उत्तर प्रदेश के मदरसों में शिक्षा के स्तर को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। अब मदरसों में शिक्षक बनने के लिए टेस्ट पास करना होगा। जिस तरह से उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक बनने के लिए टीईटी (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) की परीक्षा उतीर्ण करना आवश्यक है। ठीक उसी तरह एमटीईटी (मदरसा टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) को लागू करने का निर्णय लिया गया है। इसके लागू होने के बाद एमटीईटी की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी ही मदरसों में शिक्षक बन पाएंगे।
अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी का कहना है कि मदरसे में शिक्षा की गुणवत्ता को ठीक करने के लिए सख्त कदम उठाये जाएंगे। मदरसों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। मदरसे के विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ा जा रहा है। मदरसों में दीन की शिक्षा और आधुनिक शिक्षा में संतुलन बनाये रखने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
मदरसा शिक्षक बनने के लिए अभ्यर्थियों को एमटीईटी पास करना जरूरी होगा। अभी तक यह होता आया था कि जो भी मदरसे में पढ़ा रहा होता था। उसी को मदरसे का शिक्षक नियुक्त कर दिया जाता था। अब इस तरह नहीं हो पाएगा। शिक्षक को एमटीईटी की परीक्षा पास करना होगा। एमटीईटी की परीक्षा कराने की जिम्मेदारी, उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षक परिषद की होगी।
इस व्यवस्था के लागू होने के बाद हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। प्रदेश में 558 वित्त पोषित मदरसे हैं। इसके लिए आधुनिक विषय पढ़ाने वाले शिक्षकों की चरणवार भर्ती होनी है। मदरसों की शिक्षण व्यवस्था में सुधार करने के लिए यूपी सरकार ने मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया है। इस ऐप के माध्यम से भी बच्चे पढ़ाई कर सकेंगे।
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