पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ही नहीं, वहां की सरकार के मंत्री भी अपने बड़बोलेपन और अजीबोगरीब बयानों के लिए जाने जाते हैं। कल वहां के स्वास्थ्य मंत्री ने देश में आबादी कम करने का जो फार्मूला दिया है उससे पता चलता है कि उनका शातिर दिमाग किस दर्जे की बात सोचते है।
फिलहाल पड़ोसी इस्लामी देश की आबादी 24 करोड़ से ज्यादा है। यानी वहां प्रति वर्ग किलोमीटर 244 लोग रहते हैं। यह वह संख्या है जो पाकिस्तान के चार सूबों, राजधानी इस्लामाबाद का क्षेत्र तथा और उसके अवैध कब्जे में कसमसा रहा भारत का गिलगित—बाल्टिस्तान का इलाका शामिल है। आबादी का दबाव ऐसा है कि वहां की सरकारें इसे काबू करने में नाकाम ही साबित रही हैं। इसके पीछे कुछ दोष तो वहां के लोगों का बेपढ़े—लिखे होना है और कुछ उनके दिमाग में भर दिया गया मुस्लिम आबादी बढ़ाने का जहर है।
ऐसे में पाकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्री अब्दुल कादिर ने ऐसा बेतुका बयान दिया है कि जिससे सरकार की सोच का स्तर पता चलता है और यह भी कि मंत्रियों की उस सोच पर कट्टरपंथी कितने हावी हैं। कादिर ने आबादी बढ़ाने का ऐसा ‘सुझाव’ दिया है कि उस पर बहस छिड़ गई है।
अपने यहां आबादी पर काबू करने के लिए पाकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्री की वह सलाह है कि ‘जिन देशों में मुसलमान कम हैं वहां जाकर बच्चे पैदा किए जाएं’। स्वास्थ्य मंत्री अब्दुल कादिर पटेल ने आबादी बढ़ाने को लेकर ऐसा सुझाव दिया है, जिस पर विवाद पैदा हो गया है। उन्होंने कहा है कि अगर लोग ज्यादा बच्चे पैदा करना चाहते हैं तो उन देशों में चले जाएं जहां मुसलमान कम हैं। इससे उन देशों में मुस्लिम आबादी बढ़ेगी। यानी परोक्ष रूप से कादिर ‘सुझाव’ दे रहे हैं कि पाकिस्तान के मुसलमान ‘गैर मुस्लिम’ देशों में जाकर वहां मुसलमानों की तादाद बढ़ाएं और वहां ‘पाकिस्तान’ बसा दें।
उन्होंने आगे कहा कि ‘पाकिस्तान की आबादी साल 2030 तक 28.5 करोड़ हो जाएगी, जो उनके लिए खतरे की घंटी है। हम मुसलमान कम नहीं करना चाह रहे। उन्हें बेहतर बनाना चाह रहे हैं। हम मुसलमान को तालीमयाफ्ता, सेहतमंद बनाना चाहते हैं। कुछ लोग हमारी इस बात का विरोध करते हैं कि अल्लाह दे रहा है और हम बढ़ा रहे हैं। तो मेरा कहना है कि आप किसी ऐसे मुल्क में जाकर इतने बच्चे पैदा करो जहां मुसलमान अल्पसंख्यक हों’।
पाकिस्तान में इस वक्त आबादी 2.5 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। पाकिस्तान अपनी इस बढ़ती आबादी और उसकी तुलना में सिकुड़ते संसाधनों को लेकर संकट में है। वहां की सरकार कट्टरपंथियों की धमक के चलते जनसंख्या नियंत्रण का कोई कदम उठाने में हिचकती रही है। इसलिए इस तरफ उसे कोई कारगर तरीका नहीं सूझ रहा है। लेकिन कादिर ने अपना उक्त सुझाव देकर संभवत: अपने जिहादी सोच वाले आकाओं को भी खुश किया है।
यह कोई छुपा तथ्य नहीं है कि जहां भी मुस्लिम आबादी बढ़ी है वहां अराजकता और जिहादी सोच का विस्तार हुआ है। यूरोप के कई देश इस समस्या से जूझ रहे हैं। फ्रांस सहित कुछ देशों ने तो जहरीली सोच फैलाने वाले कट्टर इस्लाम को काबू करने के कड़े कदम उठाने शुरू भी कर दिए हैं। लेकिन कनाडा, स्वीडन जैसे देशों में मुस्लिमों ने अपनी तादाद इतनी बढ़ा ली है कि वे वहां की सरकार के फैसलों पर प्रभाव डालने की स्थिति में आ चुके हैं।
मुस्लिमों की बढ़ती तादाद से परेशान पश्चिमी देशों में आज इस्लामी कायदे लागू करने की मांगें उठाई जा रही हैं। दुनिया के किसी भी कोने में मुस्लिमों को चुभने वाला कोई भी मुद्दा उठता है तो सात समंदर पार तक की सरकारों और नागरिकों की नाक में दम कर दिया जाता है। सभ्य समाज अब इस हरकत को नासूर मानने लगा है और मुस्लिमों से नजदीकी बढ़ाने से बचता दिख रहा है।
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
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