व में निर्गत एसओपी में संशोधन किया गया है. सत्यापन की प्रक्रिया में नए आदेशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ पुलिस अधिनियम 2007 की धारा 83 के अंतर्गत विधिक कार्रवाई की जाएगी. सत्यापन के संबंध में कूट रचित दस्तावेज यानी जाली दस्तावेज या गलत शपथ पत्र प्रस्तुत करने वाले व्यक्ति के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी।
उत्तराखंड में पिछले कुछ सालो से बाहरी लोगो की आबादी में तेजिंस इजाफा हुआ है, खास तौर पर चार मैदानी जिलों में मुस्लिम आबादी में भारी वृद्धि देखी गई है।जिसको लेकर राज्य में जनसंख्या असंतुलन की समस्या ,पिछले चुनाव में मुद्दा बन गई थी।ये भी कहा जा रहा कि उत्तराखंड में बंग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिम भी घुसपैठ कर रहे है।
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