सिख समाज ने धर्म और संस्कृति की खातिर न जाने कितनी बलिदानी गाथाएं लिखी हैं। भारत ही नहीं, दुनिया के किसी भी देश में सिख समाज की धार्मिक परंपराओं का सम्मान होता है। मगर बरेली में मिशनरीज स्कूल सैंट फ्रांसिस में सिख छात्रों को पगड़ी पहनने से रोकने का फरमान जारी कर दिया गया। तुगलकी फैसले का पता होते ही सिख संगठन सड़कों पर आ गए और स्कूल का घेराव कर लिया। भारी हंगामे के बाद स्कूल प्रबंधन को झुकना पड़ा। बिशप ने सिख समाज से माफी मांगनी पड़ी। फिलहाल, भारी विरोध के बाद स्कूल प्रबंधन ने अपना फैसला वापस ले लिया है।
बरेली में स्टेडियम रोड स्थित सैंट फ्रांसिस स्कूल इंटर तक की पढ़ाई होती है। पास में सिख बहुल मॉडल टाउन, राजेन्द्र नगर आदि कालोनियां हैं। इसकी वजह से स्कूल में काफी तादाद में सिख समाज के स्टूडेंट पढ़ाई करते हैं। अभिभावकों ने बताया कि एक दिन पहले स्कूल की एक टीचर ने प्रार्थना सभा में कहा कि स्कूल में अब भी सभी बच्चों को एक जैसा दिखना होगा। जो बच्चे पगड़ी, कड़ा और कृपाड़ धारण करते हैं, वो आगे से ऐसा करना बंद कर दें।
स्टूडेंट ने स्कूल के अजीब फैसले की जानकारी अपने परिवारों को दी तो बात सिख संगठनों तक पहुंचाई गई। देखते-देखते सैंट फ्रांसिस स्कूल के फैसले का तीखा विरोध शुरू हो गया। माडल टाउन गुरुद्वारा कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मालिक सिंह कालरा ने मीडिया से कहा कि अभिभावकों ने एक सुर में स्कूल के फैसले को धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंध बताते हुए विरोध की ठान ली। पूरा समाज में इसे लेकर नाराजगी पैदा हो गई।
गुरुवार को बड़ी संख्या में सिख समाज के लोग एकजुट होकर स्कूल पहुंच गए और वहां का घेराव कर लिया। मिशनरी स्कूल प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी और हंगामा किया गया। पुलिस की मौजूदगी में प्रदर्शनकारी स्कूल प्रिंसिपल लिसिमन को हटाए जाने की मांग पर अड़ गए। हंगामे के बाद बिशप इग्नीसियस डिसूजा को मौके पर आकर सिख समाज से माफी मांगनी पड़ी। प्रदर्शन में शामिल पंजाबी समाज के नेता विशाल मैहरोत्रा ने बताया कि विरोध, हंगामे और प्रदर्शन के बाद स्कूल प्रबंधन घुटने पर आ गया है। बिशप की मौजूदगी में समाज के प्रतिनिधिमंडल से प्रिंसिपल ने वार्ता की और फैसले पर माफी मांग ली है। अब स्कूल में इस तरह का कोई फरमान नहीं चलेगा और सभी बच्चे अपनी धार्मिक पंपराओं के हिसाब से पहचान रख सकेंगे।
टिप्पणियाँ