जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के मामलों में कमी आई है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि अनुच्छेद 370 निरस्त करने के बाद से जम्मू—कश्मीर में अब तक 118 आम नागरिक हताहत हुए हैं। इनमें 21 हिंदू और सिख समुदाय के लोग थे। उन्होंने बताया कि जम्मू—कश्मीर सरकार के विभिन्न विभागों में 5502 कश्मीरी हिन्दुओं को सरकारी नौकरी दी गई है और अगस्त, 2019 के बाद घाटी से किसी भी कश्मीरी हिन्दू का पलायन नहीं हुआ है।
आतंक की कमर तोड़ने की नीति
सरकार की आतंकवाद के प्रति बिल्कुल स्पष्ट नीति है। और यह नीति है आतंक के कमर तोड़ने की, सहन नहीं करने की। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने कहा कि जम्मू—कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। आतंकवादी हमलों में अत्यधिक कमी आई है। वर्ष 2018 में 417 आतंकी घटनाएं घटित हुई थीं, जो कम होकर वर्ष 2021 में 229 रह गईं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि 5 अगस्त, 2019 से 9 जुलाई, 2022 तक जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा सुरक्षा बलों के 128 जवान और 118 नागरिक हताहत हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘मृत 118 नागरिकों में से 5 कश्मीरी पंडित थे और 16 हिन्दू व सिख समुदाय के थे। इस अवधि के दौरान किसी भी तीर्थयात्री की हत्या नहीं हुई है।
5,502 कश्मीरी हिन्दुओं की दी गई सरकारी नौकरी
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री विकास पैकेज (पीएमडीपी) के तहत घाटी में जम्मू एवं कश्मीर सरकार के विभिन्न विभागों में 5,502 कश्मीरी पंडितों को सरकारी नौकरी दी गई है। कश्मीर घाटी में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किए गए उपायों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि मजबूत सुरक्षा और खुफिया ग्रिड, रात-दिन एरिया डोमिनेशन, गश्त और आतंकवादियों के विरुद्ध सक्रिय अभियान चलाया गया है। इसके अलावा नाकों पर चौबीसों घंटे चेकिंग, किसी भी आतंकवादी हमले को विफल करने के लिए रणनीतिक थानों पर सड़क सुरक्षाा जांच पार्टियों की तैनाती भी की गई है।
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