अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली (एम्स) के बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. मनीष सिंघल ने कहा कि तीन हजार साल पहले काशी में दुनिया की पहली प्लास्टिक सर्जरी हुई थी। इसका श्रेय महर्षि सुश्रुत को जाता है।
राष्ट्रीय प्लास्टिक सर्जरी दिवस के मौके पर शुक्रवार को दिल्ली एम्स और एसोसिएशन ऑफ प्लास्टिक सर्जन ऑफ इंडिया (एपीएसआई) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सुश्रुत फिल्म महोत्सव-2022 को संबोधित करते हुए सिंघल ने कहा कि दिल्ली एम्स और एपीएसआई मिलकर देश में लोगों को प्लास्टिक सर्जरी के प्रति जागरुक कर रहा है। इसी क्रम में आज दिल्ली एम्स में सुश्रुत फिल्म महोत्सव-2022 का आयोजन किया गया।
सिंघल ने कहा कि प्लास्टिक सर्जरी सिर्फ सौंदर्य निखारने तक ही सीमित नहीं है। इसका दायरा बहुत व्यापक है। यह विधा सिर्फ कॉस्मेटिक सर्जरी तक ही सीमित नहीं है बल्कि कॉस्मेटिक सर्जरी प्लास्टिक सर्जरी का एक हिस्सा है।
दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने लिखित संदेश देकर सभी प्लास्टिक सर्जनों को राष्ट्रीय प्लास्टिक सर्जरी दिवस की बधाई दी। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि प्लास्टिक सर्जरी को लेकर लोगों में तरह-तरह की गलत भ्रांतियां हैं। सुश्रुत फिल्म महोत्सव इस तरह की भ्रांतियों को दूर करने में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि अध्ययन बताते हैं कि 84 फीसदी लोग प्लास्टिक सर्जरी को सिर्फ कॉस्मेटिक सर्जरी के रूप में जानते हैं। बहुत से लोग सोचते हैं कि प्लास्टिक सर्जरी में प्लास्टिक उपयोग होता है।
एसोसिएशन ऑफ प्लास्टिक सर्जन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. रवि महाजन ने कहा कि देश के अस्पतालों में प्लास्टिक सर्जनों की टीम और मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हर ट्रामा सेंटर में प्लास्टिक सर्जनों की टीम होनी चाहिए। जिससे हादसों में बुरी तरह से घायल हुए लोगों का तत्काल उपचार किया जा सके। उन्होंने जिला अस्पतालों में भी प्लास्टिक सर्जनों की टीम को मजबूत किए जाने की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि इस फिल्म उत्सव में एम्स को पूरे देश से 120 फिल्में प्राप्त हुई थीं। फिल्में सर्जरी की इस विधा के व्यापकता को दर्शाने वाली थीं। कार्यक्रम के दौरान तीन सबसे अच्छी फिल्मों को पुरस्कृत किया गया। इस दौरान प्रथम विजेता को एक लाख रुपये, द्वितीय विजेता को 50 हजार रुपये व तृतीय विजेता को 25 हजार रुपये का पुरस्कार दिया गया।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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