अमेरिका से एक चौंकाने वाली रिपोर्ट आई है कि वहां के न्यायतंत्र में चीन चुपचाप दखल बढ़ाता जा रहा है। हालांकि ये दखल किस हद तक हो चुकी है, यह तो अभी साफ नहीं हुआ है। लेकिन इस बात के प्रमाण मिल चुके हैं कि वहां की पॉल हेस्टिंग्स एलएलपी नाम की कानूनी कंपनी का ज्यादातर पैसा बीजिंग से पहुंच रहा है। ऐसा दावा करने वाली रिपोर्ट बताती हैं कि चीनी कम्युनिस्ट सत्ता अपने धुर वैरी अमेरिका को भीतर ही भीतर बड़ा नुकसान पहुंचाने की साजिश रच रही है।
पॉल हेस्टिंग एलएलपी अमेरिका स्थित एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी कंपनी है। इसी कंपनी में ज्यादातर पैसा चीन लगा रहा है। इसके पीछे उसकी मंशा क्या हो सकती है, यह कोई छुपी बात नहीं है। अमेरिका के कुछ संस्थानों में चीन की घुसपैठ का अंदेशा कुछ समय पहले भी चर्चा में आया था। अमेरिका ने अपने यहां काम कर रहीं हुआवेई जैसी कुछ चीनी कंपनियों पर जासूसी का आरोप लगाकर अपने यहां उनका काम बंद करने के निर्देश भी दिए थे।
इधर अमेरिका में एक न्यायिक ज्यूरी ने चीन सरकार को लेकर टीका—टिप्पणी करने वाले लोगों का मुंह बंद करने की एक योजना का पर्दाफाश करते हुए, पांच लोगों को जासूसी का दोषी पाया है। उनके विरुद्ध आरोप तय किए गए हैं।
कुछ दिन पहले, 7 जुलाई को अमेरिकी कानून विभाग की तरफ से एक वक्तव्य जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि ब्रुकलिन में एक फेडरल ग्रैंड ज्यूरी ने पांच प्रतिवादियों को आरोपित किया है। अन्य चीजों के साथ ही, इन आरोपितों ने बताते हैं चीन की शी जिनपिंग सरकार के विरुद्ध मुखर रहने वाले एक लॉस एंजिल्स में रहने वाले एक चीनी नागरिक को नुकसान पहुंचाने का षड्यंत्र रचा था।
सिर्फ न्याय तंत्र ही नहीं, चीन के अमेरिकी मीडिया में भी घुसपैठ करने के संकेत पिछले दिनों मिले थे। पता चला कि चीन अमेरिकी मीडिया में पैसे लगाकर उनका इस्तेमाल करके दुनियाभर में अपना दुष्प्रचार फैला रहा है। पॉलिसी रिसर्च ग्रुप नामक संस्था का अध्ययन बताता है कि चीन ने एक प्रभावशाली अमेरिकी मीडिया कंपनी के ज्यादातर शेयरों पर अपना कब्जा कर लिया है।
बताते हैं, इस कंपनी का प्रभाव अमेरिका में संचार के लगभग सभी साधनों पर है। इतना ही नहीं, अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में सरकार से जुड़े खास ठिकानों तक पहुंचने वाले समाचारों पर भी चीन की सत्ता में बैठी कम्युनिस्ट पार्टी का प्रभाव रहता है।
चीन की कई कंपनियों ने अमेरिका के मीडिया तंत्र पर नियंत्रण का अधिकार प्राप्त कर लिया है। न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट बताती है कि एक अमेरिकी मीडिया कंपनी में चीन की 60 फीसदी हिस्सेदारी है। पॉलिसी रिसर्च ग्रुप का आकलन है कि कंपनी के रिकॉर्ड देखने से पता चला है कि चीन सरकार के स्वामित्व वाले रेडियो स्टेशन की सहायक कंपनी के पास इस अमेरिकी कंपनी के 60 प्रतिशत शेयर हैं।
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