शंघाई सहयोग संगठन या एससीओ ने साल 2022—23 के लिए भारत की तीर्थनगरी वाराणसी को अपनी सांस्कृतिक और पर्यटन राजधानी घोषित किया है। दरअसल यह संगठन अपने आठ सदस्य देशों में लोगों से लोगों के बीच संपर्क तथा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जो कार्यक्रम चलाता है उसी के तहत वाराणसी के लिए यह घोषणा की गई है। संगठन की तरफ से हर साल एक सदस्य देश के सांस्कृतिक विरासत वाले शहर को संगठन की राजधानी घोषित किया जाता है।
भारत की संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करने वाले तीर्थ वाराणसी को शंघाई सहयोग संगठन की पहली सांस्कृतिक और पर्यटन राजधानी बनाने के फैसले पर अनेक लोगों ने खुशी व्यक्त की है। कल शंघाई सहयोग संगठन के महासचिव झांग मिंग ने चीन की राजधानी बीजिंग में इस फैसले की घोषणा की है। उल्लेखनीय है कि संगठन की अगली शिखर बैठक समरकंद में होने जा रही है।
कल बीजिंग में झांग ने बताया कि शंघाई सहयोग संगठन अपने सदस्य देशों के बीच लोगों से लोगों के संपर्क और पर्यटन को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत हर साल किसी सदस्य देश की सांस्कृतिक विरासत वाले शहर को संगठन की राजधानी घोषित किया जाता है। संगठन में आठ सदस्य देश हैं और सबने मिलकर वाराणसी को 2022-23 के लिए एससीओ की सांस्कृतिक और पर्यटन राजधानी बनाना तय किया है। इतना ही नहीं, हर साल एक सदस्य देश की सांस्कृतिक विरासत वाले शहर वाली नई पहल का अध्यक्ष का पद सौंपा जाएगा।
इसके अलावा झांग ने इस साल 15—16 सितंबर को उज्बेकिस्तान के समरकंद शहर में होने वाले एससीओ के शिखर सम्मेलन का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि एससीओ की सांस्कृतिक राजधानी वाली नई पहल समरकंद शिखर सम्मेलन के बाद लागू होगी। उस दौरान ही भारत एससीओ के अध्यक्ष पद का कार्य संभालेगा तथा अगले शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। वैसे भारत साल 2020 में एससीओ के प्रमुखों की बैठक की मेजबानी कर चुका है।
महासचिव झांग मिंग के अनुसार, एससीओ के सदस्य देश कोरोना यात्रा प्रतिबंधों में ढील देने के बाद लोगों से लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए पर्यटन के क्षेत्र में कई पहलों के बारे में सोच रहे हैं। उन्होंने बताया कि कजाकिस्तान ने भारत सहित अन्य देशों के पर्यटकों के लिए मुफ्त वीसा नीति घोषित की है।
बता दें कि शंघाई सहयोग संगठन या एससीओ दरअसल एक आर्थिक, राजनीतिक तथा सुरक्षा विषयों पर विचार के लिए एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन है। इसके 8 सदस्य देश हैं—चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, तजाकिस्तान तथा उज्बेकिस्तान। सदस्य देश आपसी सहयोग को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय शांति के लिए काम करते हैं।
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