नैनीताल जिले की पुलिस ने 129 ग्राम स्मैक के साथ दो युवकों को पकड़ा। वहीं, उधम सिंह नगर पुलिस ने करीब 19 हजार नशीले कैप्सूल बरामद किए हैं। ड्रग्स का ये अवैध कारोबार पुलिस के लिए अब चुनौती बनता जा रहा है।
नैनीताल पुलिस के एसएसपी पंकज भट्ट ने एक आंकड़ा दिया है, जिसमें पिछले एक साल में ड्रग्स बरामदगी का ब्योरा है। नैनीताल पुलिस ने पिछले एक साल में 113 मामले मादक पदार्थों के दर्ज किए, 140 तस्करों को जेल भेजा गया। इस दौरान दो किलो आठ सौ ग्राम से ज्यादा स्मैक पकड़ी गई, 22 किलो से अधिक चरस पकड़ी गई और 133 किलोग्राम गांजा पकड़ा गया। एसएसपी के मुताबिक 541 ग्राम हेरोइन और 2940 नशे के इंजेक्शन भी बरामद किए गए।
पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि औसतन हर तीसरे दिन एक ड्रग केस रजिस्टर हो रहा है। ये सिर्फ नैनीताल जिले का आंकड़ा है। अभी उत्तराखंड में उधम सिंह नगर, चंपावत, हरिद्वार और देहरादून में इससे भी ज्यादा की पुलिस की रिकवरी है। ये रिकवरी वो है जोकि पुलिस की नजरों में आ गई, कितना माल या ड्रग्स तो तस्करी से ठिकानों में पहुंच कर बिक भी गई होगी।
खबर ये भी है कि ड्रग्स का उत्पादन यूपी के बरेली जिले में होता है और ये जिला उत्तराखंड की सीमा से लगा हुआ है। बरेली के मीरगंज और फतेहगंज इलाके के गांवों में स्मैक उत्पादन पर यूपी पुलिस ने बहुत हद तक काबू पाया है, लेकिन ये भी मालूम चला है कि मादक द्रव्यों के उत्पादकों में अब उत्तराखंड बॉर्डर पर बहेड़ी क्षेत्र में डेरा डाल लिया और अब यहां से ड्रग्स की सप्लाई कैरियर्स द्वारा उत्तराखंड में की जा रही है। उत्तराखंड पुलिस के आगे चुनौती है कि वो ड्रग्स तस्करों के खिलाफ प्रभावी अंकुश कैसे लगाती है।
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