भारत विकास परिषद पूरे भारत में सेवा, संस्कार, शिक्षा के सैकड़ों केंद्र चला रही है। इसके साथ ही यह संस्था दिव्यांगों की सहायता के लिए भी जानी जाती है। पिछले छह दशक से यह संस्था समाज के निचले वर्ग के बीच काम कर रही
भारत विकास परिषद पिछले छह दशक से समाज के वंचित वर्ग की सेवा कर नई पीढ़ी में देशभक्ति के संस्कारों को प्रवाहित कर रही है। परिषद का उद्देश्य है समाज के उच्च, प्रबुद्ध एवं संपन्न वर्ग को सुसंगठित कर उनके हृदय में समाज के वंचित, असमर्थ एवं अशिक्षित वर्ग के प्रति संवेदनशीलता का भाव जगाना। 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद सेना का मनोबल बढ़ाने और सहायता करने के उद्देश्य से दिल्ली में प्रारंभ हुई ‘सिटीजन काउंसिल’ नामक संस्था को बाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सरसंघचालक श्री बालासाहब देवरस जी की प्रेरणा से स्वामी विवेकानंद जन्मशताब्दी वर्ष में 12 जनवरी, 1963 को ‘भारत विकास परिषद’ का नाम दिया गया। चूंकि इसका पंजीकरण 10 जुलाई, 1963 को हुआ था, इसलिए 10 जुलाई को स्थापना दिवस मनाया जाता है। प्रसिद्ध विचारक एवं सर्वोच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री बी. पी. सिन्हा को प्रथम संरक्षक, दिल्ली के पूर्व महापौर लाला हंसराज गुप्ता को प्रथम अध्यक्ष, सेवाभावी डॉक्टर सूरज प्रकाश को प्रथम महामंत्री बनाया गया। परिषद ने भारत माता को अपना आराध्य एवं स्वामी विवेकानंद को पथ-प्रदर्शन के रूप में स्वीकार किया।
अब तक परिषद की पहुंच 10 क्षेत्र, 76 प्रांत, 1483 शाखा तथा 65079 सदस्य परिवार तक है। परिषद ने ‘संस्कार आयाम’ के अंतर्गत भावी पीढ़ी को संस्कारित करने हेतु देशभर के विद्यालयों में 1967 से ‘राष्ट्रीय समूह गान प्रतियोगिता’ का आयोजन प्रारंभ किया, जो बाद में अत्यधिक लोकप्रिय हुआ। इस महत्वपूर्ण आयाम में प्रतिवर्ष हजारों विद्यालयों के लाखों विद्यार्थी भाग लेते हैं। 2001-2 में भारत विकास परिषद ने ‘भारत को जानो’ एवं ‘गुरु वंदन-छात्र अभिनंदन’ जैसे कार्यक्रमों को प्रारंभ किया।
भारत की राष्ट्रीय एकता, विश्वबंधुत्व, सर्वधर्म समभाव और उद्दात मानवता हमारी प्रेरणा एवं समाज के प्रति समरसता एवं एकात्मता का व्यवहार इसकी पूंजी है। परिषद के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीमल सिंघवी ने कहा था, ‘‘भारत विकास परिषद एक संस्था है, और एक आंदोलन भी है। यह भारतीय दृष्टि से अंकुरित, संपर्क से अभिसिंचित, सहयोग के हाथों से निर्मित, संस्कार के हृदय से स्पंदित और सेवा की अंजली में समर्पण के प्रसाद के रूप में है।’’
भारत विकास परिषद के संगठन मंत्री विक्रांत खंडेलवाल ने बताया कि अब तक परिषद की पहुंच 10 क्षेत्र, 76 प्रांत, 1483 शाखा तथा 65079 सदस्य परिवार तक है। परिषद ने ‘संस्कार आयाम’ के अंतर्गत भावी पीढ़ी को संस्कारित करने हेतु देशभर के विद्यालयों में 1967 से ‘राष्ट्रीय समूह गान प्रतियोगिता’ का आयोजन प्रारंभ किया, जो बाद में अत्यधिक लोकप्रिय हुआ। इस महत्वपूर्ण आयाम में प्रतिवर्ष हजारों विद्यालयों के लाखों विद्यार्थी भाग लेते हैं। 2001-2 में भारत विकास परिषद ने ‘भारत को जानो’ एवं ‘गुरु वंदन-छात्र अभिनंदन’ जैसे कार्यक्रमों को प्रारंभ किया।
परिषद द्वारा स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वावलंबन के क्षेत्र में बड़ा प्रभावी काम किया जा रहा है। प्रमुख रूप से देशभर में 13 दिव्यांग केंद्र संचालित किए जाते हैं। इनके माध्यम से आज तक लगभग 3,00,000 दिव्यांगों की सहायता की जा चुकी है। प्रमुख केंद्र हैं-भारत विकास परिषद अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र (कोटा), भारत विकास परिषद मेडिकल सेंटर (चंडीगढ़), भारत विकास परिषद दिव्यांग पुनर्वास केंद्र एवं संजय आनंद विकलांग अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र (पटना), दिव्यांग सहायता केंद्र (दिल्ली), विवेकानंद आरोग्य केंद्र (गुरुग्राम), डॉ. सूरज प्रकाश आरोग्य केंद्र (फरीदाबाद) आदि। परिषद द्वारा अनेक प्रकल्प भी चलाए जा रहे हैं। जैसे समग्र ग्राम विकास योजना, वनवासी सहायता, सामूहिक सरल विवाह, पर्यावरण, शिक्षा सहायता,एनीमिया मुक्त भारत, आत्मनिर्भर भारत, महिला स्वावलंबन आदि। इन सबके 1680 स्थायी केंद्र हैं।
परिषद द्वारा अपने कार्यों के प्रचार-प्रसार एवं संस्कार आयाम के अंतर्गत विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन भी किया जाता है। विक्रांत खंडेलवाल कहते हैं कि आगामी दशक में भारत विकास परिषद ‘उभरते भारत’ में प्रभावी उपस्थिति दर्ज करवाने को तैयार हो रही है। 5,00,000 परिवारों को सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
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