उत्तराखंड में पिछले तीन दिनों से पहाड़ी जिलों में हो रही मानसून की भारी वर्षा के दौरान एक निर्माणाधीन पुल गिर गया, जिसमे दो मजदूरों की मौत हो गई और आठ घायल हो गए। बारिश की वजह से पहाड़ दरक रहे हैं। रास्ते बंद हैं। स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों को रेस्क्यू किया गया है।
चमोली जिले में फूलों की घाटी, घांघरिया के पास कजीला में ग्लेशियर फटने से भूस्खलन हुआ है, जिसके बाद श्री हेमकुंड यात्रा रोक दी गई है। यहां पर फंसे ढाई सौ से ज्यादा पर्यटकों को एसडीआरएफ ने सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। यहां एक पूरा पहाड़ ही दरक गया है। फंसे हुए करीब चालीस पर्यटकों को फूलों की घाटी से निकालने के लिए वन विभाग और एसडीआरएफ की टीम काम करेगी। बदरीनाथ हाई वे पर रुद्रप्रयाग जिले में नरकोटा के पास ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट पर बन रहा एक पुल नीचे गिर गया, जिसमें दो मजदूरों की मौत हो गई और आठ को गंभीर चोटे आईं हैं। जिन्हे कोटेश्वर अस्पताल में भर्ती किया गया है।
पहाड़ों के सात जिलों में भारी वर्षा की चेतावनी दिए जाने से जिला प्रशासन के अधिकारियों ने स्कूलों में पहले से ही छुट्टी कर दी थी और बचाव एजेंसियों को अलर्ट मोड पर रखा हुआ है। भारी बारिश के बाद से राष्ट्रीय राज मार्ग 15 स्थानों पर मलबा आने से बंद पड़े हैं। साथ ही साथ 180 सड़के और भी पहाड़ी मलबा गिरने से बंद पड़ी हुई हैं। जिन्हे खोलने के लिए लोक निर्माण विभाग जुटा हुआ है। इस मानसून की बारिश ने अभी तक 12 लोगों की जान ले ली है। पहाड़ों पर बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है।
जानकारी के मुताबिक भारी बारिश के दौरान नदियों का जल स्तर भी तेजी से उफान पर है। एक हफ्ते के भीतर मैदानी इलाकों में उत्तराखंड से आने वाली नदियों के जलस्तर को खतरे के निशान के आसपास पहुंच जाने की संभावना है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आपदा नियंत्रण मुख्यालय से बराबर हालात का जायजा ले रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी है कि वो अपने फोन को स्विच ऑफ नहीं करें, यदि किसी का फोन बंद मिला तो वो खुद इस पर एक्शन लेंगे। उत्तराखंड में अगले 24 घंटे भी आफत की बारिश होने की चेतावनी दी गई है। जिसमें लोगों को सावधान रहने और सफर से बचने की हिदायत दी जा रही है।
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