जिरगा का महिला विरोधी शरियाई फतवा, ‘महिलाएं नहीं जाएंगी घूमने’ क्योंकि ये ‘इस्लाम में हराम’

पाकिस्तान में इस नए 'फतवे' को लेकर खासी चर्चा छिड़ी है। महिलाओं के अधिकारों पर वहां लगातार लगाम कसी जा रही है, यह इसका एक और सबूत है

Published by
WEB DESK

पाकिस्तान में एक कबायली इलाके की जिरगा यानी कबायली पंचायत ने अपने क्षेत्र में शरिया के तहत एक तालिबानी फरमान जारी करके महिलाओं के मन बहलाव के लिए घूमने जाने पर रोक लगा दी है।

‘इस्लामी उसूलों’ पर चलने वाली इस जिरगा ने कहा है कि इस्लाम में महिलाओं का मनोरंजन या पर्यटन के लिए घूमने जाना ‘हराम’ है, लिहाजा वे घर से बाहर इसके लिए कदम न रखें। ऐसा करना इस्लाम की खिलाफत मानी जाएगी।

महिला अधिकारों को कुचलना और उनका सम्मान से जीना हराम करने के लिए कुख्यात पाकिस्तान में इस नए ‘फतवे’ को लेकर खासी चर्चा छिड़ी है। महिलाओं के अधिकारों पर वहां लगातार लगाम कसी जा रही है, यह इसका एक और सबूत है।

सालारजई तहसील में जिरगा का सम्मेलन

पाकिस्तान के कबायली जिले बाजौर में कठमुल्लापन में हद दर्जे तक डूबी सालारजई तहसील की जिरगा ने यह फरमान सुनाया है। जिरगा ने महिलाओं के पर्यटन तथा मन बहलाव के लिए महिलाओं के सार्वजनिक स्थानों पर जाने से रोक लगाते हुए ऐसा करना अनैतिक तथा इस्लामी उसूलों के विरुद्ध घोषित किया है। इसके अलावा जिरगा यह ऐलान भी किया है कि अगर स्थानीय हुकूमत ने ये कायदा लागू नहीं किया तो जिरगा अपनी तरफ से इसे लागू कर देगी।

पाकिस्तान के मश​हूर अंग्रेजी दैनिक द डॉन की एक रिपोर्ट के अनुसार, जिरगा का यह फरमान जिले भर में गुंजा दिया गया है। अभी दो दिन पहले जिरगा ने ऐलान कर दिया है कि सरकार इस फैसले को जितना जल्दी हो, लागू करे। इस जिरगा का आयोजन किया था जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) की बाजौर इकाई, द्वारा जो सरकार में बैठे गठबंधन के साथ मिली हुई है।

उल्लेखनीय है कि जिरगा के इस सम्मेलन में सालारजई तहसील के तमाम कबायली गुटों के नेताओं के अलावा इलाके के अनेक जेयूआई-एफ नेता और मौलवी शामिल हुए थे। इस मौके पर जेयूआई-एफ के जिला अध्यक्ष मौलाना अब्दुर्रशीद के साथ ही दूसरे लोगों की तकरीरें हुईं।

जिरगा में हुए भाषणों में कहा गया है कि, देखने में आया है कि आदमियों के अलावा, यहां की कई औरतें अपने शौहर या अन्य रिश्तेदारों के साथ या अकेले ही ईद की छुट्टियों में कई जगह घूमने जाया करती हैं। दावा किया गया कि यह ‘इस्लामी उसूलों’ के तहत यहां के रीति-रिवाजों और रस्मों के खिलाफ है। यह पूरी तरह से अनैतिक और अस्वीकार्य है। कहा गया कि इस्लाम और यहां की रस्मों में इस तरह के कामों के लिए कोई जगह नहीं है।

Share
Leave a Comment